"कॉलेज में पहला दिन -राजेंद्र प्रसाद": अवतरणों में अंतर

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सीधे-सादे डॉ. राजेंद्र प्रसाद जब पहले दिन अपनी क्लास में पहुंचे तो वहां का दृश्य देखकर दंग रह गए। लगा जैसे अंग्रेजों के किसी जलसे में आए हुए हों। अधिकतर लड़कों ने कोट व पतलून पहन रखी थी। कुछ मुसलमान छात्र जरूर उनसे अलग दिख रहे थे, जो पायजामा और टोपी पहनकर आए थे।
सीधे-सादे [[राजेंद्र प्रसाद|डॉ. राजेंद्र प्रसाद]] जब पहले दिन अपनी क्लास में पहुंचे तो वहां का दृश्य देखकर दंग रह गए। लगा जैसे अंग्रेज़ों के किसी जलसे में आए हुए हों। अधिकतर लड़कों ने कोट व पतलून पहन रखी थी। कुछ [[मुसलमान]] छात्र जरूर उनसे अलग दिख रहे थे, जो पायजामा और टोपी पहनकर आए थे।


राजेंद्र प्रसाद की वेशभूषा मुसलमान छात्रों से मेल खाती थी। ये सभी एफए करने के लिए प्रेज़िडेंसी कॉलेज में पढ़ते थे और मदरसे के छात्र कहलाते थे। इनकी उपस्थिति का रजिस्टर अलग रखा जाता था। जब अध्यापक ने हाजिरी के लिए नाम पुकारा तो राजेंद्र प्रसाद अपना नाम पुकारे जाने की प्रतीक्षा करते रहे। जब उनका नाम नहीं पुकारा गया और अध्यापक ने रजिस्टर बंद कर दिया, तो वह अपने स्थान पर खड़े हो गए। उन्हें देख सभी लड़के हंसने लगे।
राजेंद्र प्रसाद की वेशभूषा मुसलमान छात्रों से मेल खाती थी। ये सभी एफ.ए. करने के लिए प्रेज़िडेंसी कॉलेज में पढ़ते थे और मदरसे के छात्र कहलाते थे। इनकी उपस्थिति का रजिस्टर अलग रखा जाता था। जब अध्यापक ने हाजिरी के लिए नाम पुकारा तो राजेंद्र प्रसाद अपना नाम पुकारे जाने की प्रतीक्षा करते रहे। जब उनका नाम नहीं पुकारा गया और अध्यापक ने रजिस्टर बंद कर दिया, तो वह अपने स्थान पर खड़े हो गए। उन्हें देख सभी लड़के हंसने लगे।


राजेंद्र प्रसाद बोले- सर, आपने मेरा नाम नहीं पुकारा, मुझे अपना रोल नंबर मालूम नहीं है। अध्यापक ने कहा- रुको, मैंने अभी मदरसे के छात्रों की उपस्थिति नहीं लगाई है। राजेंद्र प्रसाद बोले- मैं मदरसे का छात्र नहीं हूं। मैं तो बिहार से अभी-अभी आया हूं। मेरा नाम हाल में ही लिखा गया होगा।
राजेंद्र प्रसाद बोले- सर, आपने मेरा नाम नहीं पुकारा, मुझे अपना रोल नंबर मालूम नहीं है। अध्यापक ने कहा- रुको, मैंने अभी मदरसे के छात्रों की उपस्थिति नहीं लगाई है। राजेंद्र प्रसाद बोले- मैं मदरसे का छात्र नहीं हूं। मैं तो [[बिहार]] से अभी-अभी आया हूं। मेरा नाम हाल में ही लिखा गया होगा।


अध्यापक ने पूछा- तुम्हारा नाम क्या है? राजेंद्र बाबू ने अपना नाम बताया। अध्यापक ने आश्चर्य से कहा- तो तुम राजेंद्र प्रसाद हो, जिसने कोलकाता विश्वविद्यालय के एंट्रेस टेस्ट में टॉप किया है। राजेंद्र प्रसाद ने सिर झुका लिया। उन्होंने देखा कि सभी छात्र उन्हें टकटकी लगाए देख रहे हैं। थोड़ी ही देर पहले उन पर हंसने वालों की नजरों में अब उनके प्रति सम्मान जाग उठा था। अध्यापक ने प्रसन्नतापूर्वक उनका नाम रजिस्टर में चढ़ाकर उनकी उपस्थिति लगा दी।
अध्यापक ने पूछा- तुम्हारा नाम क्या है? राजेंद्र बाबू ने अपना नाम बताया। अध्यापक ने आश्चर्य से कहा- तो तुम राजेंद्र प्रसाद हो, जिसने [[कोलकाता विश्वविद्यालय]] के एंट्रेस टेस्ट में टॉप किया है। राजेंद्र प्रसाद ने सिर झुका लिया। उन्होंने देखा कि सभी छात्र उन्हें टकटकी लगाए देख रहे हैं। थोड़ी ही देर पहले उन पर हंसने वालों की नजरों में अब उनके प्रति सम्मान जाग उठा था। अध्यापक ने प्रसन्नतापूर्वक उनका नाम रजिस्टर में चढ़ाकर उनकी उपस्थिति लगा दी।
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07:49, 13 अगस्त 2014 का अवतरण

कॉलेज में पहला दिन -राजेंद्र प्रसाद
राजेंद्र प्रसाद
राजेंद्र प्रसाद
विवरण राजेंद्र प्रसाद
भाषा हिंदी
देश भारत
मूल शीर्षक प्रेरक प्रसंग
उप शीर्षक राजेंद्र प्रसाद के प्रेरक प्रसंग
संकलनकर्ता अशोक कुमार शुक्ला

सीधे-सादे डॉ. राजेंद्र प्रसाद जब पहले दिन अपनी क्लास में पहुंचे तो वहां का दृश्य देखकर दंग रह गए। लगा जैसे अंग्रेज़ों के किसी जलसे में आए हुए हों। अधिकतर लड़कों ने कोट व पतलून पहन रखी थी। कुछ मुसलमान छात्र जरूर उनसे अलग दिख रहे थे, जो पायजामा और टोपी पहनकर आए थे।

राजेंद्र प्रसाद की वेशभूषा मुसलमान छात्रों से मेल खाती थी। ये सभी एफ.ए. करने के लिए प्रेज़िडेंसी कॉलेज में पढ़ते थे और मदरसे के छात्र कहलाते थे। इनकी उपस्थिति का रजिस्टर अलग रखा जाता था। जब अध्यापक ने हाजिरी के लिए नाम पुकारा तो राजेंद्र प्रसाद अपना नाम पुकारे जाने की प्रतीक्षा करते रहे। जब उनका नाम नहीं पुकारा गया और अध्यापक ने रजिस्टर बंद कर दिया, तो वह अपने स्थान पर खड़े हो गए। उन्हें देख सभी लड़के हंसने लगे।

राजेंद्र प्रसाद बोले- सर, आपने मेरा नाम नहीं पुकारा, मुझे अपना रोल नंबर मालूम नहीं है। अध्यापक ने कहा- रुको, मैंने अभी मदरसे के छात्रों की उपस्थिति नहीं लगाई है। राजेंद्र प्रसाद बोले- मैं मदरसे का छात्र नहीं हूं। मैं तो बिहार से अभी-अभी आया हूं। मेरा नाम हाल में ही लिखा गया होगा।

अध्यापक ने पूछा- तुम्हारा नाम क्या है? राजेंद्र बाबू ने अपना नाम बताया। अध्यापक ने आश्चर्य से कहा- तो तुम राजेंद्र प्रसाद हो, जिसने कोलकाता विश्वविद्यालय के एंट्रेस टेस्ट में टॉप किया है। राजेंद्र प्रसाद ने सिर झुका लिया। उन्होंने देखा कि सभी छात्र उन्हें टकटकी लगाए देख रहे हैं। थोड़ी ही देर पहले उन पर हंसने वालों की नजरों में अब उनके प्रति सम्मान जाग उठा था। अध्यापक ने प्रसन्नतापूर्वक उनका नाम रजिस्टर में चढ़ाकर उनकी उपस्थिति लगा दी।


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