"आना-जाना": अवतरणों में अंतर

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'''आना-जाना''' एक प्रचलित [[कहावत लोकोक्ति मुहावरे|लोकोक्ति]] अथवा [[हिन्दी]] मुहावरा है।
'''आना-जाना''' एक प्रचलित [[कहावत लोकोक्ति मुहावरे|लोकोक्ति]] अथवा [[हिन्दी]] मुहावरा है।


'''अर्थ'''-  
'''अर्थ''' - एक-दूसरे के यहाँ बराबर मिलने के लिए आते-जाते रहना।<br />
#एक-दूसरे के यहाँ बराबर मिलने के लिए आते-जाते रहना।  
'''प्रयोग''' - दोनों [[परिवार|परिवारों]] में आना-जाना इतना ज्यादा बढ़ गया है कि दूसरे का हाल जाने बिना चैन नहीं पड़ता। - (गिरिधर गोपाल)
#सूझना।
#जनमना और मरना।
#नफ़ा-नुकसान, हानि-लाभ।




'''प्रयोग''' -  
'''अर्थ''' - सूझना<br />
#दोनों [[परिवार|परिवारों]] में आना-जाना इतना ज्यादा बढ़ गया है कि दूसरे का हाल जाने बिना चैन नहीं पड़ता। - (गिरिधर गोपाल)
'''प्रयोग''' - मन में इस वक्त कुछ भी आ-जा नहीं रहा था। - ([[कमलेश्वर]])
#मन में इस वक्त कुछ भी आ-जा नहीं रहा था। - ([[कमलेश्वर]])
 
#दुनिया यों ही चलती रही है, चलती रहेगी; किसी के आने-जाने से कोई ख़ास फ़र्क नहीं पड़ता। - (गिरिधर गोपाल)
 
#बस आए दिन टंटा ख़ैर, जाने दीजिए, जब तकदीर ही काले पानी को सज़ा दे रही है तो फिर किसी तदबीर से क्या आना-जाना। - (राजा राधिका रमण प्रसाद सिहं)  
'''अर्थ''' - जनमना और मरना<br />
'''प्रयोग''' - दुनिया यों ही चलती रही है, चलती रहेगी; किसी के आने-जाने से कोई ख़ास फ़र्क नहीं पड़ता। - (गिरिधर गोपाल)
 
 
'''अर्थ''' - नफ़ा-नुकसान, हानि-लाभ<br />
'''प्रयोग''' - बस आए दिन टंटा। ...ख़ैर, जाने दीजिए, जब तकदीर ही काले पानी को सज़ा दे रही है तो फिर किसी तदबीर से क्या आना-जाना। - (राजा राधिका रमण प्रसाद सिहं)  


==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==

12:34, 29 अक्टूबर 2015 का अवतरण

आना-जाना एक प्रचलित लोकोक्ति अथवा हिन्दी मुहावरा है।

अर्थ - एक-दूसरे के यहाँ बराबर मिलने के लिए आते-जाते रहना।
प्रयोग - दोनों परिवारों में आना-जाना इतना ज्यादा बढ़ गया है कि दूसरे का हाल जाने बिना चैन नहीं पड़ता। - (गिरिधर गोपाल)


अर्थ - सूझना
प्रयोग - मन में इस वक्त कुछ भी आ-जा नहीं रहा था। - (कमलेश्वर)


अर्थ - जनमना और मरना
प्रयोग - दुनिया यों ही चलती रही है, चलती रहेगी; किसी के आने-जाने से कोई ख़ास फ़र्क नहीं पड़ता। - (गिरिधर गोपाल)


अर्थ - नफ़ा-नुकसान, हानि-लाभ
प्रयोग - बस आए दिन टंटा। ...ख़ैर, जाने दीजिए, जब तकदीर ही काले पानी को सज़ा दे रही है तो फिर किसी तदबीर से क्या आना-जाना। - (राजा राधिका रमण प्रसाद सिहं)

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

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