"पंढरपानि": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
छो (Text replace - " बाजी " to " बाज़ी ")
No edit summary
पंक्ति 9: पंक्ति 9:
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=517|url=}}
{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=517|url=}}
<references/>
<references/>
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==

11:54, 17 जून 2013 का अवतरण

पंढरपानि महाराष्ट्र में कोंकण की पहाड़ियों का एक गिरिमार्ग (दर्रा) है। भारतीय इतिहास में प्रसिद्ध मराठा छत्रपति शिवाजी का जिस समय सरदार सीदी जोहर पीछा कर रहा था, उस समय इसी दर्रे का मार्ग रोककर प्रभु देशपांडे ने सीदी जोहर का मार्ग रोक लिया, जिस कारण शिवाजी सकुशल क़िले में प्रवेश कर गये।

  • 17वीं शती के मध्य में शिवाजी की बढ़ती हुई शक्ति को देखकर बीजापुर के सुल्तान आदिलशाह ने हब्शी सरदार सीदी जोहर को उनका पीछा करने के लिए भेजा।
  • सीदी जोहर ने जाते ही पन्हाला दुर्ग को घेर लिया। कई मास के घेरे के पश्चात् जब दुर्ग टूटने को हुआ तो शिवाजी चुपचाप वहाँ से निकलकर रंगन होते हुए प्रतापगढ़ जा पहुँचे।
  • इस पर सीदी जोहर की सेना ने शिवाजी का पीछा किया, पर पंढरपानि के गिरिमार्ग में बाज़ी प्रभु देशपांडे ने दीवार की तरह खड़े होकर उसे आगे बढ़ने से रोक दिया।
  • जब शिवाजी ने विशालगढ़ के क़िले में सकुशल पहुँचकर तोप दागी तो उस आहत वीर सरदार ने सुख से अपने प्राण त्याग दिये।
  • देशपांडे का नाम महाराष्ट्र के इतिहास में आज भी अमर है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार |पृष्ठ संख्या: 517 |


संबंधित लेख