"बिशनदास": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
No edit summary
पंक्ति 7: पंक्ति 7:
[[चित्र:Mughal-Paintings.jpg|left|thumb|जहाँगीर के समय की चित्रकला|left]]
[[चित्र:Mughal-Paintings.jpg|left|thumb|जहाँगीर के समय की चित्रकला|left]]
बादशाह जहाँगीर ने बिशनदास की यह कहते हुए प्रशंसा की थी कि ‘वह हूबहू चित्र बनाने में बेजोड़ थे’ और उन्हें [[फ़ारस]] के दूतावास में भेजा गया था। जहाँ वह शाह तथा उनके दरबार के प्रमुख व्यक्तियों के चित्र बनाने के लिए 1613 से 1620 तक रहे थे। बादशाह को चित्र इतने पसंद आए कि उन्होंने बिशनदास को उपहार में एक [[हाथी]] प्रदान किया था। फ़ारस के कुछ कुलीनों के [[मुग़ल]] शैली के व्यक्तिचित्रों को बिशनदास की कृति माना जा सकता है। उन्होंने अलौकिक कथाओं की पुस्तक [[अनवार-ए सुहेली]] (अब [[ब्रिटिश संग्रहालय]] में) और बादशाह के लिए बनाए गए चित्र संग्रहों में कई बेहतरीन व्यक्तिओं के चित्रों का योगदान दिया।
बादशाह जहाँगीर ने बिशनदास की यह कहते हुए प्रशंसा की थी कि ‘वह हूबहू चित्र बनाने में बेजोड़ थे’ और उन्हें [[फ़ारस]] के दूतावास में भेजा गया था। जहाँ वह शाह तथा उनके दरबार के प्रमुख व्यक्तियों के चित्र बनाने के लिए 1613 से 1620 तक रहे थे। बादशाह को चित्र इतने पसंद आए कि उन्होंने बिशनदास को उपहार में एक [[हाथी]] प्रदान किया था। फ़ारस के कुछ कुलीनों के [[मुग़ल]] शैली के व्यक्तिचित्रों को बिशनदास की कृति माना जा सकता है। उन्होंने अलौकिक कथाओं की पुस्तक [[अनवार-ए सुहेली]] (अब [[ब्रिटिश संग्रहालय]] में) और बादशाह के लिए बनाए गए चित्र संग्रहों में कई बेहतरीन व्यक्तिओं के चित्रों का योगदान दिया।
==सम्बंधित लिंक==
{{चित्रकार}}
[[Category:कला_कोश]]
[[Category:कला_कोश]]
[[Category:मुग़ल_साम्राज्य]]
[[Category:मुग़ल_साम्राज्य]]

06:06, 5 जून 2010 का अवतरण

जहाँगीर के समय की चित्रकला
पन्ना बनने की प्रक्रिया में है। आप इसको तैयार करने में सहायता कर सकते हैं।


बिशनदास एक ख्यातिप्राप्त हिन्दू चित्रकार थे। जिन्हें सम्राट् जहाँगीर का संरक्षण प्राप्त था।

बिशनदास 17वीं शताब्दी की मुग़ल चित्रकला की जहाँगीर शैली के सर्वाधिक प्रतिभाशाली व्यक्ति चित्रकारों में से एक थे। उनके बारे में कोई भी जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन उनके नाम से उनके हिंदू होने का संकेत मिलता है।

जहाँगीर के समय की चित्रकला

बादशाह जहाँगीर ने बिशनदास की यह कहते हुए प्रशंसा की थी कि ‘वह हूबहू चित्र बनाने में बेजोड़ थे’ और उन्हें फ़ारस के दूतावास में भेजा गया था। जहाँ वह शाह तथा उनके दरबार के प्रमुख व्यक्तियों के चित्र बनाने के लिए 1613 से 1620 तक रहे थे। बादशाह को चित्र इतने पसंद आए कि उन्होंने बिशनदास को उपहार में एक हाथी प्रदान किया था। फ़ारस के कुछ कुलीनों के मुग़ल शैली के व्यक्तिचित्रों को बिशनदास की कृति माना जा सकता है। उन्होंने अलौकिक कथाओं की पुस्तक अनवार-ए सुहेली (अब ब्रिटिश संग्रहालय में) और बादशाह के लिए बनाए गए चित्र संग्रहों में कई बेहतरीन व्यक्तिओं के चित्रों का योगदान दिया।

सम्बंधित लिंक