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'''रामकेलि''' [[बंगाल (आज़ादी से पूर्व)|बंगाल]] स्थित एक ऐतिहासिक नगर है, जिसे 15वीं शती ई. में बसाया गया था। | '''रामकेलि''' [[बंगाल (आज़ादी से पूर्व)|बंगाल]] स्थित एक ऐतिहासिक नगर है, जिसे 15वीं शती ई. में बसाया गया था। | ||
*बंगाल के शासक [[हुसैनशाह]] के मंत्रिद्वय 'रूप' और 'सनातन' ने इस नगर को बसाया था। | *बंगाल के शासक [[अलाउद्दीन हुसैनशाह]] के मंत्रिद्वय 'रूप' और 'सनातन' ने इस नगर को बसाया था। | ||
*रूप तथा सनातन ने यहाँ भगवान [[राम]] के मंदिर का निर्माण करवाया था। रामकेलि के निकट इन्होंने 'कन्हाई नाट्यशाला' नामक कृष्ण मंदिर भी बनवाया था। | *रूप तथा सनातन ने यहाँ भगवान [[राम]] के मंदिर का निर्माण करवाया था। रामकेलि के निकट इन्होंने 'कन्हाई नाट्यशाला' नामक कृष्ण मंदिर भी बनवाया था। | ||
*कालांतर में रूप तथा सनातन [[चैतन्य महाप्रभु]] के शिष्य बनकर [[वृंदावन]] चले गये थे। | *कालांतर में रूप तथा सनातन [[चैतन्य महाप्रभु]] के शिष्य बनकर [[वृंदावन]] चले गये थे। |
12:27, 11 जनवरी 2015 के समय का अवतरण
रामकेलि बंगाल स्थित एक ऐतिहासिक नगर है, जिसे 15वीं शती ई. में बसाया गया था।
- बंगाल के शासक अलाउद्दीन हुसैनशाह के मंत्रिद्वय 'रूप' और 'सनातन' ने इस नगर को बसाया था।
- रूप तथा सनातन ने यहाँ भगवान राम के मंदिर का निर्माण करवाया था। रामकेलि के निकट इन्होंने 'कन्हाई नाट्यशाला' नामक कृष्ण मंदिर भी बनवाया था।
- कालांतर में रूप तथा सनातन चैतन्य महाप्रभु के शिष्य बनकर वृंदावन चले गये थे।
- चैतन्य भी स्वयं रामकेलि आए थे।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 787 |