"प्रेम कविता -अनूप सेठी": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
छो (Text replace - "मिजाज" to "मिज़ाज")
 
पंक्ति 40: पंक्ति 40:


डयूटियाँ बहुत बजा लीं
डयूटियाँ बहुत बजा लीं
गृहस्थी और तुनक मिजाजी चलती रहेगी
गृहस्थी और तुनक मिज़ाजी चलती रहेगी
मौसम की तरह आओ बैठो
मौसम की तरह आओ बैठो
दोस्ती के दिनों की तरह
दोस्ती के दिनों की तरह

14:23, 3 फ़रवरी 2013 के समय का अवतरण

प्रेम कविता -अनूप सेठी
जगत में मेला' का आवरण चित्र
जगत में मेला' का आवरण चित्र
कवि अनूप सेठी
मूल शीर्षक जगत में मेला
प्रकाशक आधार प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड, एस. सी. एफ. 267, सेक्‍टर 16, पंचकूला - 134113 (हरियाणा)
प्रकाशन तिथि 2002
देश भारत
पृष्ठ: 131
भाषा हिन्दी
विषय कविता
प्रकार काव्य संग्रह
अनूप सेठी की रचनाएँ

        एक


डयूटियाँ बहुत बजा लीं
गृहस्थी और तुनक मिज़ाजी चलती रहेगी
मौसम की तरह आओ बैठो
दोस्ती के दिनों की तरह
जरा देर और
फिर एक-एक कप चाय के साथ और
फिर किताबों की बात
फिर कविता की बात
फिर संगीत का साथ

भरी बरसात
पानी से ऊब चूब बादल
अब बरसे तब बरसे
भिगो जाएं धरती आकाश

        दो


आँखें बड़ी-बड़ी
बहुत पास
दँत पंक्ति उनसे भी बड़ी
पूर्ण स्मित हास
इतनी दूर से
इतने पास
गर्मजोशी सब कुछ बाँट लेने की
सलेटी बादलों में उजास

इस खिड़की को खुला रहने दो
झमाझम बारिश है
बेखबर लहराती
समुद्री हवा अनायास
                             (1996)


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख