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==कारोबारियों की नगरी==
==कारोबारियों की नगरी==
[[गुजरात]] की आर्थिक राजधानी सूरत पिछले कुछ सालों में [[हीरा|हीरे]] और टेक्सटाइल सेक्टर में [[भारत]] और दुनिया के अन्य शहरों की तुलना में काफ़ी आगे बढ़ गई है। इन दोनों कारोबारों की वजह से सूरत ने सिर्फ़ गुजरात ही नहीं, दूसरे राज्यों से भी बड़ी तादाद में लोगों को आकर्षित किया है। सूरत को करीब 400 साल पहले से ही कारोबारियों की नगरी माना जाता रहा है। [[जरी]] के कारोबार से शुरुआत कर सूरत ने टेक्सटाइल कारोबार में भी अपना नाम दुनिया भर में बना लिया है। आज सूरत में करीब 7.5 लाख लूम्स और करीब 450 टेक्सटाइल प्रोसेसिंग हाउस हैं। इसके अलावा 70000 एम्ब्रॉयडरी की यूनिट हैं। हीरे के कारोबार में सूरत में छोटी-बड़ी करीब 90000 डायमंड कटिंग और पॉलिशिंग यूनिट हैं। इन दोनों इंडस्ट्रीज में बड़ी तादाद में लोगों को रोजगार मिल रहा है, जिसमें सूरत के बाहर से आकर बसे लोगों की संख्या अधिक है। आज दुनिया भर के पॉलिश किये गए हीरे में 80 फीसदी सूरत में तैयार होते हैं। डायमंड और टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज के अलावा सूरत के [[हजीरा]] स्थित इंडस्ट्रियल एरिया में दिग्गज कंपनियाँ, जैसे- 'ओएनजीसी', 'रिलायंस इंडस्ट्रीज', 'एस्सार' और 'शेल' भी हैं। इस वजह से यहाँ के कारोबारियों की एक बड़ी माँग है- हवाई कनेक्टिविटी बढ़ाने की। दूसरी सुविधाओं की बात करें तो सूरत देश के सबसे साफ-सुथरे शहरों में एक है। [[मुंबई]]-[[अहमदाबाद]] कॉरिडोर का अहम हिस्सा सूरत दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ने वाले शहरों में चौथे नंबर पर है।<ref>{{cite web |url=http://mid-day.storeguru.com/mccode/news/article.php?id=64303|title=कारोबारियों की नगरी, सूरत|accessmonthday=14 मई|accessyear= 2013|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref>
[[गुजरात]] की आर्थिक राजधानी सूरत पिछले कुछ सालों में [[हीरा|हीरे]] और टेक्सटाइल सेक्टर में [[भारत]] और दुनिया के अन्य शहरों की तुलना में काफ़ी आगे बढ़ गई है। इन दोनों कारोबारों की वजह से सूरत ने सिर्फ़ गुजरात ही नहीं, दूसरे राज्यों से भी बड़ी तादाद में लोगों को आकर्षित किया है। सूरत को करीब 400 साल पहले से ही कारोबारियों की नगरी माना जाता रहा है। [[जरी]] के कारोबार से शुरुआत कर सूरत ने टेक्सटाइल कारोबार में भी अपना नाम दुनिया भर में बना लिया है। आज सूरत में करीब 7.5 लाख लूम्स और करीब 450 टेक्सटाइल प्रोसेसिंग हाउस हैं। इसके अलावा 70000 एम्ब्रॉयडरी की यूनिट हैं। हीरे के कारोबार में सूरत में छोटी-बड़ी करीब 90000 डायमंड कटिंग और पॉलिशिंग यूनिट हैं। इन दोनों इंडस्ट्रीज में बड़ी तादाद में लोगों को रोजगार मिल रहा है, जिसमें सूरत के बाहर से आकर बसे लोगों की संख्या अधिक है। आज दुनिया भर के पॉलिश किये गए हीरे में 80 फीसदी सूरत में तैयार होते हैं। डायमंड और टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज के अलावा सूरत के [[हजीरा]] स्थित इंडस्ट्रियल एरिया में दिग्गज कंपनियाँ, जैसे- 'ओएनजीसी', 'रिलायंस इंडस्ट्रीज', 'एस्सार' और 'शेल' भी हैं। इस वजह से यहाँ के कारोबारियों की एक बड़ी माँग है- हवाई कनेक्टिविटी बढ़ाने की। दूसरी सुविधाओं की बात करें तो सूरत देश के सबसे साफ-सुथरे शहरों में एक है। [[मुंबई]]-[[अहमदाबाद]] कॉरिडोर का अहम हिस्सा सूरत दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ने वाले शहरों में चौथे नंबर पर है।<ref>{{cite web |url=http://mid-day.storeguru.com/mccode/news/article.php?id=64303|title=कारोबारियों की नगरी, सूरत|accessmonthday=14 मई|accessyear= 2013|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref>
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==हजीरा औद्योगिक क्षेत्र==
सूरत को 'फ़्यूचर सिटी' बनाने में यहाँ की डायमंड और टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज के अलावा एक और चीज ने अहम भूमिका निभाई है, जो है- 'हजीरा औद्योगिक क्षेत्र'। सूरत से करीब 25 किलोमीटर दूर [[हजीरा]] एक अहम बंदरगाह भी है और इस इलाके में देश की कई बड़ी कंपनियों के प्लांट हैं। आज यह माना जाता है कि आने वाले दिनों में हजीरा और तेजी से विकसित होने जा रहा है। देश के बड़े बंदरगाहों में एक हजीरा सूरत मेट्रोपॉलिटन रीजन की सबसे बड़ी खूबी है। सूरत से 25 किलोमीटर की दूरी पर [[समुद्र]] किनारे बसे हजीरा में [[भारत]] की कई बड़ी और नामी कंपनियाँ हैं, जिनमें 'रिलायंस इंडस्ट्रीज', 'एलएंडटी', 'ओएनजीसी', 'गेल', 'अदानी', 'एस्सार ग्रुप', 'कृभको', 'शेल' और 'जीएसपीसी' शामिल हैं। पिछले 25 वर्षों में इस इलाके ने दिन-दूनी-रात चौगुनी तरक्की की है। हजीरा बंदरगाह नजदीक होने का बड़ा फायदा सूरत को मिला है, क्योंकि इसी वजह से दिग्गज कंपनियों ने अपने प्लांट यहाँ लगाए हैं। इन कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या 2 लाख से भी अधिक है और बड़ी संख्या में ये कर्मचारी अपने परिवार के साथ हजीरा में ही बसे हैं। इस वजह से अब सूरत और हजीरा के सम्पर्क को बेहतर करने की मांग हो रही है। हजीरा का एक और फायदा सूरत को मिल रहा है, स्किल डेवलपमेंट के तौर पर, क्योंकि यहाँ के बड़े उद्योगपति सूरत के डायमंड और टेक्सटाइल के कारीगरों को प्रोडक्ट क्वालिटी बेहतर करने की ट्रेनिंग देते हैं। हजीरा को प्रस्तावित [[दिल्ली]]-[[मुंबई]] के डेडिकेटेड रेल फ्रेट कॉरिडोर से जोड़ने का प्रस्ताव है। यही नहीं, दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के तहत हजीरा इंडस्ट्रियल एरिया के बड़े पैमाने पर विकास की भी योजना है।
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==यातायात और परिवहन==
==यातायात और परिवहन==
यह सड़क, रेल और हवाई मार्गों से जुड़ा हुआ है।
यह सड़क, रेल और हवाई मार्गों से जुड़ा हुआ है।
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==कृषि और खनिज==
==कृषि और खनिज==
आसपास के इलाके में खेती होती है। [[कपास]], [[बाजरा]], दलहन और [[चावल]] यहाँ की मुख्य पैदावार हैं। वस्त्रोद्योग सूरत शहर में ही केंद्रित है। 1990 में [[गन्ना]], [[अंगूर]] और [[केला|केले]] जैसे नकदी फ़सलो की खेती की शुरुआत की गई।
आसपास के इलाके में खेती होती है। [[कपास]], [[बाजरा]], दलहन और [[चावल]] यहाँ की मुख्य पैदावार हैं। वस्त्रोद्योग सूरत शहर में ही केंद्रित है। 1990 में [[गन्ना]], [[अंगूर]] और [[केला|केले]] जैसे नकदी फ़सलो की खेती की शुरुआत की गई।

11:01, 14 मई 2013 का अवतरण

शायर हॉल, सूरत

सूरत गुजरात राज्य का प्रसिद्ध शहर है। यह ज़िले का प्रशासनिक मुख्यालय भी है। सूरत दक्षिण-पूर्वी गुजरात राज्य, पश्चिम भारत में स्थित है। यह 'खंभात की खाड़ी' पर ताप्ती नदी के मुहाने पर स्थित है। कहा जाता है कि 1516 ई. में एक हिन्दू ब्राह्मण 'गोपी' ने इसे बसाया था। सूरत मुख्यत: कपड़ा उद्योग और हीरे की कटिंग और पॉलिशैंग आदि के कार्यों के लिए प्रसिद्ध है। यही कारण है कि इस शहर को 'सिल्क सिटी' और 'डायमंड सिटी' के नाम से भी जाना जाता है।

इतिहास

12वीं से 15वीं शताब्दी तक सूरत शहर मुस्लिम शासकों, पुर्तग़ालियों, मुग़लों और मराठों के आक्रमणों का शिकार हुआ। 1514 ई. में पुर्तग़ाली यात्री दुआरते बारबोसा ने सूरत का वर्णन एक महत्त्वपूर्ण बंदरगाह के रूप में किया था। यहाँ फ़्राँसीसियों ने अपनी पहली कोठी 'फ़्रैकों कैरो' द्वारा 1668 ई. में स्थापित की। गोलकुण्डा रियासत के सुल्तान से अधिकार पत्र प्राप्त करने के बाद फ़्राँसीसियों ने अपनी दूसरी व्यापारिक कोठी की स्थापना 1669 ई. में मसुलीपट्टम में की थी। 18वीं शताब्दी में धीरे-धीरे सूरत का पतन होने लगा था। उस समय अंग्रेज़ और डच, दोनों ने ही सूरत पर नियंत्रण का दावा किया, लेकिन 1800 ई. में अंग्रेज़ों का ही इस पर पूर्णत: अधिकार हो गया।

कारोबारियों की नगरी

गुजरात की आर्थिक राजधानी सूरत पिछले कुछ सालों में हीरे और टेक्सटाइल सेक्टर में भारत और दुनिया के अन्य शहरों की तुलना में काफ़ी आगे बढ़ गई है। इन दोनों कारोबारों की वजह से सूरत ने सिर्फ़ गुजरात ही नहीं, दूसरे राज्यों से भी बड़ी तादाद में लोगों को आकर्षित किया है। सूरत को करीब 400 साल पहले से ही कारोबारियों की नगरी माना जाता रहा है। जरी के कारोबार से शुरुआत कर सूरत ने टेक्सटाइल कारोबार में भी अपना नाम दुनिया भर में बना लिया है। आज सूरत में करीब 7.5 लाख लूम्स और करीब 450 टेक्सटाइल प्रोसेसिंग हाउस हैं। इसके अलावा 70000 एम्ब्रॉयडरी की यूनिट हैं। हीरे के कारोबार में सूरत में छोटी-बड़ी करीब 90000 डायमंड कटिंग और पॉलिशिंग यूनिट हैं। इन दोनों इंडस्ट्रीज में बड़ी तादाद में लोगों को रोजगार मिल रहा है, जिसमें सूरत के बाहर से आकर बसे लोगों की संख्या अधिक है। आज दुनिया भर के पॉलिश किये गए हीरे में 80 फीसदी सूरत में तैयार होते हैं। डायमंड और टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज के अलावा सूरत के हजीरा स्थित इंडस्ट्रियल एरिया में दिग्गज कंपनियाँ, जैसे- 'ओएनजीसी', 'रिलायंस इंडस्ट्रीज', 'एस्सार' और 'शेल' भी हैं। इस वजह से यहाँ के कारोबारियों की एक बड़ी माँग है- हवाई कनेक्टिविटी बढ़ाने की। दूसरी सुविधाओं की बात करें तो सूरत देश के सबसे साफ-सुथरे शहरों में एक है। मुंबई-अहमदाबाद कॉरिडोर का अहम हिस्सा सूरत दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ने वाले शहरों में चौथे नंबर पर है।[1]

परले पॉइंट, सूरत

हजीरा औद्योगिक क्षेत्र

सूरत को 'फ़्यूचर सिटी' बनाने में यहाँ की डायमंड और टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज के अलावा एक और चीज ने अहम भूमिका निभाई है, जो है- 'हजीरा औद्योगिक क्षेत्र'। सूरत से करीब 25 किलोमीटर दूर हजीरा एक अहम बंदरगाह भी है और इस इलाके में देश की कई बड़ी कंपनियों के प्लांट हैं। आज यह माना जाता है कि आने वाले दिनों में हजीरा और तेजी से विकसित होने जा रहा है। देश के बड़े बंदरगाहों में एक हजीरा सूरत मेट्रोपॉलिटन रीजन की सबसे बड़ी खूबी है। सूरत से 25 किलोमीटर की दूरी पर समुद्र किनारे बसे हजीरा में भारत की कई बड़ी और नामी कंपनियाँ हैं, जिनमें 'रिलायंस इंडस्ट्रीज', 'एलएंडटी', 'ओएनजीसी', 'गेल', 'अदानी', 'एस्सार ग्रुप', 'कृभको', 'शेल' और 'जीएसपीसी' शामिल हैं। पिछले 25 वर्षों में इस इलाके ने दिन-दूनी-रात चौगुनी तरक्की की है। हजीरा बंदरगाह नजदीक होने का बड़ा फायदा सूरत को मिला है, क्योंकि इसी वजह से दिग्गज कंपनियों ने अपने प्लांट यहाँ लगाए हैं। इन कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या 2 लाख से भी अधिक है और बड़ी संख्या में ये कर्मचारी अपने परिवार के साथ हजीरा में ही बसे हैं। इस वजह से अब सूरत और हजीरा के सम्पर्क को बेहतर करने की मांग हो रही है। हजीरा का एक और फायदा सूरत को मिल रहा है, स्किल डेवलपमेंट के तौर पर, क्योंकि यहाँ के बड़े उद्योगपति सूरत के डायमंड और टेक्सटाइल के कारीगरों को प्रोडक्ट क्वालिटी बेहतर करने की ट्रेनिंग देते हैं। हजीरा को प्रस्तावित दिल्ली-मुंबई के डेडिकेटेड रेल फ्रेट कॉरिडोर से जोड़ने का प्रस्ताव है। यही नहीं, दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के तहत हजीरा इंडस्ट्रियल एरिया के बड़े पैमाने पर विकास की भी योजना है। इन्हें भी देखें: हजीरा एवं हजीरा संयंत्र

यातायात और परिवहन

यह सड़क, रेल और हवाई मार्गों से जुड़ा हुआ है।

कृषि और खनिज

आसपास के इलाके में खेती होती है। कपास, बाजरा, दलहन और चावल यहाँ की मुख्य पैदावार हैं। वस्त्रोद्योग सूरत शहर में ही केंद्रित है। 1990 में गन्ना, अंगूर और केले जैसे नकदी फ़सलो की खेती की शुरुआत की गई।

उद्योग और व्यापार

पुर्तग़ालियों द्वारा (1512 एवं 1530) सूरत को जला दिए जाने के बाद यह एक बड़ा विक्रय केंद्र बना, जहाँ से कपड़े और सोने का निर्यात होता था। वस्त्रोद्योग और जहाज़ निर्माण यहाँ के मुख्य उद्योग थे। अंग्रेज़ों ने 1612 में पहली बार अपनी व्यापारिक चौकी यहीं पर स्थापित की थी। यहाँ के सूती, रेशमी, किमख़ाब (जरीदार कपड़ा) के वस्त्र तथा सोनेचाँदी की वस्तुएं प्रसिद्ध हैं।

श्री राम चौक, सूरत

सूरत के हीरे पर पॉलिश के उद्योग ने प्रवासी मज़दूरों कों अपनी और आकर्षित किया है।

जनसंख्या

19वीं शताब्दी के मध्य में सूरत एक गतिहीन नगर था, जिसकी आबादी 80,000 थी, लेकिन भारतीय रेलवे की शुरुआत के साथ सूरत फिर से समृद्ध होने लगा। 2001 की जनगणना के अनुसार नगर की जनसंख्या 24,33,787 है। सूरत ज़िले की कुल जनसंख्या 49,96,391 है।

जलवायु

ज़िले से औसत वार्षिक वर्षा 1,071 मिमी है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कारोबारियों की नगरी, सूरत (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 14 मई, 2013।

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