"खैंची लबों ने आह -अना क़ासमी": अवतरणों में अंतर
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बादे सबा<ref>सुबह की ख़ुशबूदार हवा</ref> ने चुपके से आकर दबाया हाथ । | बादे सबा<ref>सुबह की ख़ुशबूदार हवा</ref> ने चुपके से आकर दबाया हाथ । | ||
यूँ ज़िन्दगी से मेरे मरासिम<ref>तअल्लुक़ात</ref> हैं आज कल, | |||
हाथों में जैसे थाम ले कोई पराया हाथ । | हाथों में जैसे थाम ले कोई पराया हाथ । | ||
14:12, 8 जून 2013 का अवतरण
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खैंची लबों ने आह कि सीने पे आया हाथ । |
टीका टिप्पणी और संदर्भबाहरी कड़ियाँसंबंधित लेख
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