"उठाना-बैठाना": अवतरणों में अंतर
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कविता भाटिया (वार्ता | योगदान) (''''उठाना-बैठाना''' एक प्रचलित कहावत लोकोक्ति मुहावरे...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
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'''अर्थ''' - नाच नचाना। | '''अर्थ''' - नाच नचाना। | ||
'''प्रयोग''' - वह जानती थी कि अम्मा चाहे मुँह से कुछ न कहे किंतु अपनी खतरनाक आँखों से डमरु बजाकर उसे शाखामृगी-सी ही उठा-बैठा सकती थी। [[शिवानी]] | '''प्रयोग''' - वह जानती थी कि अम्मा चाहे मुँह से कुछ न कहे किंतु अपनी खतरनाक आँखों से डमरु बजाकर उसे शाखामृगी-सी ही उठा-बैठा सकती थी। -[[शिवानी]] | ||