"कंगारू": अवतरणों में अंतर

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*न्यू गिनी में 'डोरकोपसिस'<ref>Dorcopsis</ref> जाति के कंगारू मिलते हैं, जो कुत्ते के आकार के बराबर होते हैं। इनकी पूँछ और टाँगें छोटी होती हैं। इन्हीं के निकट संबंधी तरुकुरंग<ref>डेंड्रोलेगस कंगारू, Dendrolagus kangaroos</ref> हैं, जो पेड़ों पर भी चढ़ जाते हैं। इनके कान छोटे और पूँछ पतली तथा लंबी होती है।
 
*'पैडीमिलस'<ref>pademelous</ref> नामक कंगारू डोलकोपसिस के बराबर होने पर भी छोटे सिर वाले होते हैं। ये न्यु गिनी से टैक्मेनिया तक फैले हुए हैं।
 
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*'मैकरोपस'<ref>Macropus</ref> जाति का महान धूम्रवर्ण कंगारू (ग्रेट ग्रे कंगारू) भी बहुत प्रसिद्ध है। यह घास के मैदान का निवासी है। इसी का निकट संबंधी लाल कंगारू भी किसी से कम प्रसिद्ध नहीं है, यह [[ऑस्ट्रेलिया]] के मध्य भाग के निचले पठारों पर रहता है।
 
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==शारीरिक संरचना==
कंगारू के पैरों में अँगूठे नहीं होते। इनकी दूसरी और तीसरी अँगुलियाँ पतली और आपस में एक झिल्ली से जुड़ी रहती हैं, चौथी और पाँचवीं अँगुली बड़ी होती हैं। चौथी में पुष्ट नख रहता है। कंगारू की पूँछ लंबी और भारी होती है। उछलते समय वे इसी से अपना संतुलन बनाए रहते हैं और बैठते समय इसी को टेककर इस प्रकार बैठे रहते हैं, मानों कुर्सी पर बैठे हों। वे अपनी अगली टाँगों और पूँछ को टेककर पिछली टाँगों को आगे बढ़ाते हैं और उछलकर पर्याप्त दूरी तक पहुँच जाते हैं। कंगारू का मुख छिद्र छोटा होता है, जिसका पर्याप्त भाग ओठों से छिपा रहता है। मुख में निचले कर्तनकदंत<ref>इनसाइज़र्स, incisors</ref> आगे की ओर पर्याप्त बढ़े रहते हैं, जिनसे ये अपना मुख्य भोजन, घास पात, सुगमता से कुतर लेते हैं। इनकी [[आँख|आँखें]] भूरी और औसत कद की, कान गोलाई लिए बड़े और घूमने वाले होते हैं, जिन्हें हिरन आदि की भाँति इधर-उधर घुमाकर ये दूर आहट पा लेते हैं। इनके शरीर के रोएँ पर्याप्त कोमल होते हैं और कुछ के निचले भाग में घने रोओं की एक और तह भी रहती है।
====शिशु थैली====
कंगारू की थैली उसके पेट के निचले भाग में रहती है। यह थैली आगे की ओर खुलती है और उसमें चार थन रहते हैं। जाड़े के आरंभ में इनकी मादा एक बार में एक बच्चा जनती है, जो दो चार इंच से बड़ा नहीं होता। प्रारंभ में बच्चा माँ की थैली में ही रहता है। वह उसको लादे हुए इधर-उधर फिरा करती है। कुछ बड़े हो जाने पर भी बच्चे का सबंध माँ की थेली से नहीं छूटता और वह तनिक-सी आहट पाते ही भागकर उसमें घुस जाता है। किंतु और बड़ा हो जाने पर यह थेली उसके लिए छोटी पड़ जाती है और वह माँ का साथ छोड़कर अपना स्वतंत्र जीवन बिताने लगता है।
 
[[ऑस्ट्रेलिया]] के लोग कंगारू का मांस खाते हैं और उसकी पूँछ का रस बड़े स्वाद से पीते हैं। वैसे तो यह शांति प्रिय शाकाहारी जीव है, परंतु आत्मरक्षा के समय यह अपनी पिछली टाँगों से भयंकर प्रहार करता भी कर सकने में सक्षम होता है।
 
 
 
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12:59, 10 मई 2014 का अवतरण

कंगारू
जगत जंतु (Animalia)
संघ रज्जुकी (Chordata)
वर्ग स्तनपायी (Mammalia)
उप-वर्ग Marsupialia (शिशुधानीय)
गण Diprotodontia
उपगण Macropodiformes
कुल Macropodidae
प्रजाति Macropus

कंगारू ऑस्ट्रेलिया के प्रसिद्ध शाकाहारी, शिशुधानीय[1] जीव हैं, जो स्तनप्राणियों में अपने ढंग के निराले प्राणी हैं। इन्हें सन 1773 ई. में कैप्टन कुक ने देखा था और तभी से ये सभ्य जगत के सामने आए। इनकी पिछली टाँगें लंबी और अगली छोटी होती हैं, जिससे ये उछल-उछलकर चलते हैं। पूँछ लंबी और मोटी होती है, जो सिरे की ओर पतली होती जाती है।

स्तनधारी जीव

कंगारू स्तनधारियों के शिशुधनिन भाग[2] के जीव हैं, जिनकी विशेषता उनके शरीर की थैली है। जन्म के पश्चात उनके बच्चे बहुत दिनों तक इस थैली में रहते हैं। इनमें सबसे बड़े, भीम कंगारू (जायंट कंगारू) छोटे घोड़े के बराबर और सबसे छोटे, गंध कंगारू (मस्क कंगारू) खरहे से भी छोटे होते हैं।

जातियाँ

कंगारू केवल ऑस्ट्रेलिया में ही पाए जाते हैं। वहाँ इनकी 21 प्रजातियों[3] का अब तक पता चल सका है, जिनमें 158 जातियाँ तथा उपजातियाँ सम्मिलित हैं। इनमें से कुछ प्रसिद्ध कंगारू जातियाँ इस प्रकार हैं-

  • न्यू गिनी में 'डोरकोपसिस'[4] जाति के कंगारू मिलते हैं, जो कुत्ते के आकार के बराबर होते हैं। इनकी पूँछ और टाँगें छोटी होती हैं। इन्हीं के निकट संबंधी तरुकुरंग[5] हैं, जो पेड़ों पर भी चढ़ जाते हैं। इनके कान छोटे और पूँछ पतली तथा लंबी होती है।
  • 'पैडीमिलस'[6] नामक कंगारू डोलकोपसिस के बराबर होने पर भी छोटे सिर वाले होते हैं। ये न्यु गिनी से टैक्मेनिया तक फैले हुए हैं।
  • 'प्रोटेमनोडन'[7] जाति के कई कंगारू बहुत प्रसिद्ध हैं, जो घास के मैदानों में रहते हैं। ये रात में चराई करके दिन का समय किसी झाड़ी में बिताते हैं। इनकी पूँछ, कान और टाँगें लंबी होती हैं।
  • 'मैकरोपस'[8] जाति का महान धूम्रवर्ण कंगारू (ग्रेट ग्रे कंगारू) भी बहुत प्रसिद्ध है। यह घास के मैदान का निवासी है। इसी का निकट संबंधी लाल कंगारू भी किसी से कम प्रसिद्ध नहीं है, यह ऑस्ट्रेलिया के मध्य भाग के निचले पठारों पर रहता है।
  • 'शैलधाकुरंग'[9] और 'ओनीकोगोल'[10] प्रजाति के शैल वैलेबी[11] और नखपुच्छ (नेल टेल) वैलेबी नाम के कंगारू बहुत सुंदर और छोटे कद के होते हैं। इनमें से पूर्वोंक्त प्रजाति वाले कंगारू पहाड़ की खोहों में और दूसरे घास के मैदानों में रहते हैं।
  • 'पैलार्किस्टिस'[12] जाति के प्रातिनूतन भीम कंगारू[13] काफ़ी बड़े (लगभग छोटे घोड़े के भार के) होते हैं। इनका मुख्य भोजन घास पात और फल आदि होते हैं। इनका सिर छोटा, जबड़ा भारी और टाँगें छोटी होती हैं।

शारीरिक संरचना

कंगारू के पैरों में अँगूठे नहीं होते। इनकी दूसरी और तीसरी अँगुलियाँ पतली और आपस में एक झिल्ली से जुड़ी रहती हैं, चौथी और पाँचवीं अँगुली बड़ी होती हैं। चौथी में पुष्ट नख रहता है। कंगारू की पूँछ लंबी और भारी होती है। उछलते समय वे इसी से अपना संतुलन बनाए रहते हैं और बैठते समय इसी को टेककर इस प्रकार बैठे रहते हैं, मानों कुर्सी पर बैठे हों। वे अपनी अगली टाँगों और पूँछ को टेककर पिछली टाँगों को आगे बढ़ाते हैं और उछलकर पर्याप्त दूरी तक पहुँच जाते हैं। कंगारू का मुख छिद्र छोटा होता है, जिसका पर्याप्त भाग ओठों से छिपा रहता है। मुख में निचले कर्तनकदंत[14] आगे की ओर पर्याप्त बढ़े रहते हैं, जिनसे ये अपना मुख्य भोजन, घास पात, सुगमता से कुतर लेते हैं। इनकी आँखें भूरी और औसत कद की, कान गोलाई लिए बड़े और घूमने वाले होते हैं, जिन्हें हिरन आदि की भाँति इधर-उधर घुमाकर ये दूर आहट पा लेते हैं। इनके शरीर के रोएँ पर्याप्त कोमल होते हैं और कुछ के निचले भाग में घने रोओं की एक और तह भी रहती है।

शिशु थैली

कंगारू की थैली उसके पेट के निचले भाग में रहती है। यह थैली आगे की ओर खुलती है और उसमें चार थन रहते हैं। जाड़े के आरंभ में इनकी मादा एक बार में एक बच्चा जनती है, जो दो चार इंच से बड़ा नहीं होता। प्रारंभ में बच्चा माँ की थैली में ही रहता है। वह उसको लादे हुए इधर-उधर फिरा करती है। कुछ बड़े हो जाने पर भी बच्चे का सबंध माँ की थेली से नहीं छूटता और वह तनिक-सी आहट पाते ही भागकर उसमें घुस जाता है। किंतु और बड़ा हो जाने पर यह थेली उसके लिए छोटी पड़ जाती है और वह माँ का साथ छोड़कर अपना स्वतंत्र जीवन बिताने लगता है।

ऑस्ट्रेलिया के लोग कंगारू का मांस खाते हैं और उसकी पूँछ का रस बड़े स्वाद से पीते हैं। वैसे तो यह शांति प्रिय शाकाहारी जीव है, परंतु आत्मरक्षा के समय यह अपनी पिछली टाँगों से भयंकर प्रहार करता भी कर सकने में सक्षम होता है।



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संबंधित लेख

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. मार्सूपियल, marsupal
  2. मार्सूपियल, marsupialia
  3. जीनस, genus
  4. Dorcopsis
  5. डेंड्रोलेगस कंगारू, Dendrolagus kangaroos
  6. pademelous
  7. Protemnodon
  8. Macropus
  9. पेट्रोग्रोल, Petrogole
  10. Onychogole
  11. रॉक वैलेबी, Rock Wallaby
  12. Palorchistes
  13. प्लाइस्टोसीन जायंट कंगारू, pliestocene giant kangaroo
  14. इनसाइज़र्स, incisors