"एहोल": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
(ऐहोल को अनुप्रेषित (रिडायरेक्ट))
 
No edit summary
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
#REDIRECT [[ऐहोल]]
[[चित्र:Durga-Temple-Aihole.jpg|thumb|250px|दुर्गा मन्दिर, एहोल]]
[[चित्र:Meguti-Jain-Temple.jpg|thumb|250px|मेगुती जैन मंदिर]]
'''एहोल''' [[कर्नाटक]] के [[बीजापुर]] में स्थित, [[बादामी]] के निकट, बहुत प्राचीन स्थान है। इसे [[एहोड़]] और आइहोल के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ से चालुक्य नरेश पुल्केशिन द्धितीय का 634 ई. का एक अभिलेख प्राप्त हुआ है। यह प्रशस्ति के रूप में है और संस्कृत काव्य परम्परा में लिखा गया है। इसका रचयिता जैन कवि रविकीर्ति था। इस अभिलेख में [[पुलकेशी द्वितीय]] की विजयों का वर्णन है। इस अभिलेख में पुलकेशी द्वितीय के हाथों [[हर्षवर्धन]] की पराजय का भी वर्णन है।
==मन्दिरों के अवशेष==
यहाँ हमें 70 मन्दिरों के [[अवशेष]] मिलते हैं। एहोल का भारतीय मन्दिर वास्तुकला की पाठशाला कहा गया है। इसे 'एहोल का नगर' भी कहा जाता है। एहोल के मन्दिरों से [[दक्षिण भारत]] के हिन्दू मन्दिर [[वास्तुकला]] के इतिहास को समझने में सहायता मिलती है। एहोल के चालुक्यकालीन तीन मन्दिर विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। उनके नाम लाड़खान मन्दिर, दुर्गा मन्दिर तथा हच्चीमल्लीगुड्डी मन्दिर हैं।
;लाद खान मन्दिर
{{main|लाद खान मन्दिर}}
लाद खान मन्दिर 450 ई. में निर्मित माना जाता है। यह वर्गाकार है। नीची तथा सपाट छत वाले इस वर्गाकार भवन की प्रत्येक दीवार 50 फुट लम्बी है। यह मन्दिर अपनी विशालता, रचना की सरलता, नक्शे की वास्तुकला के विवरण, इन सब बातों में गुफा मन्दिरों से मिलता जुलता है।
;दुर्गा मन्दिर
दुर्गा मन्दिर सम्भवतः छठी [[सदी]] का है। यह मन्दिर बौद्ध चैत्य को ब्राह्मण धर्म के मन्दिर के रूप में उपयोग में लाने का एक प्रयोग है। इस मन्दिर का ढाँचा अर्द्धवृत्ताकार है।
;हच्चीमल्लीगुड्डी मन्दिर
हच्चीमल्लीगुड्डी मन्दिर बहुत कुछ दुर्गा मन्दिर से मिलता-जुलता है। यद्यपि यह उससे बनावट में अधिक सरल तथा आकार में छोटा है। भीतरी कक्ष तथा मुख्य हॉल के बीच अन्तराल इसकी एक नई विशेषता है।
;जैन मन्दिर
एहोल में सबसे बाद में बनने वाले मन्दिरों में [[मेगुती जैन मंदिर]] है, जो कि 634 ई. का है। यह मन्दिर अभी अधूरा है।
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}}
==संबंधित लेख==
{{कर्नाटक के ऐतिहासिक स्थान}}
{{कर्नाटक के पर्यटन स्थल}}
[[Category:कर्नाटक]]
[[Category:कर्नाटक के ऐतिहासिक स्थान]] [[Category:इतिहास कोश]]
[[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]]
__INDEX__

08:44, 5 जनवरी 2015 का अवतरण

दुर्गा मन्दिर, एहोल
मेगुती जैन मंदिर

एहोल कर्नाटक के बीजापुर में स्थित, बादामी के निकट, बहुत प्राचीन स्थान है। इसे एहोड़ और आइहोल के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ से चालुक्य नरेश पुल्केशिन द्धितीय का 634 ई. का एक अभिलेख प्राप्त हुआ है। यह प्रशस्ति के रूप में है और संस्कृत काव्य परम्परा में लिखा गया है। इसका रचयिता जैन कवि रविकीर्ति था। इस अभिलेख में पुलकेशी द्वितीय की विजयों का वर्णन है। इस अभिलेख में पुलकेशी द्वितीय के हाथों हर्षवर्धन की पराजय का भी वर्णन है।

मन्दिरों के अवशेष

यहाँ हमें 70 मन्दिरों के अवशेष मिलते हैं। एहोल का भारतीय मन्दिर वास्तुकला की पाठशाला कहा गया है। इसे 'एहोल का नगर' भी कहा जाता है। एहोल के मन्दिरों से दक्षिण भारत के हिन्दू मन्दिर वास्तुकला के इतिहास को समझने में सहायता मिलती है। एहोल के चालुक्यकालीन तीन मन्दिर विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। उनके नाम लाड़खान मन्दिर, दुर्गा मन्दिर तथा हच्चीमल्लीगुड्डी मन्दिर हैं।

लाद खान मन्दिर

लाद खान मन्दिर 450 ई. में निर्मित माना जाता है। यह वर्गाकार है। नीची तथा सपाट छत वाले इस वर्गाकार भवन की प्रत्येक दीवार 50 फुट लम्बी है। यह मन्दिर अपनी विशालता, रचना की सरलता, नक्शे की वास्तुकला के विवरण, इन सब बातों में गुफा मन्दिरों से मिलता जुलता है।

दुर्गा मन्दिर

दुर्गा मन्दिर सम्भवतः छठी सदी का है। यह मन्दिर बौद्ध चैत्य को ब्राह्मण धर्म के मन्दिर के रूप में उपयोग में लाने का एक प्रयोग है। इस मन्दिर का ढाँचा अर्द्धवृत्ताकार है।

हच्चीमल्लीगुड्डी मन्दिर

हच्चीमल्लीगुड्डी मन्दिर बहुत कुछ दुर्गा मन्दिर से मिलता-जुलता है। यद्यपि यह उससे बनावट में अधिक सरल तथा आकार में छोटा है। भीतरी कक्ष तथा मुख्य हॉल के बीच अन्तराल इसकी एक नई विशेषता है।

जैन मन्दिर

एहोल में सबसे बाद में बनने वाले मन्दिरों में मेगुती जैन मंदिर है, जो कि 634 ई. का है। यह मन्दिर अभी अधूरा है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

संबंधित लेख