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06:27, 28 जुलाई 2010 का अवतरण
- 'कल्प' शब्द अनेकार्थी है- विधि, नियम, न्याय आदि। थोड़े अक्षरों वाले साररूप एवं निर्दोष वाक्य का नाम 'सूत्र' है। हिन्दूधर्म तथा हिन्दू-संस्कृति के प्राण 'कल्पसूत्र' हैं।
- हिन्दू जीवन के समस्त कर्म, क्रिया, संस्कृति, अनुष्ठानादि समझाने के एक मात्र अवलंब ये सूत्र ही हैं। वेदों में 4 प्रकार के सूत्र मिलते हैं-
- श्रौतसूत्र,
- गृह्यसूत्र,
- धर्मसूत्र
- शुल्बसूत्र।
- श्रौतसूत्र में मन्त्र-संहिता के कर्मकाण्ड को स्पष्ट किया जाता है,
- गृहसूत्र में कुलाचार का वर्णन होता है,
- धर्मसूत्र में धर्माचार का तथा
- शुल्बसूत्र में ज्यामिति आदि विज्ञान वर्णित है।
- कुछ विद्वान शुल्बसूत्र को कल्पसूत्र का भेद नहीं मानते।
- ग्रन्थों की कुल संख्या 43 है। तीनों सूत्रों के उपलब्ध ग्रन्थों का नामोल्लेख निम्नवत् है-
- कात्यायन शुल्बसूत्र यजुर्वेद का प्रधान शुल्बसूत्र है।
- भौतिक विज्ञान के वर्णन करने वाले शुल्बसूत्रों के लोप होने से वैदिक भौतिक विज्ञान भी लुप्त हो गया।
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