"आँखों के आगे अँधेरा छाना": अवतरणों में अंतर

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'''अर्थ'''-  
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#निराशा पूर्ण वातावरण या अंधकार-पूर्ण [[भविष्य पुराण|भविष्य]] प्रतीत होना।
#निराशा पूर्ण वातावरण या अंधकार-पूर्ण भविष्य प्रतीत होना।
#चक्कर आने, झाई पड़ने या कमजोर के कारण थोड़ी देर के लिए देखने की [[शक्ति और क्षमा -रामधारी सिंह दिनकर|शक्ति]] खो बैठना।
#चक्कर आने, झाई पड़ने या कमजोर के कारण थोड़ी देर के लिए देखने की शक्ति खो बैठना।




'''प्रयोग'''- [[राशि]] [[वर्ष]] ठीक हो जाने पर जब लेने-देने की बातें होने लगतीं तब [[कृष्ण|कृष्णचंद्र]] की [[आँख|आँखों]] लके सामने अँधेरा छा जाता था। - ([[प्रेमचंद]])
'''प्रयोग'''- [[राशि]] [[वर्ष]] ठीक हो जाने पर जब लेने-देने की बातें होने लगतीं तब कृष्णचंद्र की [[आँख|आँखों]] लके सामने अँधेरा छा जाता था। - ([[प्रेमचंद]])





11:51, 24 अक्टूबर 2015 का अवतरण

आँखों के आगे अँधेरा छाना एक प्रचलित लोकोक्ति अथवा हिन्दी मुहावरा है।

अर्थ-

  1. निराशा पूर्ण वातावरण या अंधकार-पूर्ण भविष्य प्रतीत होना।
  2. चक्कर आने, झाई पड़ने या कमजोर के कारण थोड़ी देर के लिए देखने की शक्ति खो बैठना।


प्रयोग- राशि वर्ष ठीक हो जाने पर जब लेने-देने की बातें होने लगतीं तब कृष्णचंद्र की आँखों लके सामने अँधेरा छा जाता था। - (प्रेमचंद)


टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

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