"खैंची लबों ने आह -अना क़ासमी": अवतरणों में अंतर

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बादे सबा<ref>सुबह की ख़ुशबूदार हवा</ref> ने चुपके से आकर दबाया हाथ ।
बादे सबा<ref>सुबह की ख़ुशबूदार हवा</ref> ने चुपके से आकर दबाया हाथ ।


यँू ज़िन्दगी से मेरे मरासिम<ref>तअल्लुक़ात</ref> हैं आज कल,
यूँ ज़िन्दगी से मेरे मरासिम<ref>तअल्लुक़ात</ref> हैं आज कल,
हाथों में जैसे थाम ले कोई पराया हाथ ।
हाथों में जैसे थाम ले कोई पराया हाथ ।



14:12, 8 जून 2013 का अवतरण

खैंची लबों ने आह -अना क़ासमी
अना क़ासमी
अना क़ासमी
जन्म 28 फरवरी, 1966
जन्म स्थान छतरपुर, मध्य प्रदेश
मुख्य रचनाएँ हवाओं के साज़ पर (ग़ज़ल संग्रह), मीठी सी चुभन (ग़ज़ल संग्रह),
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
अना क़ासमी की रचनाएँ

खैंची लबों ने आह कि सीने पे आया हाथ ।
बस पर सवार दूर से उसने हिलाया हाथ ।

महफ़िल में यूँ भी बारहा उसने मिलाया हाथ ।
लहजा था ना-शनास[1] मगर मुस्कुराया हाथ ।

फूलों में उसकी साँस की आहट सुनाई दी,
बादे सबा[2] ने चुपके से आकर दबाया हाथ ।

यूँ ज़िन्दगी से मेरे मरासिम[3] हैं आज कल,
हाथों में जैसे थाम ले कोई पराया हाथ ।

मैं था ख़मोश जब तो ज़बाँ सबके पास थी,
अब सब हैं लाजवाब तो मैंने उठाया हाथ ।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अपरिचित
  2. सुबह की ख़ुशबूदार हवा
  3. तअल्लुक़ात

बाहरी कड़ियाँ

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