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'''कौलास''' देगदार तालुका, [[नांदेड़|नांदेड़ ज़िला]] ([[महाराष्ट्र]]) का [[ऐतिहासिक स्थान]] है। [[मध्य काल|मध्य कालीन]] तथा परवर्ती काल के अनेक प्राचीन स्मारक यहाँ स्थित हैं।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=243|url=}}</ref>
'''कौलास''' देगदार तालुका, [[नांदेड़|नांदेड़ ज़िला]] ([[महाराष्ट्र]]) का [[ऐतिहासिक स्थान]] है। [[मध्य काल|मध्य कालीन]] तथा परवर्ती काल के अनेक प्राचीन स्मारक यहाँ स्थित हैं।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=243|url=}}</ref>


*यहाँ के स्मारकों में 13वीं या 14वीं शती का भगवान [[शिव]] का मंदिर, 16वीं या 17वीं शती की 'खूनी मसजिद', 17वीं शती का संत बहलोल का मक़बरा तथा शाह जियाउलहक़ की दरगाह आदि उल्लेखनीय हैं।
*यहाँ के स्मारकों में 13वीं या 14वीं शती का [[भगवान]] [[शिव]] का मंदिर, 16वीं या 17वीं शती की 'खूनी मस्जिद', 17वीं शती का संत बहलोल का मक़बरा तथा शाह जियाउलहक़ की दरगाह आदि उल्लेखनीय हैं।
*कौलास में एक प्राचीन दुर्ग भी है, जिसे 1323 ई. में [[मुस्लिम|मुस्लिमों]] ने [[वारंगल]] नरेश से छीन लिया था।
*कौलास में एक प्राचीन दुर्ग भी है, जिसे 1323 ई. में [[मुस्लिम|मुस्लिमों]] ने [[वारंगल]] नरेश से छीन लिया था।
*इस स्थान का प्राचीन नाम कैलास है। वारंगल नरेशों के समय यह स्थान शिवोपासना का केंद्र था।
*इस स्थान का प्राचीन नाम कैलास है। वारंगल नरेशों के समय यह स्थान शिवोपासना का केंद्र था।

11:24, 17 जून 2013 का अवतरण

कौलास देगदार तालुका, नांदेड़ ज़िला (महाराष्ट्र) का ऐतिहासिक स्थान है। मध्य कालीन तथा परवर्ती काल के अनेक प्राचीन स्मारक यहाँ स्थित हैं।[1]

  • यहाँ के स्मारकों में 13वीं या 14वीं शती का भगवान शिव का मंदिर, 16वीं या 17वीं शती की 'खूनी मस्जिद', 17वीं शती का संत बहलोल का मक़बरा तथा शाह जियाउलहक़ की दरगाह आदि उल्लेखनीय हैं।
  • कौलास में एक प्राचीन दुर्ग भी है, जिसे 1323 ई. में मुस्लिमों ने वारंगल नरेश से छीन लिया था।
  • इस स्थान का प्राचीन नाम कैलास है। वारंगल नरेशों के समय यह स्थान शिवोपासना का केंद्र था।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार |पृष्ठ संख्या: 243 |

बाहरी कड़ियाँ

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