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*सातवीं शताब्दी में इस क्षेत्र पर [[पल्लव|पल्लवों]] का शासन था, जो कई अन्य वंशों के शासकों के अधीन होता हुआ अरकोट के नवाब के पास पहुँचा।
*सातवीं शताब्दी में इस क्षेत्र पर [[पल्लव|पल्लवों]] का शासन था, जो कई अन्य वंशों के शासकों के अधीन होता हुआ अरकोट के नवाब के पास पहुँचा।
*उन्नसवीं शताब्दी में तिरुवल्लूर भी [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] के अधिकार में आ गया था।
*उन्नसवीं शताब्दी में तिरुवल्लूर भी [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] के अधिकार में आ गया था।
*यहाँ के प्राचीन मंदिर और खूबसूरत [[झील|झीलें]] सैलानियों को बड़ी संख्या में आकर्षित करती हैं।
*यहाँ के प्राचीन मंदिर और ख़ूबसूरत [[झील|झीलें]] सैलानियों को बड़ी संख्या में आकर्षित करती हैं।
*तिरुवल्लूर में [[तमिल भाषा|तमिल]], [[हिन्दी]], [[मलयालम भाषा|मलयालम]], [[तेलुगू भाषा|तेलुगू]] और [[उर्दू भाषा]] बोली जाती है।
*तिरुवल्लूर में [[तमिल भाषा|तमिल]], [[हिन्दी]], [[मलयालम भाषा|मलयालम]], [[तेलुगू भाषा|तेलुगू]] और [[उर्दू भाषा]] बोली जाती है।
==पर्यटन स्थल==
==पर्यटन स्थल==

14:29, 2 सितम्बर 2013 का अवतरण

वीरराघवस्वामी मंदिर, तिरुवल्लूर

तिरुवल्लूर तमिलनाडु का एक ज़िला है, जो 3422 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यह मद्रास (वर्तमान चेन्नई) के आरकोनम स्टेशन से 17 मील की दूरी पर स्थित है। उत्तर में यह कांचीपुरम से, पश्चिम में वेल्लोर से, पूर्व में बंगाल की खाड़ी और उत्तर में आंध्र प्रदेश से घिरा हुआ है। तिरुवल्लूर को पहले 'त्रिवेल्लोर' और 'तिरुवल्लूर' के नाम से भी जाना जाता था, किन्तु वर्तमान समय में इसे 'तिरुवल्लूर' ही कहा जाता है।

  • तिरुवल्लूर का संबंध भगवान बालाजी की शयन मुद्रा से है, जो यहाँ के वीरराघव मंदिर में स्थित है।
  • सातवीं शताब्दी में इस क्षेत्र पर पल्लवों का शासन था, जो कई अन्य वंशों के शासकों के अधीन होता हुआ अरकोट के नवाब के पास पहुँचा।
  • उन्नसवीं शताब्दी में तिरुवल्लूर भी अंग्रेज़ों के अधिकार में आ गया था।
  • यहाँ के प्राचीन मंदिर और ख़ूबसूरत झीलें सैलानियों को बड़ी संख्या में आकर्षित करती हैं।
  • तिरुवल्लूर में तमिल, हिन्दी, मलयालम, तेलुगू और उर्दू भाषा बोली जाती है।

पर्यटन स्थल

तिरुवल्लूर के प्रमुख पर्यटन स्थल निम्नलिखित हैं-

  1. मुरुगन मंदिर
  2. वरदराज पेरुमल मंदिर
  3. पूंडी मधा चर्च
  4. सप्त ऋषि तीर्थम
  5. सरवन पोईकई
  6. वीरराघवस्वामी मंदिर
  7. लक्ष्मी नरसिम्हा पेरुमल मंदिर
  8. तिरुप्पासुर शिव मंदिर

वरदराज मंदिर

तिरुवल्लूर में 'वरदराज पेरुमल' का विशाल मंदिर तीन घेरों के अंतर्गत स्थित है। पहले घेरे की लम्बाई 180 फुट और चौड़ाई 155 फुट है। दूसरे की लम्बाई 470 फुट और चौड़ाई 470 फुट और तीसरे की लम्बाई 940 फुट और चौड़ाई 700 फुट है। पहले घेरे के चारों ओर दालान और मध्य में वरदराज की मूर्ति भुजंग पर शयन करती हुई दिखाई देती है। पास ही भगवान शिव का मंदिर है। यह भी कई डेवढ़ियों के भीतर है। दोनों मंदिरों के आगे जगमोहन है और घेरे के आगे गोपुर। दूसरे घेरे में जो पीछे बना था, बहुत-से छोटे स्थान और दालान और पहले गोपुर से अधिक ऊँचे दो गोपुर हैं। तीसरे घेरे के भीतर जो दूसरे के बाद में बना था, 668 स्तंभों का एक मंडप और कई मंदिर तथा पाँच गोपुर हैं, जिनमें प्रथम और अंतिम बहुत विशाल हैं।

जनश्रुति

एक जनश्रुति के अनुसार यह माना जाता है कि अज्ञातवास के समय पांडवों ने यहाँ भगवान शिव की आराधना के फलस्वरूप भयंकर जल त्रास से त्राण पाया था। वदागलाई सम्प्रदाय का केन्द्र यहाँ के अहोविलन मठ में है।

कैसे पहुँचें

वायु मार्ग - यहाँ का निकटतम हवाई अड्डा चेन्नई में है।
रेल मार्ग - तिरुवल्लूर चेन्नई से 44 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है। चेन्नई के सेंट्रल सबअर्बन स्टेशन और चेन्नई बीच स्टेशन से तिरुवल्लूर के लिए ट्रेनें उपलब्ध हैं।
सड़क मार्ग - तिरुपति और तिरुत्तनी को जाने वाली सरकार द्वारा संचालित बसें तिरुवल्लूर को चेन्नई से जोड़ती हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 403 |


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