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'''आग सुलगना''' एक प्रचलित [[कहावत लोकोक्ति मुहावरे|लोकोक्ति]] अथवा [[हिन्दी]] मुहावरा है।
'''आग सुलगना''' एक प्रचलित [[कहावत लोकोक्ति मुहावरे|लोकोक्ति]] अथवा [[हिन्दी]] मुहावरा है।


'''अर्थ'''- असंतोष के फलस्वरुप [[बैराठ जयपुर|बैर]], विरोध विद्रोह आदि की भावना धीरे-धीरे फैलना।
'''अर्थ'''- असंतोष के फलस्वरुप बैर विरोध विद्रोह आदि की भावना धीरे-धीरे फैलना।


'''प्रयोग'''- इलाके में [[आग]] सुलग रही थी, [[हवा महल जयपुर|हवा]] पाते ही भड़क उठी। - ([[प्रेमचंद]])
'''प्रयोग'''- इलाके में [[आग]] सुलग रही थी, हवा पाते ही भड़क उठी। - ([[प्रेमचंद]])





11:22, 24 अक्टूबर 2015 का अवतरण

आग सुलगना एक प्रचलित लोकोक्ति अथवा हिन्दी मुहावरा है।

अर्थ- असंतोष के फलस्वरुप बैर विरोध विद्रोह आदि की भावना धीरे-धीरे फैलना।

प्रयोग- इलाके में आग सुलग रही थी, हवा पाते ही भड़क उठी। - (प्रेमचंद)


टीका टिप्पणी और संदर्भ

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