"भारतीय रेल": अवतरणों में अंतर
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'''भारतीय रेल''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Indian Railways'') [[एशिया]] का सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। एक प्रबंधनाधीन यह विश्व का दूसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। यह 160 वर्षों से भी अधिक समय तक [[भारत]] के परिवहन क्षेत्र का मुख्य संघटक रहा है। यह विश्व का सबसे बड़ा नियोक्ता है, इसके वर्तमान में 14 लाख से भी अधिक कर्मचारी हैं। यह न केवल भारत की मूल संरचनात्मक आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, अपितु बिखरे हुए क्षेत्रों को एक साथ जोड़ने में और देश की राष्ट्रीय अखंडता का भी संवर्धन करता है। राष्ट्रीय आपात स्थिति के दौरान आपदा ग्रस्त क्षेत्रों में राहत सामग्री पहुंचाने में भारतीय रेलवे अग्रणी रहा है। | '''भारतीय रेल''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Indian Railways'') [[एशिया]] का सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। एक प्रबंधनाधीन यह विश्व का दूसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। यह 160 वर्षों से भी अधिक समय तक [[भारत]] के परिवहन क्षेत्र का मुख्य संघटक रहा है। यह विश्व का सबसे बड़ा नियोक्ता है, इसके वर्तमान में 14 लाख से भी अधिक कर्मचारी हैं। यह न केवल भारत की मूल संरचनात्मक आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, अपितु बिखरे हुए क्षेत्रों को एक साथ जोड़ने में और देश की राष्ट्रीय अखंडता का भी संवर्धन करता है। राष्ट्रीय आपात स्थिति के दौरान आपदा ग्रस्त क्षेत्रों में राहत सामग्री पहुंचाने में भारतीय रेलवे अग्रणी रहा है। |
08:54, 15 मई 2016 का अवतरण
भारतीय रेल
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विवरण | भारतीय रेल एशिया का सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है तथा एक प्रबंधनाधीन यह विश्व का दूसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। |
प्रकार | सार्वजनिक |
उद्योग | रेलवे तथा लोकोमोटिव |
अधीन एवं स्वामित्व | रेल मंत्रालय, भारत सरकार |
स्थापना | 16 अप्रैल, 1853 |
राष्ट्रीयकरण | 1955 |
मुख्यालय | नई दिल्ली, भारत |
प्रमुख व्यक्ति | रेल मंत्री, भारत सरकार |
प्रभाग | 17 रेलवे मंडल |
संकेताक्षर | IR / भा.रे |
संबंधित लेख | रेल परिवहन, रेल इंजन, रेलवे उपकरण, मेट्रो रेल |
बाहरी कड़ियाँ | आधिकारिक वेबसाइट |
अद्यतन | 02:24, 15 मई, 2016 (IST)
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भारतीय रेल (अंग्रेज़ी: Indian Railways) एशिया का सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। एक प्रबंधनाधीन यह विश्व का दूसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। यह 160 वर्षों से भी अधिक समय तक भारत के परिवहन क्षेत्र का मुख्य संघटक रहा है। यह विश्व का सबसे बड़ा नियोक्ता है, इसके वर्तमान में 14 लाख से भी अधिक कर्मचारी हैं। यह न केवल भारत की मूल संरचनात्मक आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, अपितु बिखरे हुए क्षेत्रों को एक साथ जोड़ने में और देश की राष्ट्रीय अखंडता का भी संवर्धन करता है। राष्ट्रीय आपात स्थिति के दौरान आपदा ग्रस्त क्षेत्रों में राहत सामग्री पहुंचाने में भारतीय रेलवे अग्रणी रहा है।
इतिहास
भारत में रेलवे के विकास की दिशा में सर्वप्रथम प्रयास 1843 ई. में तत्कालीन अंग्रेज़ गवर्नर-जनरल लॉर्ड हार्डिंग ने निजी कंपनियों के समक्ष रेल प्रणाली के निर्माण का प्रस्ताव रखकर किया। देश में पहली रेलगाड़ी का परिचालन 22 दिसम्बर, 1851 ई. को किया गया, जिसका प्रयोग रूड़की में निर्माण कार्य के माल की ढुलाई के लिए होता था। ऐतिहासिक दृष्टि से भारतीय उप-महाद्वीप में प्रथम रेलगाड़ी महाराष्ट्र स्थित मुम्बई और ठाणे के बीच 21 मील (लगभग 33.6 कि.मी.) लम्बे रेलमार्ग पर 16 अप्रैल, 1853 को चलाई गई थी। इस रेलगाड़ी के लिए तीन लोकोमोटिव इंजनों- साहिब, सिंध और सुल्तान का प्रयोग किया जाता था।
रेलवे के दस्तावेज के अनुसार 16 अप्रैल, 1853 को मुम्बई और ठाणे के बीच जब पहली रेल चली, उस दिन सार्वजनिक अवकाश था। पूर्वाह्न से ही लोग बोरीबंदी की ओर बढ़ रहे थे, जहाँ गर्वनर के निजी बैंड से संगीत की मधुर धुन माहौल को खुशनुमा बना रही थी। साढ़े तीन बजे से कुछ पहले ही 400 विशिष्ट लोग ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे के 14 डिब्बों वाली गाड़ी में चढ़े। चमकदार डिब्बों के आगे एक छोटा फाकलैंड नाम का भाफ इंजन लगा था। करीब साढ़ चार बजे फाकलैंड के चालक ने इंजन चालू किया, फायरमैन उत्साह से कोयला झोंक रहा था। इंजन ने मानो गहरी सांस ली और इसके बाद भाप बाहर निकलना शुरू हुई। सीटी बजने के साथ गाड़ी को आगे बढ़ने का संकेत मिला और उमस भरी गर्मी में उपस्थित लोग आनंदविभोर हो उठे। इसके बाद फिर से एक और सिटी बजी और छुकछुक करती हुए यह पहली रेल नजाकत और नफासत के साथ आगे बढ़ी। यह ऐतिहासिक पल था, जब भारत में पहली ट्रेन ने 34 किलोमीटर का सफर किया, जो मुम्बई से ठाणे तक था। रेल का इतिहास काफ़ी रोमांच से भरा है, जो 17वीं शताब्दी में शुरू होता है। पहली बार ट्रेन की परिकल्पना 1604 ई. में इंग्लैण्ड के वोलाटॅन में हुई थी, जब लकड़ी से बनायी गई पटरियों पर काठ के डब्बों की शक्ल में तैयार किये गए ट्रेन को घोड़ों ने खींचा था। इसके दो शताब्दी बाद फ़रवरी, 1824 ई. में पेशे से इंजीनियर रिचर्ड ट्रवेथिक को पहली बार भाप के इंजन को चलाने में सफलता मिली।
भारत में रेल की शुरुआत की कहानी अमेरिका के कपास की फ़सल की विफलता से जुड़ी हुई है, जहाँ वर्ष 1846 में कपास की फ़सल को काफ़ी नुकसान पहुंचा था। इसके कारण ब्रिटेन के मैनचेस्टर और ग्लासगो के कपड़ा कारोबारियों को वैकल्पिक स्थान की तलाश करने पर विवश होना पड़ा था। ऐसे में भारत इनके लिए मुफीद स्थान था। अंग्रेज़ों को प्रशासनिक दृष्टि और सेना के परिचालन के लिए भी रेलवे का विकास करना तर्क संगत लग रहा था। ऐसे में 1843 ई. में लॉर्ड डलहौज़ी ने भारत में रेल चलाने की संभावना तलाश करने का कार्य शुरू किया। डलहौज़ी ने बम्बई, कोलकाता, मद्रास को रेल सम्पर्क से जोड़ने का प्रस्ताव दिया। हालांकि इस पर अमल नहीं हो सका। इस उद्देश्य के लिए साल 1849 में ग्रेट इंडियन पेंनिनसुलर कंपनी क़ानून पारित हुआ और भारत में रेलवे की स्थापना का मार्ग प्रशस्त हुआ।[1]
दक्षिण भारत में रेल की शुरुआत
दक्षिण भारत में रेल की शुरुआत 1 जुलाई, 1856 को मद्रास रेलवे कम्पनी से हुई। 1951 में भारतीय रेल का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया। भारत की पहली विद्युत रेल ‘डेक्कन क्वीन’ थी, जिसे 1929 में कल्याण और पुणे के बीच चलाया गया था। आज सम्पूर्ण देश में रेलों का सघन जाल बिछा हुआ है। भारतीय रेल व्यवस्था के अन्तर्गत वर्तमान समय में कुल 63,465 कि.मी. लम्बा रेलमार्ग है। 150 वर्ष के उपलक्ष्य में भारतीय रेल ने वर्ष 2002 में अपनी स्थापना का स्वर्ण जयंती समारोह मनाया।
रेल परिवहन
अर्थव्यस्था में अंतर्देशीय परिवहन का रेल मुख्य माध्यम है। यह ऊर्जा सक्षम परिवहन मोड, जो बड़ी मात्रा में जनशक्ति के आवागमन के लिए बड़ा ही आदर्श एवं उपयुक्त है, बड़ी मात्रा में वस्तुओं को लाने ले जाने तथा लंबी दूरी की यात्रा के लिए अत्यन्त उपयुक्त हैं। यह देश की जीवन धारा हैं और इसके सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए इनका महत्वपूर्ण स्थान है। सुस्थापित रेल प्रणाली देश के दूरतम स्थानों से लोगों को एक साथ मिलाती है और व्यापार करना, दृश्य दर्शन, तीर्थ और शिक्षा संभव बनाती है। यह जीवन स्तर सुधारती है और इस प्रकार से उद्योग और कृषि का विकासशील त्वरित करने में सहायता करता है।
रोचक तथ्य
- भारतीय रेल की शुरुआत 16 अप्रैल, सन 1853 को हुई थी। आज अगर भारतीय रेल की सारी पटरियों को सीधा जोड़ दिया जाए तो उनकी लंबाई पृथ्वी के आकार से भी 1.5 गुणा ज़्यादा होगी।
- अब तक किसी ट्रेन ड्राइवर ने ऐसे समय में भी ट्रेन को नहीं छोड़ा, जब उन्हें मौत सामने दिखाई दे रही थी।
- देश में एक ऐसा रेलवे स्टेशन भी है जो दो राज्यों की सीमा में आता है। इस स्टेशन का नाम है- 'नवापुर', जिसका आधा हिस्सा महाराष्ट्र में है और आधा गुजरात में।
- देश की सबसे धीमी रफ्तार वाली ट्रेन 10 कि.मी. प्रति घंटा की रफ्तार से चलती है। पहाड़ों से होकर गुजरने वाली यह ट्रेन है- 'मेट्टुपलायम ओट्टी नीलगीरी पैसेंजर'। इसकी गति इतनी धीमी है कि लोग चलती ट्रेन से आसानी से उतर और चढ़ सकते हैं।
- भारत में सबसे बड़े नाम वाला रेलवे स्टेशन 'वेंकटनरसिम्हाराजुवारिपटा' (Venkatanarsimharajuvaripeta) है, जबकि सबसे छोटे नाम वाला रेलवे स्टेशन 'ईब' (IB) है, जो ओडिशा में है।
- देश की सबसे लेटलतीफ ट्रेन गोवाहाटी-त्रिवेन्दरम एक्सप्रेस है, जो अमूमन 10 से 12 घंटे लेट ही चलती है।
- देश की सबसे बड़ी रेल सुरंग जम्मू-कश्मीर के पीर पंजल में है, जिसकी लम्बाई 11.215 कि.मी. है।
- भारत में सबसे लम्बी यात्रा करने वाली ट्रेन विवेक एक्सप्रैस है, जो डिब्रुगढ़ (असम) से कन्याकुमारी तक 4273 कि.मी. की दूरी तय करती है।
- नागपुर और अजनी रेलवे स्टेशन के बीच की दूरी सिर्फ तीन किमी है. जो सबसे कम है।
- किसी को भी यह जानकार हैरानी हो सकती है कि भारतीय रेल की वेबसाइट पर 12 लाख प्रति मिनट से ज़्यादा हिट होते हैं। इस पर लाखों साइबर हमले भी होते हैं, लेकिन रेलवे की वेबसाइट कभी नहीं रुकती।[2]
रेल मुख्यालय तथा मण्डल
क्रमांक | नाम | संक्षेप | स्थापना | मुख्यालय | मण्डल |
---|---|---|---|---|---|
1. | उत्तर रेलवे | उरे | 14 अप्रैल, 1952 | दिल्ली | अम्बाला, दिल्ली, फिरोजपुर, लखनऊ और मुरादाबाद |
2. | पूर्वोत्तर रेलवे | उपूरे | 1952 | गोरखपुर | इज्जत नगर, लखनऊ, वाराणसी |
3. | पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे | पूसीरे | 15 जनवरी, 1958 | गुवाहाटी | अलीपुर द्वार, कटिहार, लामडिंग, रंगिया, तिनसुकिया |
4. | पूर्व रेलवे | पूरे | 14 अप्रैल, 1952 | कोलकाता | हावड़ा, सियालदह, आसनसोल, मालदा |
5. | दक्षिणपूर्व रेलवे | दपूरे | 1955 | कोलकाता | आद्रा, चक्रधरपुर, खड़गपुर, राँची |
6. | दक्षिण मध्य रेलवे | दमरे | 2 अक्टूबर, 1966 | सिकंदराबाद | सिकंदराबाद, हैदराबाद, गुंटकल, गुंटूर, नांदेड़, विजयवाड़ा |
7. | दक्षिण रेलवे | दरे | 14 अप्रैल, 1951 | चेन्नई | चेन्नई, मदुरै, पालघाट, तिरुचिराप्पल्ली, त्रिवेंद्रम, सलेम (कोयंबतुर) |
8. | मध्य रेलवे | मरे | 5 नवंबर, 1951 | मुंबई | मुंबई, भुसावल, पुणे, शोलापुर, नागपुर |
9. | पश्चिम रेलवे | परे | 5 नवंबर, 1951 | मुंबई | मुंबई सेंट्रल, वड़ौदरा, रतलाम, अहमदाबाद, राजकोट, भावनगर |
10. | दक्षिण पश्चिम रेलवे | दपरे | 1 अप्रैल, 2003 | हुबली | हुबली, बैंगलोर, मैसूर |
11. | उत्तर पश्चिम रेलवे | उपरे | 1 अक्टूबर, 2002 | जयपुर | जयपुर, अजमेर, बीकानेर, जोधपुर |
12. | पश्चिम मध्य रेलवे | पमरे | 1 अप्रैल, 2003 | जबलपुर | जबलपुर, भोपाल, कोटा |
13. | उत्तर मध्य रेलवे | उमरे | 1 अप्रैल, 2003 | इलाहाबाद | इलाहाबाद, आगरा, झांसी |
14. | दक्षिणपूर्व मध्य रेलवे | दपूमरे | 1 अप्रैल, 2003 | बिलासपुर | बिलासपुर, रायपुर, नागपुर |
15. | पूर्व तटीय रेलेवे | पूतरे | 1 अप्रैल, 2003 | भुवनेश्वर | खुर्दा रोड, संबलपुर, विशाखापत्तनम |
16. | पूर्वमध्य रेलवे | पूमरे | 1 अक्टूबर, 2002 | हाजीपुर | दानापुर, धनबाद, मुग़लसराय, समस्तीपुर, सोनपुर |
17. | कोंकण रेलवे | केआर | 26 जनवरी, 1998 | नवी मुंबई | कोई नहीं |
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारतीय रेल का 160 साल (हिन्दी) career7india.com। अभिगमन तिथि: 15 मईl, 2016।
- ↑ भारतीय रेल के बारे में दस रोचक बातें (हिन्दी) आज तक। अभिगमन तिथि: 15 मई, 2016।
बाहरी कड़ियाँ
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