"हलीशहर": अवतरणों में अंतर
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*बंगला के प्रसिद्ध कवि मुकुंदराम कविकंकण ने इस स्थान का नाम कुमारहट्टा भी लिखा है। | *बंगला के प्रसिद्ध कवि मुकुंदराम कविकंकण ने इस स्थान का नाम कुमारहट्टा भी लिखा है। | ||
*चैतन्यदेव यहां तीर्थयात्रा के लिये आये थे। | *चैतन्यदेव यहां तीर्थयात्रा के लिये आये थे। |
13:03, 2 सितम्बर 2013 के समय का अवतरण
हलीशहर कंचनपल्ली से दो मील दूर चैतन्य महाप्रभु के गुरु ईश्वरीपुरी का जन्म स्थान है।
- बंगला के प्रसिद्ध कवि मुकुंदराम कविकंकण ने इस स्थान का नाम कुमारहट्टा भी लिखा है।
- चैतन्यदेव यहां तीर्थयात्रा के लिये आये थे।
- चैतन्य के शिष्य श्रीवास पंडित यहीं के निवासी थे।
- चैतन्यदेव के विषय में पदावली लिखकर प्रसिद्ध हो जाने वाले कवि वासुदेव घोष का भी हलीशहर या कुमारहट्टा से सम्बंध था।
- कुमारहट्टा ने वैष्णव सम्प्रदाय के साथ ही साथ शाक्तमत का काफ़ी प्रचार था।
- काली के प्रसिद्ध कवि रामप्रसाद सेन भी यहीं के रहने वाले कहे जाते हैं।
- यहां रामप्रसाद के सिद्धि प्राप्त करने का स्थल, पंचवट आज भी सुरक्षित है।
- रामप्रसाद की काली-विषयक सुंदर भावमयी कविता आज भी बंगाल में बड़े प्रेम से गाईं जाती हैं
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- पुस्तक- ऐतिहासिक स्थानावली, लेखक-विजयेन्द्र कुमार माथुर, प्रकाशन- राजस्थान ग्रंथ अकादमी जयपुर, पृष्ठ संख्या-1012
बाहरी कड़ियाँ
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