"परमाणु ऊर्जा शिक्षण संस्था": अवतरणों में अंतर
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==संस्था की शुरुआत== | ==संस्था की शुरुआत== |
12:56, 6 नवम्बर 2013 का अवतरण
परमाणु ऊर्जा शिक्षण संस्था
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विवरण | 'परमाणु ऊर्जा शिक्षण संस्था' 'परमाणु ऊर्जा विभाग' का स्वायत्त निकाय है। यह संस्था 'परमाणु ऊर्जा विभाग' एवं उसके अधीन संघटक इकाइयों में कार्यरत कर्मचारियों की संतानों को बारहवीं कक्षा तक शिक्षा प्रदान करती है। |
देश | भारत |
शुरुआत | 1969 |
विशेष | परमाणु ऊर्जा केंद्रीय विद्यालय तथा कनिष्ठ महाविद्यालय सम्पूर्ण भारत में फैले हुए हैं, जिनकी केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड तथा अन्य राज्य के बोर्डों से सहबद्धता है। |
संबंधित लेख | 'परमाणु ऊर्जा विभाग' |
अन्य जानकारी | प्रशासनिक स्तर पर परमाणु ऊर्जा शिक्षण संस्था के पास प्रधानाचार्यों, उप-प्रधानाचार्यों तथा प्रधानाध्यापकों का जाल तंत्र है, जो सभी विद्यालयों के कुशल संचालन के उत्तरदायी हैं। |
परमाणु ऊर्जा शिक्षण संस्था (पऊशिसं) 'परमाणु ऊर्जा विभाग', भारत सरकार का स्वायत्त निकाय है, जो परमाणु ऊर्जा विभाग एवं उसके अधीन संघटक इकाइयों में कार्यरत कर्मचारियों की संतानों को बारहवीं कक्षा[1] तक उत्तम शिक्षा प्रदान करता है। परमाणु ऊर्जा केंद्रीय विद्यालय तथा कनिष्ठ महाविद्यालय सम्पूर्ण भारत में फैले हुए हैं, जिनकी केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड तथा अन्य राज्य के बोर्डों से सहबद्धता है। परमाणु ऊर्जा शिक्षण संस्था के तहत इस समय 16 विभिन्न केन्द्रों पर 30 विद्यालय/कनिष्ठ महाविद्यालय हैं, जिनमें लगभग 28000 विद्यार्थी, 1547 शिक्षक और 300 गैर शिक्षक कर्मचारी कार्यरत हैं और अपनी सेवाएँ दे रहे हैं।[2]
संस्था की शुरुआत
'परमाणु ऊर्जा शिक्षण संस्था' की शुरुआत परमाणु ऊर्जा विभाग तथा उसकी सहयोगी इकाईयों में कार्यरत कर्मचारियों के बच्चों की गुणवत्ता शिक्षण हेतु की गई थी। सन 1969 में अणुशक्तिनगर, मुंबई से आदर्श शुरुआत के साथ परमाणु ऊर्जा शिक्षण संस्था संतुलित रूप से विकसित होकर वर्तमान में पूरे देश में 30 विद्यालयों तथा 16 कनिष्ठ महाविद्यालयों के साथ व्यवस्थित है। यह गतिशील संस्था के रूप में 1781 कर्मचारियों, जिसमें 1547 शिक्षक, लगभग 28000 विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान करने के उत्तरदायित्व को पूर्ण करती है।
उद्देश्य
भारतीय दर्शनशास्त्र के मूलभूत सिद्धांतों में शिक्षा के मूल उद्देश्य को दर्शाया गया है, जैसा कि ईशावास्य उपनिषद में है-
"शिक्षा सत्य और गुणों को देखने में हमारी सहायता करें", यह परमाणु ऊर्जा शिक्षण संस्था के संप्रतीक में अंकित है।
परमाणु ऊर्जा शिक्षण संस्था का संकेत शब्द है- 'उत्कृष्टता', जो प्रत्येक क्रियाओं तथा कार्यनीति-शैक्षिक व प्रबन्धकीय दोनों क्षेत्रों में व्यापक तथा केन्द्रीय बिन्दु बन गई है। शिक्षा प्रणाली में बडे़ परिवर्तन किये गये थे, जो न केवल आजकल के छात्रों की आवश्यकताओं को अधिक उत्तरदायी बनाते हैं बल्कि संस्था के स्वप्नों (लक्ष्य) की सम्पूर्णता की समझ प्रदान करते हैं। परमाणु ऊर्जा शिक्षण संस्था के प्रयासों को और अधिक प्रगतिशील बनाने के लिए यह तय किया गया था कि उन प्रतिभाशाली बच्चों को जो सामाजिक, शैक्षिक तथा आर्थिक रूप से निर्धन पृष्ठभूमि से हैं तथा ग्रामीण जनजाति क्षेत्रों में रहते हैं, पूरे देश में परमाणु ऊर्जा शिक्षण संस्था के निकट हैं, शिक्षित किया जाय।[2]
प्रतिभा पोषित कार्यक्रम
प्रतिभा पोषित कार्यक्रम (प्र.पो.का.) सन 1999 में प्रारम्भ किया गया था। वर्तमान में 427 बच्चे, जिसमें 203 बालिकाऍं हैं, लाभान्वित हुए हैं। 12वीं कक्षा तक नि:शुल्क शिक्षा देने के अलावा प्रतिभा पोषित कार्यक्रम में चयनित बच्चे मासिक छात्रवृति, वेशभूषा, पुस्तकें आदि के साथ चिकित्सा सुविधाएं भी प्राप्त करते हैं। प्रतिभा पोषित कार्यक्रम का वर्तमान समय में दस परमाणु ऊर्जा शिक्षण संस्था केन्द्रों में लागू है तथा इस वर्ष कुछ अन्य केन्द्रों में बढा़ये जाने की योजना है।
अनुप्रयोग तथा विश्लेषणात्मक पद्धति
जाँच व मूल्याकन की सामान्य वृहत पद्धति के द्वारा परमाणु ऊर्जा शिक्षण संस्था बच्चों में सीखने के अनुप्रयोग तथा विश्लेषणात्मक सोच की पद्धति को उत्साहित करती है। ग्याहरवीं कक्षा के लिए समृद्ध कार्यक्रम तथा 9वीं कक्षा के लिए कनिष्ठ गणित तथा विज्ञान ओलम्पियाड शिक्षण कार्यक्रम, विज्ञान तथा दूसरे प्रकरण में अभिप्रेरण व्याख्यान, नैदानिक परीक्षण, ग्रीष्म कालीन अनुशिक्षण शिविर आदि कार्यक्रम प्रतिभाशाली तथा कमजोर छात्रों दोनों की सहायता के लिए आयोजित किये जातें हैं। शारीरिक शिक्षा, कम्प्यूटर शिक्षण, कला व विज्ञान प्रदर्शनी, परमाणु ऊर्जा शिक्षण संस्था के वानस्पतिक क्षेत्र भ्रमण तथा कक्षा पुस्तकालय पद्धति आदि वृहत् पाठयक्रम के दूसरे महत्तवपूर्ण अंग हैं। इसके अलावा परमाणु ऊर्जा शिक्षण संस्था के 8 केन्द्रों में पूर्व-प्रेप तथा प्रेप कक्षाओं को प्रस्तावित करने से शैशव पूर्व शिक्षा में असाधारण शिक्षा मिलती है।
प्रधानाध्यापक व शिक्षक
शिक्षकों की संव्यावसायिक बढ़त को अनुमिति के द्वारा नई भर्तियों के लिए अभिविन्यास कार्यक्रम व पुनश्चर्या पाठयक्रम, अंग्रेज़ी, गणित तथा विज्ञान के अध्यापकों के लिए कार्यशाला आदि के द्वारा प्रोत्साहित किया जाता है। शिक्षकों के लिए उन्हें अद्यतन करने तथा उनमें शिक्षण निपुणता लाने के लिए परीक्षाएँ भी आयोजित की जाती हैं। प्रशासनिक स्तर पर परमाणु ऊर्जा शिक्षण संस्था के पास प्रधानाचार्यों, उप-प्रधानाचार्यों तथा प्रधानाध्यापकों का जाल तंत्र है, जो सभी विद्यालयों के कुशल संचालन के उत्तरदायी हैं। प्रत्येक वर्ष उनकी अभिक्रियाओं, विचारों को जोड़ने तथा भविष्य की योजनाओं को समन्वित करने के लिए प्रधानाचार्यों व प्रधानाध्यापकों के सम्मेलन आयोजित किये जाते हैं।[2]
कर्मचारियों की कुशलता
परमाणु ऊर्जा शिक्षण संस्था के प्रत्येक कर्मचारी की पूरक कुशलता तथा प्रत्येक विद्यार्थी की चहुँमुखी प्रतिभा, उनके स्वप्नों को समझने में लंबी राह तक जाएगी। जैसा कि कथन है- "उत्कृष्टता एक अस्थिर लक्ष्य है तथा परमाणु ऊर्जा शिक्षण संस्था निरन्तर उन्नतशील है।" साथ ही यह मूल्यों की दृढ़ नीव पर सफलता को प्राप्त करने की शपथ लेता है। परमाणु ऊर्जा शिक्षण संस्था ने विभिन्न क्षेत्रों में विशिष्ट सफलता प्राप्त की है। पुस्तकालयों की संवृद्धि, संगणक की सहायता से शिक्षा प्रदान करने की सुविधा, बेहतर खेल-कूद सुविधाऍं, विविध खेल उपकरण, साहसिक क्रीडा से साक्षात्कार, अध्यापकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम, उत्तम मल्टीमीडिया कार्यक्रम तथा विद्यार्थियों का ज्ञान संवृद्धि कार्यक्रम आदि ने संस्था को गुणवत्ता के नए मापदंड स्थापित करने में सहायता की है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ कनिष्ठ महाविद्यालय
- ↑ 2.0 2.1 2.2 परमाणु ऊर्जा शिक्षण संस्था (हिंदी)। । अभिगमन तिथि: 06 नवामबर, 2013।
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