"गरुड़ गोविन्द मन्दिर": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
[[चित्र:Garud-Govind-Temple.jpg|thumb|गरुड़ गोविन्द]]
{{सूचना बक्सा पर्यटन
|चित्र=Garud-Govind-Temple.jpg
|चित्र का नाम=गरुड़ गोविन्द
|विवरण='गरुड़ गोविन्द मन्दिर' [[मथुरा]] से दिल्ली जाते समय 'राष्ट्रीय राजमार्ग 2' पर पड़ने वाले [[छटीकरा]] के पास ही कृष्ण की विहार स्थली है।
|राज्य=[[उत्तर प्रदेश]]
|केन्द्र शासित प्रदेश=
|ज़िला=[[मथुरा]]
|निर्माता=
|स्वामित्व=
|प्रबंधक=
|निर्माण काल=
|स्थापना=
|भौगोलिक स्थिति=
|मार्ग स्थिति=
|मौसम=
|तापमान=
|प्रसिद्धि=
|कब जाएँ=कभी भी
|कैसे पहुँचें=
|हवाई अड्डा=
|रेलवे स्टेशन=
|बस अड्डा=
|यातायात=बस, कार,ऑटो आदि
|क्या देखें=
|कहाँ ठहरें=
|क्या खायें=
|क्या ख़रीदें=
|एस.टी.डी. कोड=
|ए.टी.एम=
|सावधानी=
|मानचित्र लिंक=
|संबंधित लेख=[[वृन्दावन]], [[बाँके बिहारी मंदिर]], [[रंगनाथ जी मन्दिर, वृन्दावन]], [[प्रेम मन्दिर]], [[मदन मोहन मन्दिर वृन्दावन]]
|शीर्षक 1=
|पाठ 1=
|शीर्षक 2=
|पाठ 2=
|अन्य जानकारी=रामावतार में जब [[राम|श्रीरामचन्द्र]] [[मेघनाद]] के द्वारा नागपाश में बंधकर असहाय जैसे हो गये, उस समय [[नारद|देवर्षि नारद]] से संवाद पाकर [[गरुड़|गरुड़ जी]] वहाँ उपस्थित हुए। उनको देखते ही नाग श्रीरामचन्द्र को छोड़कर भाग गये।
|बाहरी कड़ियाँ=
|अद्यतन={{अद्यतन|16:08, 23 जुलाई 2016 (IST)}}
}}
'''गरुड़ गोविन्द मन्दिर''' [[उत्तर प्रदेश]] राज्य के [[मथुरा ज़िला|मथुरा ज़िले]] स्थित है। [[मथुरा]] से [[दिल्ली]] जाते समय 'राष्ट्रीय राजमार्ग 2' पर पड़ने वाले [[छटीकरा]] के पास ही 'गरूड़ - गोविन्द' [[कृष्ण]] की विहार स्थली है। एक दिन श्रीकृष्ण गोचारण करते हुए सखाओं के साथ यहाँ नाना प्रकार की क्रीड़ाओं में मग्न थे। वे बाल क्रीड़ा करते हुए श्रीदाम सखा को गरुड़ बनाकर उसकी पीठ पर स्वयं बैठकर इस प्रकार खेलने लगे मानो स्वयं [[विष्णु|लक्ष्मीपति नारायण]] गरुड़ की पीठ पर सवार हों।  
'''गरुड़ गोविन्द मन्दिर''' [[उत्तर प्रदेश]] राज्य के [[मथुरा ज़िला|मथुरा ज़िले]] स्थित है। [[मथुरा]] से [[दिल्ली]] जाते समय 'राष्ट्रीय राजमार्ग 2' पर पड़ने वाले [[छटीकरा]] के पास ही 'गरूड़ - गोविन्द' [[कृष्ण]] की विहार स्थली है। एक दिन श्रीकृष्ण गोचारण करते हुए सखाओं के साथ यहाँ नाना प्रकार की क्रीड़ाओं में मग्न थे। वे बाल क्रीड़ा करते हुए श्रीदाम सखा को गरुड़ बनाकर उसकी पीठ पर स्वयं बैठकर इस प्रकार खेलने लगे मानो स्वयं [[विष्णु|लक्ष्मीपति नारायण]] गरुड़ की पीठ पर सवार हों।  
==अन्य कथा==
==अन्य कथा==
[[विष्णु के अवतार|रामावतार]] में जब [[राम|श्रीरामचन्द्र]] जी [[मेघनाद]] के द्वारा नागपाश में बंधकर असहाय जैसे हो गये, उस समय देवर्षि [[नारद]] से संवाद पाकर [[गरुड़]] जी वहाँ उपस्थित हुए। उनको देखते ही नाग श्रीरामचन्द्र जी को छोड़कर भाग गये। इससे गरुड़ जी को श्रीराम की भगवत्ता में कुछ संदेह हो गया। पीछे से महात्मा काकभुषुण्डी के सत्संग से एवं तत्पश्चात श्रीकृष्ण लीला के समय श्रीकृष्ण दर्शन से उनका वह संदेह दूर हो गया। जहाँ उन्होंने गो, गोप एवं गऊओं के पालन करने वाले श्री गोविन्द का दर्शन किया था, उसे गरुड़ गोविन्द कहते हैं। उस समय श्रीकृष्ण ने उनके कंधे पर आरोहण कर उन्हें आश्वासन दिया था।  
[[विष्णु के अवतार|रामावतार]] में जब [[राम|श्रीरामचन्द्र]] जी [[मेघनाद]] के द्वारा नागपाश में बंधकर असहाय जैसे हो गये, उस समय देवर्षि [[नारद]] से संवाद पाकर [[गरुड़]] जी वहाँ उपस्थित हुए। उनको देखते ही नाग श्रीरामचन्द्र जी को छोड़कर भाग गये। इससे गरुड़ जी को श्रीराम की भगवत्ता में कुछ संदेह हो गया। पीछे से महात्मा [[काकभुशुंडी]] के [[सत्संग]] से एवं तत्पश्चात श्रीकृष्ण लीला के समय श्रीकृष्ण दर्शन से उनका वह संदेह दूर हो गया। जहाँ उन्होंने गो, गोप एवं गऊओं के पालन करने वाले श्री गोविन्द का दर्शन किया था, उसे गरुड़ गोविन्द कहते हैं। उस समय श्रीकृष्ण ने उनके कंधे पर आरोहण कर उन्हें आश्वासन दिया था।  




{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{ब्रज के दर्शनीय स्थल}}
{{ब्रज के दर्शनीय स्थल}}
[[Category:मथुरा]]
[[Category:मथुरा]][[Category:हिन्दू मन्दिर]][[Category:धार्मिक स्थल कोश]]
[[Category:हिन्दू मन्दिर]]
[[Category:धार्मिक स्थल कोश]]
[[Category:हिन्दू धार्मिक_स्थल]]
[[Category:हिन्दू धार्मिक_स्थल]]
[[Category:ब्रज]]
[[Category:ब्रज]]

10:38, 23 जुलाई 2016 का अवतरण

गरुड़ गोविन्द मन्दिर
गरुड़ गोविन्द
गरुड़ गोविन्द
विवरण 'गरुड़ गोविन्द मन्दिर' मथुरा से दिल्ली जाते समय 'राष्ट्रीय राजमार्ग 2' पर पड़ने वाले छटीकरा के पास ही कृष्ण की विहार स्थली है।
राज्य उत्तर प्रदेश
ज़िला मथुरा
कब जाएँ कभी भी
यातायात बस, कार,ऑटो आदि
संबंधित लेख वृन्दावन, बाँके बिहारी मंदिर, रंगनाथ जी मन्दिर, वृन्दावन, प्रेम मन्दिर, मदन मोहन मन्दिर वृन्दावन


अन्य जानकारी रामावतार में जब श्रीरामचन्द्र मेघनाद के द्वारा नागपाश में बंधकर असहाय जैसे हो गये, उस समय देवर्षि नारद से संवाद पाकर गरुड़ जी वहाँ उपस्थित हुए। उनको देखते ही नाग श्रीरामचन्द्र को छोड़कर भाग गये।
अद्यतन‎

गरुड़ गोविन्द मन्दिर उत्तर प्रदेश राज्य के मथुरा ज़िले स्थित है। मथुरा से दिल्ली जाते समय 'राष्ट्रीय राजमार्ग 2' पर पड़ने वाले छटीकरा के पास ही 'गरूड़ - गोविन्द' कृष्ण की विहार स्थली है। एक दिन श्रीकृष्ण गोचारण करते हुए सखाओं के साथ यहाँ नाना प्रकार की क्रीड़ाओं में मग्न थे। वे बाल क्रीड़ा करते हुए श्रीदाम सखा को गरुड़ बनाकर उसकी पीठ पर स्वयं बैठकर इस प्रकार खेलने लगे मानो स्वयं लक्ष्मीपति नारायण गरुड़ की पीठ पर सवार हों।

अन्य कथा

रामावतार में जब श्रीरामचन्द्र जी मेघनाद के द्वारा नागपाश में बंधकर असहाय जैसे हो गये, उस समय देवर्षि नारद से संवाद पाकर गरुड़ जी वहाँ उपस्थित हुए। उनको देखते ही नाग श्रीरामचन्द्र जी को छोड़कर भाग गये। इससे गरुड़ जी को श्रीराम की भगवत्ता में कुछ संदेह हो गया। पीछे से महात्मा काकभुशुंडी के सत्संग से एवं तत्पश्चात श्रीकृष्ण लीला के समय श्रीकृष्ण दर्शन से उनका वह संदेह दूर हो गया। जहाँ उन्होंने गो, गोप एवं गऊओं के पालन करने वाले श्री गोविन्द का दर्शन किया था, उसे गरुड़ गोविन्द कहते हैं। उस समय श्रीकृष्ण ने उनके कंधे पर आरोहण कर उन्हें आश्वासन दिया था।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख