"मोहम्मद अली": अवतरणों में अंतर
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'''मोहम्मद अली''' | '''मोहम्मद अली''' (जन्म- [[10 दिसम्बर]], [[1878]], [[रामपुर]], [[उत्तर प्रदेश]]; मृत्यु- [[4 जनवरी]], [[1931]], [[इंग्लैण्ड]]) [[भारत]] के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी, पत्रकार और शिक्षाविद थे। इन्होंने सन [[1911]] में 'कामरेड' नामक साप्ताहिक [[समाचार पत्र]] निकाला था। तत्कालीन [[अंग्रेज़]] सरकार द्वारा [[1914]] में इस पत्र पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया था तथा मोहम्मद अली को चार साल की सज़ा दी गई। मोहम्मद अली ने '[[खिलाफत आन्दोलन]]' में भी भाग लिया और [[अलीगढ़]] में '[[जामिया मिलिया इस्लामिया|जामिया मिलिया विश्वविद्यालय]]' की स्थापना की, जो बाद में [[दिल्ली]] लाया गया। ये [[रायपुर]] रियासत के शिक्षाधिकारी भी बनाये गए थे। | ||
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13:01, 23 अगस्त 2013 का अवतरण
मोहम्मद अली (जन्म- 10 दिसम्बर, 1878, रामपुर, उत्तर प्रदेश; मृत्यु- 4 जनवरी, 1931, इंग्लैण्ड) भारत के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी, पत्रकार और शिक्षाविद थे। इन्होंने सन 1911 में 'कामरेड' नामक साप्ताहिक समाचार पत्र निकाला था। तत्कालीन अंग्रेज़ सरकार द्वारा 1914 में इस पत्र पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया था तथा मोहम्मद अली को चार साल की सज़ा दी गई। मोहम्मद अली ने 'खिलाफत आन्दोलन' में भी भाग लिया और अलीगढ़ में 'जामिया मिलिया विश्वविद्यालय' की स्थापना की, जो बाद में दिल्ली लाया गया। ये रायपुर रियासत के शिक्षाधिकारी भी बनाये गए थे।
जन्म तथा शिक्षा
मोहम्मद अली का जन्म 10 दिसम्बर, 1878 ई. में रामपुर, उत्तर प्रदेश में हुआ था। ये मौलाना शौकत अली के भाई थे। मोहम्मद अली और मौलाना शौकत अली भारतीय राजनीति में 'अली बन्धुओं' के नाम से प्रसिद्ध थे। मोहम्मद अली ने बरेली, आगरा और इंग्लैण्ड में शिक्षा प्राप्त की थी। सन 1896 ई. में इन्होंने बी.ए. की डिग्री इलाहाबाद से प्राप्त की थी।
व्यावसायिक शुरुआत
मोहम्मद अली ने रामपुर राज्य में मुख्य शिक्षा अधिकारी के रूप मे कार्य शुरू किया। उन्होंने कुछ वर्षों तक बड़ौदा राज्य में भी नौकरी की। उन्होंने 1911 में कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) से 'कामरेड साप्ताहिक' पत्र निकाला। 1912 में वे दिल्ली आ गये। मोहम्मद अली ने सन 1913 में उर्दू का 'हमदर्द' नामक दैनिक पत्र शुरू किया।
जेल यात्रा
मोहम्मद अली मुस्लिमों की तरफ ब्रिटिश नीति के एक पृथक आलोचक थे। उन्हें 1915 में गिरफ्तार कर चार वर्ष के लिए जेल भेज दिया गया। मोहम्मद अली ने 'खिलाफत आन्दोलन' का समर्थन किया और महात्मा गाँधी का समर्थन जीता। उन्होंने अतीत में 'खिलाफत आन्दोलन' में अहम भूमिका निभायी। उन्होंने एक नये 'नेशनल मुस्लिम यूनीवर्सिटी' की स्थापना की, जो 'जामिया मिलिया इस्लामिया' के रूप में जानी गयी। उन्होंने 1923 में 'भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस' के वार्षिक अधिवेशन की अध्यक्षता भी की।
देहान्त
सन 1930 में मोहम्मद अली लन्दन में प्रथम गोलमेज सम्मेलन में उपस्थित हुए। जहाँ 4 जनवरी, 1931 में उनका देहान्त हो गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
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