"यह कदम्ब का पेड़ -सुभद्रा कुमारी चौहान": अवतरणों में अंतर
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वहीं बैठ फिर बड़े मजे से मैं बांसुरी बजाता। | वहीं बैठ फिर बड़े मजे से मैं बांसुरी बजाता। | ||
अम्मा-अम्मा कह वंशी के स्वर में तुम्हे बुलाता।। | अम्मा-अम्मा कह वंशी के स्वर में तुम्हे बुलाता।। | ||
सुन मेरी बंसी को माँ तुम इतनी खुश हो जाती। | |||
मुझे देखने काम छोड़ कर तुम बाहर तक आती।। | |||
तुमको आता देख बांसुरी रख मैं चुप हो जाता। | |||
पत्तों में छिपकर धीरे से फिर बांसुरी बजाता।। | |||
गुस्सा होकर मुझे डांटती, कहती "नीचे आजा"। | |||
पर जब मैं ना उतरता, हंसकर कहती "मुन्ना राजा"।। | |||
"नीचे उतरो मेरे भैया तुम्हे मिठाई दूंगी। | |||
नए खिलौने, माखन-मिसरी, दूध मलाई दूंगी"।। | |||
बहुत बुलाने पर भी माँ जब नहीं उतर कर आता। | बहुत बुलाने पर भी माँ जब नहीं उतर कर आता। |
19:28, 20 जुलाई 2013 का अवतरण
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यह कदंब का पेड़ अगर माँ होता यमुना तीरे। |