"निठारी -कुलदीप शर्मा": अवतरणों में अंतर
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व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - " कानून" to " क़ानून") |
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कि पाप पर शुरू हो कोई बहस | कि पाप पर शुरू हो कोई बहस | ||
बहुत बहस हो रही है पहले से ही | बहुत बहस हो रही है पहले से ही | ||
और | और क़ानून की किसी उपधारा के तहत | ||
बेनेफिट ऑफ डाउट देने के लिए | बेनेफिट ऑफ डाउट देने के लिए | ||
टटोली जा रही हैं किताबें | टटोली जा रही हैं किताबें | ||
पंक्ति 67: | पंक्ति 67: | ||
क्या कहा उन्होंने किसी कोर्ट से | क्या कहा उन्होंने किसी कोर्ट से | ||
किसी भी बेगुनाह को चढ़ा दो फांसी | किसी भी बेगुनाह को चढ़ा दो फांसी | ||
उन्होने कुछ कहा ही नहीं | उन्होने कुछ कहा ही नहीं क़ानून के बारे में | ||
वे तो लौट गए हैं घरों को | वे तो लौट गए हैं घरों को | ||
भाग्य पर बिसूरने के लिए | भाग्य पर बिसूरने के लिए | ||
पंक्ति 73: | पंक्ति 73: | ||
हर बहस से अलग | हर बहस से अलग | ||
वे आंसुओं के उस सैलाब में हैं | वे आंसुओं के उस सैलाब में हैं | ||
जहां | जहां क़ानून की हर धारा | ||
खो बैठती है अपनी भाषा़ | खो बैठती है अपनी भाषा़ | ||
14:11, 30 जुलाई 2013 का अवतरण
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