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'''संजीव चतुर्वेदी''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Sanjiv Chaturvedi'', जन्म- [[21 दिसम्बर]], [[1974]]) वर्ष 2002 बैंच के वन सेवा अधिकारी हैं, जिन्हें 2015 का रेमन मैग्सेसे पुरस्कार दिया गया है। वे दूसरे सर्विंग ब्यूरोक्रेट हैं, जिन्हें इस पुरस्कार से नवाजा गया है। इससे पहले [[किरण बेदी]] को यह पुरस्कार दिया गया था। संजीव चतुर्वेदी को यह पुरस्कार सार्वजनिक क्षेत्र में भ्रष्टाचार के मामलों को उजागर करने के लिए दिया गया है। संजीव चतुर्वेदी के अतिरिक्त एनजीओ 'गूंज' के संस्थापक भारतीय [[अंशु गुप्ता]] को भी मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। | '''संजीव चतुर्वेदी''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Sanjiv Chaturvedi'', जन्म- [[21 दिसम्बर]], [[1974]]) वर्ष 2002 बैंच के वन सेवा अधिकारी हैं, जिन्हें 2015 का रेमन मैग्सेसे पुरस्कार दिया गया है। वे दूसरे सर्विंग ब्यूरोक्रेट हैं, जिन्हें इस पुरस्कार से नवाजा गया है। इससे पहले [[किरण बेदी]] को यह पुरस्कार दिया गया था। संजीव चतुर्वेदी को यह पुरस्कार सार्वजनिक क्षेत्र में भ्रष्टाचार के मामलों को उजागर करने के लिए दिया गया है। संजीव चतुर्वेदी के अतिरिक्त एनजीओ 'गूंज' के संस्थापक भारतीय [[अंशु गुप्ता]] को भी मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। | ||
==भ्रष्टाचार के विरोधी== | ==भ्रष्टाचार के विरोधी== |
11:34, 26 अगस्त 2016 का अवतरण
संजीव चतुर्वेदी
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पूरा नाम | संजीव चतुर्वेदी |
जन्म | 21 दिसम्बर, 1974 |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | नौकरशाह (भारतीय वन सेवा) |
शिक्षा | बी.टेक |
पुरस्कार-उपाधि | 'रेमन मैग्सेसे पुरस्कार' (2015) |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | बतौर सीवीओ, एम्स में संजीव चतुर्वेदी ने अपने दो साल के कार्यकाल में 150 से ज्यादा भ्रष्टाचार के मामले उजागर किए थे। 2014 में संजीव को स्वास्थ्य सचिव ने ईमानदार अधिकारी का तमगा दिया था। |
संजीव चतुर्वेदी (अंग्रेज़ी: Sanjiv Chaturvedi, जन्म- 21 दिसम्बर, 1974) वर्ष 2002 बैंच के वन सेवा अधिकारी हैं, जिन्हें 2015 का रेमन मैग्सेसे पुरस्कार दिया गया है। वे दूसरे सर्विंग ब्यूरोक्रेट हैं, जिन्हें इस पुरस्कार से नवाजा गया है। इससे पहले किरण बेदी को यह पुरस्कार दिया गया था। संजीव चतुर्वेदी को यह पुरस्कार सार्वजनिक क्षेत्र में भ्रष्टाचार के मामलों को उजागर करने के लिए दिया गया है। संजीव चतुर्वेदी के अतिरिक्त एनजीओ 'गूंज' के संस्थापक भारतीय अंशु गुप्ता को भी मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
भ्रष्टाचार के विरोधी
संजीव चतुर्वेदी ने एम्स के सीबीओ रहते हुए भ्रष्टाचार के 200 से अधिक मामले उजागर किए। इनमें से 78 मामलों में सज़ा दी जा चुकी है। 87 मामलों में चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है और करीब 20 मामलों में सीबीआई की जांच शुरू हो गई है। संजीव चतुर्वेदी कहते हैं कि "वे व्यवस्था में सुधार चाहते हैं और उसी के लिए कार्य कर रहे हैं।" संजीव चतुर्वेदी जाने-माने व्हीसल ब्लोअर हैं। एम्स में उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ़ कई मामले उजागर किए थे। एम्स से हटाए जाने के बाद यह भी कहा गया था कि राजनैतिक उद्देश्य से उन्हें हटाया गया है। लगभग तीन हज़ार सात सौ पचास करोड़ की लागत से एम्स के विस्तार की योजनाओं में धांधली और कुछ लोगों को फ़ायदे पहुंचाने की कोशिश के विरुद्ध संजीव चतुर्वेदी ने सवाल खड़े किए थे, जिस कारण उन्हें पद से हटना पड़ा।
दूसरे सर्विंग ब्यूरोक्रेट
संजीव चतुर्वेदी 'भारतीय वन सेवा' के अधिकारी हैं। अखिल भारतीय सेवाओं में रहते हुए 'रेमन मैग्सेसे पुरस्कार' पाने वाले वे दूसरे शख्स हैं। उनके पहले आईपीएस किरण बेदी को पद पर रहते हुए यह सम्मान मिला था। सरकारी सेवा में उनके बेहतरीन काम के लिए और उनके साथ समाजिक संस्था 'गूंज' चलाने वाले अंशु गुप्ता को सामुदायिक सेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने के लिए 'रेमन मैग्सेसे पुरस्कार' दिया गया है।
एम्स में आने के पहले संजीव चतुर्वेदी हरियाणा में तैनात थे। वहां भी उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ़ कई मामले उजागर किए थे। उसके बाद वे एम्स के प्रमुख सतर्कता अधिकारी बने। रेमन मैग्सेसे फाउंडेशन ने उनके बारे में कहा है कि "संजीव चतुर्वेदी को उनके दायित्व के निर्वहन में प्रतिबद्धता, साहस और शासकीय सेवा में श्रेष्ठ कार्य के लिए सम्मानित करने का फ़ैसला किया गया है।"
प्रमुख तथ्य
'रेमन मैग्सेसे पुरस्कार' पाने वाले और अपने काम की वजह से लगातार चर्चा में रहने वाले जोशीले अफसर संजीव चतुर्वेदी के बारे प्रमुख तथ्य इस प्रकार हैं[1]-
- संजीव चतुर्वेदी ने 1995 में मोतीलाल नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी, इलाहाबाद से बीटेक किया था।
- वे 2002 के आईएफएस अफसर हैं। वे मूलत: हरियाणा काडर के अफसर हैं।
- पहली पोस्टिंग इन्हें कुरुक्षेत्र में मिली, जहां इन्होंने हांसी बुटाना नहर बनाने वाले ठेकेदारों पर एफआईआर दर्ज करवाई।
- बतौर सीवीओ, एम्स में संजीव चतुर्वेदी ने अपने दो साल के कार्यकाल में 150 से ज्यादा भ्रष्टाचार के मामले उजागर किए।
- 2014 में संजीव को स्वास्थ्य सचिव ने ईमानदार अधिकारी का तमगा दिया था।
- भ्रष्टाचार के विरुद्ध किये जाने वाले अपने कार्यों के कारण पांच साल में 12 बार संजीव चतुर्वेदी का स्थानान्तरण हुआ है।
- झूठे पुलिस मुकदमे और निलंबन के बाद राष्ट्रपति के यहां से चार बार संजीव की बहाली हो चुकी है।
- वर्ष 2009 में हरियाणा के झज्जर और हिसार में वन घोटालों का पर्दाफाश इन्होंने किया था।
- 2009 में ही संजीव पर एक जूनियर अधिकारी संजीव तोमर को प्रताड़ित करने का आरोप लगा, हालांकि बाद में वह आरोप मुक्त हो गए।
- 2007-2008 में संजीव ने झज्जर में एक हर्बल पार्क के निर्माण में हुए घोटाले का पर्दाफाश किया, जिसमें मंत्री और विधायकों के अलावा कुछ अधिकारी भी शामिल थे।
- 2010 में उन्होंने राज्य सरकार से तंग आकर केंद्र में प्रति नियुक्ति की अर्जी दी थी। 2012 में उन्हें ऐम्स के डिप्टी डायरेक्टर का पद सौंपा गया। उन्हें ऐम्स के सीवीओ पद की भी जिम्मेदारी सौंपी गई।
- केंद्र में बीजेपी की सरकार आने के बाद संजीव चतुर्वेदी को सीवीओ के पद से हटा दिया गया था, जिस पर काफ़ी विवाद भी हुआ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ IFS संजीव चतुर्वेदी के बारे में 15 खास बातें (हिंदी) आज तक। अभिगमन तिथि: 26 अगस्त, 2016।
बाहरी कड़ियाँ
- Chaturvedi, Sanjiv
- मैग्सेसे अवॉर्ड जीतने वाले संजीव चतुर्वेदी और अंशु गुप्ता
- IFS अफसर संजीव चतुर्वेदी, NGO गूंज के संस्थापक अंशु गुप्ता को रैमन मैग्सेसे अवॉर्ड
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