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==जन्म एवं शिक्षा== | ==जन्म एवं शिक्षा== | ||
सिंध प्रदेश के स्वतंत्रता सेनानी, पत्रकार और संगठनकर्त्ता लोकराम नयनराम शर्मा का जन्म [[1890 ]] में, [[हैदराबाद]] (सिंध) के एक [[ब्राह्मण]] [[परिवार]] में हुआ था। पारिवारिक प्रभाव से लोकराम नयनराम शर्मा ने छोटी उम्र में ही प्राचीन [[भारतीय साहित्य]] का अच्छा ज्ञान प्राप्त कर लिया था। [[संस्कृत]] भाषा के प्रति इनकी विशेष रुचि थी। इसी रुची के कारण ये 15 वर्ष की उम्र में अपने मित्र गुरुदास के साथ संस्कृत का अध्ययन करने के लिए वाराणसी गये। [[1905]] से [[1907]] तक ये वाराणसी रहे। | सिंध प्रदेश के स्वतंत्रता सेनानी, पत्रकार और संगठनकर्त्ता लोकराम नयनराम शर्मा का जन्म [[1890 ]] में, [[हैदराबाद]] ([[सिंध]]) के एक [[ब्राह्मण]] [[परिवार]] में हुआ था। पारिवारिक प्रभाव से लोकराम नयनराम शर्मा ने छोटी उम्र में ही प्राचीन [[भारतीय साहित्य]] का अच्छा ज्ञान प्राप्त कर लिया था। [[संस्कृत]] भाषा के प्रति इनकी विशेष रुचि थी। इसी रुची के कारण ये 15 वर्ष की उम्र में अपने मित्र गुरुदास के साथ संस्कृत का अध्ययन करने के लिए वाराणसी गये। [[1905]] से [[1907]] तक ये वाराणसी में रहे। | ||
== राष्ट्रीयता की भावना== | == राष्ट्रीयता की भावना== | ||
लोकराम नयनराम शर्मा जब [[वाराणसी]] में रह रहे थे तभी इनका परिचय बंग-भंग विरोधी और स्वेदेशी आंदोलनकारियों से हुआ। [[1907]] में वापस | लोकराम नयनराम शर्मा जब [[वाराणसी]] में रह रहे थे तभी इनका परिचय बंग-भंग विरोधी और स्वेदेशी आंदोलनकारियों से हुआ। [[1907]] में वापस सिंध पहुंचने तक ये राष्ट्रीय भावनाओं से ओत-प्रोत थे। लोकराम की लेखनी राष्ट्रीय आकांक्षाओं का जोरदार समर्थन करती थी। इसलिए कई बार सरकार ने इनके पत्रों पर लोक लगाई, प्रेस को जब्त किया और इन्हें जेल की सजाएं भी भोगनी पड़ी। इनके प्रयत्नों से बने वातावरण में ही [[1931]] में [[कराची]] में [[कांग्रेस]] का अधिवेशन हो पाया था। इन्होने [[नमक सत्याग्रह]] में भी भाग लिया था। | ||
==समाचार पत्र का प्रकाशन == | ==समाचार पत्र का प्रकाशन == | ||
लोकराम नयनराम शर्मा ने अपने विचारों के प्रचार के लिए पहले कुछ प्रपत्र प्रकाशित किए और 'रास मंडली' नामक सांस्कृतिक संस्था बनाई। फिर सिंध में राष्ट्रीय पत्र की कमी दूर करने के लिए 'सिंध भास्कर' पत्र का प्रकाशन आरंभ किया। इस पत्र को | लोकराम नयनराम शर्मा ने अपने विचारों के प्रचार के लिए पहले कुछ प्रपत्र प्रकाशित किए और 'रास मंडली' नामक सांस्कृतिक संस्था बनाई। फिर सिंध में राष्ट्रीय पत्र की कमी दूर करने के लिए 'सिंध भास्कर' पत्र का प्रकाशन आरंभ किया। इस पत्र को इन्होने अरबी लिपि के स्थान पर [[देवनागरी लिपि]] में निकाला था। कुछ समय बाद इसका नाम बदल कर 'हिंन्दू' कर दिया गया। इसी समय लोकराम नयनराम शर्मा [[सिंध]] के प्रमुख नेता चोइथराम गिडवानी, जयराम दास दौलतराम आदि के संपर्क में आए। बाद में जब 'हिंदू' का 'वंदेमातरम' नाम से [[अंग्रेज़ी]] संस्करण निकला तो कुछ समय तक जयराम दास दौलतराम ने उसका संपादन किया था। | ||
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लोकराम नयनराम शर्मा कई बार जेल गये जिस कारण इनका स्वास्थ्य खराब हो गया, और इस प्रकार [[29 मई]], [[1933]] को इनका देहांत हो गया। | लोकराम नयनराम शर्मा कई बार जेल गये जिस कारण इनका स्वास्थ्य खराब हो गया, और इस प्रकार [[29 मई]], [[1933]] को इनका देहांत हो गया। |
11:56, 27 अक्टूबर 2016 का अवतरण
लोकराम नयनराम शर्मा (जन्म: 1890 हैदराबाद; मृत्यु: 29 मई 1933) भारत के स्वतंत्रता सेनानी, पत्रकार और संगठनकर्त्ता थे। जब ये वाराणसी में रह रहे थे तभी इनका परिचय बंग-भंग विरोधी और स्वेदेशी आंदोलनकारियों से हुआ। इनके प्रयत्नों से ही 1931 में कराची में कांग्रेस का अधिवेशन हो पाया था। लोकराम नयनराम शर्मा ने नमक सत्याग्रह में भी भाग लिया था।
जन्म एवं शिक्षा
सिंध प्रदेश के स्वतंत्रता सेनानी, पत्रकार और संगठनकर्त्ता लोकराम नयनराम शर्मा का जन्म 1890 में, हैदराबाद (सिंध) के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। पारिवारिक प्रभाव से लोकराम नयनराम शर्मा ने छोटी उम्र में ही प्राचीन भारतीय साहित्य का अच्छा ज्ञान प्राप्त कर लिया था। संस्कृत भाषा के प्रति इनकी विशेष रुचि थी। इसी रुची के कारण ये 15 वर्ष की उम्र में अपने मित्र गुरुदास के साथ संस्कृत का अध्ययन करने के लिए वाराणसी गये। 1905 से 1907 तक ये वाराणसी में रहे।
राष्ट्रीयता की भावना
लोकराम नयनराम शर्मा जब वाराणसी में रह रहे थे तभी इनका परिचय बंग-भंग विरोधी और स्वेदेशी आंदोलनकारियों से हुआ। 1907 में वापस सिंध पहुंचने तक ये राष्ट्रीय भावनाओं से ओत-प्रोत थे। लोकराम की लेखनी राष्ट्रीय आकांक्षाओं का जोरदार समर्थन करती थी। इसलिए कई बार सरकार ने इनके पत्रों पर लोक लगाई, प्रेस को जब्त किया और इन्हें जेल की सजाएं भी भोगनी पड़ी। इनके प्रयत्नों से बने वातावरण में ही 1931 में कराची में कांग्रेस का अधिवेशन हो पाया था। इन्होने नमक सत्याग्रह में भी भाग लिया था।
समाचार पत्र का प्रकाशन
लोकराम नयनराम शर्मा ने अपने विचारों के प्रचार के लिए पहले कुछ प्रपत्र प्रकाशित किए और 'रास मंडली' नामक सांस्कृतिक संस्था बनाई। फिर सिंध में राष्ट्रीय पत्र की कमी दूर करने के लिए 'सिंध भास्कर' पत्र का प्रकाशन आरंभ किया। इस पत्र को इन्होने अरबी लिपि के स्थान पर देवनागरी लिपि में निकाला था। कुछ समय बाद इसका नाम बदल कर 'हिंन्दू' कर दिया गया। इसी समय लोकराम नयनराम शर्मा सिंध के प्रमुख नेता चोइथराम गिडवानी, जयराम दास दौलतराम आदि के संपर्क में आए। बाद में जब 'हिंदू' का 'वंदेमातरम' नाम से अंग्रेज़ी संस्करण निकला तो कुछ समय तक जयराम दास दौलतराम ने उसका संपादन किया था।
मृत्यु
लोकराम नयनराम शर्मा कई बार जेल गये जिस कारण इनका स्वास्थ्य खराब हो गया, और इस प्रकार 29 मई, 1933 को इनका देहांत हो गया।
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टीका-टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
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