"आँखें फाड़कर देखना": अवतरणों में अंतर

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'''अर्थ'''- आश्चर्य मिश्रित विकलता से देखना।
'''अर्थ'''- आश्चर्य मिश्रित विकलता से देखना।


'''प्रयोग'''- इस [[पहाड़ी बोली|पहाड़ी]] से जब तुम ऊपर उड़ोगे तब तुम्हारा उड़ना देखकर सिद्धों की भोली-भोली स्त्रियाँ  [[आँख |आँखें]] फाड़ फाड़कर तुम्हारी ओर देखती हुई सोचेंगी कि  कहीं पहाड़ की चोटी को [[पवन]] तो नही उड़ाए लिए चला जा रहा है। - (सीताराम चतुवर्वेदी)
'''प्रयोग'''- इस पहाड़ी से जब तुम ऊपर उड़ोगे तब तुम्हारा उड़ना देखकर सिद्धों की भोली-भोली स्त्रियाँ  [[आँख |आँखें]] फाड़ फाड़कर तुम्हारी ओर देखती हुई सोचेंगी कि  कहीं पहाड़ की चोटी को [[पवन]] तो नही उड़ाए लिए चला जा रहा है। - (सीताराम चतुवर्वेदी)





10:21, 25 अक्टूबर 2015 का अवतरण

आँखें फाड़कर देखना एक प्रचलित लोकोक्ति अथवा हिन्दी मुहावरा है।

अर्थ- आश्चर्य मिश्रित विकलता से देखना।

प्रयोग- इस पहाड़ी से जब तुम ऊपर उड़ोगे तब तुम्हारा उड़ना देखकर सिद्धों की भोली-भोली स्त्रियाँ आँखें फाड़ फाड़कर तुम्हारी ओर देखती हुई सोचेंगी कि कहीं पहाड़ की चोटी को पवन तो नही उड़ाए लिए चला जा रहा है। - (सीताराम चतुवर्वेदी)


टीका टिप्पणी और संदर्भ

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