"नीलिमा मिश्रा": अवतरणों में अंतर
No edit summary |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replacement - "खरीद" to "ख़रीद") |
||
पंक्ति 47: | पंक्ति 47: | ||
उन्होंने किसानों को विभिन्न कार्यों के लिए ऋण उपलब्ध कराया और वर्मी कंपोस्ट, देशी खाद आदि के प्रयोग लिए जागरुक बनाया। | उन्होंने किसानों को विभिन्न कार्यों के लिए ऋण उपलब्ध कराया और वर्मी कंपोस्ट, देशी खाद आदि के प्रयोग लिए जागरुक बनाया। | ||
==डेयरी स्थापना== | ==डेयरी स्थापना== | ||
[[दूध]] उत्पादन में किसानों के साथ होने वाली परेशानियों का अध्ययन नीलिमा मिश्रा ने किया और दूध उत्पादकों को न्याय दिलाने के लिए एक भव्य डेयरी स्थापना की संकल्पना की है। इसके लिए उनकी संस्था ने बहादरपुर गांव के छह जरूरतमंद किसानों को दो-दो [[भैंस|भैंसे]] | [[दूध]] उत्पादन में किसानों के साथ होने वाली परेशानियों का अध्ययन नीलिमा मिश्रा ने किया और दूध उत्पादकों को न्याय दिलाने के लिए एक भव्य डेयरी स्थापना की संकल्पना की है। इसके लिए उनकी संस्था ने बहादरपुर गांव के छह जरूरतमंद किसानों को दो-दो [[भैंस|भैंसे]] ख़रीदने के लिए ऋण उपलब्ध कराया है। | ||
13:20, 15 नवम्बर 2016 का अवतरण
नीलिमा मिश्रा
| |
पूरा नाम | नीलिमा मिश्रा |
जन्म | 1972 |
जन्म भूमि | जलगाँव, महाराष्ट्र |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | सामाजिक कार्यकर्ता |
पुरस्कार-उपाधि | 'रेमन मैग्सेसे पुरस्कार' (2011), 'पद्म श्री' (2013) |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | नीलिमा मिश्रा ने शासकीय योजना, पानी रोको, पानी बचाओ के अंतर्गत गांव में अपने समूहों को प्रोत्साहित करते हुए नाला निर्माण, खेतों की मेड़ आदि निर्माण का कार्य भी कराया। |
नीलिमा मिश्रा (अंग्रेज़ी: Nileema Mishra) सामाजिक कार्यकर्ता हैं। उन्होंने महिला रोजगार उत्थान एवं स्वावलंबन को लेकर महिला बचत गुटों की स्थापना की। महिला स्वयं रोजगार में बचत गुटों के माध्यम से गरीबी रेखा के नीचे या जरूरतमंद, आर्थिक दरिद्रता में जी रही महिलाओं को नीलिमा मिश्रा ने विभिन्न कार्यो में लगाया है। उन्होंने दूध उत्पादन में किसानों के साथ होने वाली परेशानियों का अध्ययन किया और दूध उत्पादकों को न्याय दिलाने के लिए एक भव्य डेयरी स्थापना की संकल्पना की। नीलिमा मिश्रा को वर्ष 2011 में 'रेमन मैग्सेसे पुरस्कार' तथा 2013 में 'पद्म श्री' से सम्मानित किया जा चुका है।
सामाजिक कार्य
नीलिमा मिश्रा ने पारोला तहसील के छोटे से गांव बहादरपुर से अपने सामाजिक कार्यों की शुरुआत की थी। वे बहादरपुर व धुलिया, नंदुरबार, जलगांव, नासिक आदि ज़िलों में दीदी के रूप में जानी जाती हैं। उन्होंने ग्रामीण जमीनी स्तर के कार्यो में स्वयं को झोंक दिया। ग्रामीण उद्योग व महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए वर्ष 2000 में नीलिमा मिश्रा ने 'भगिनी निवेदिता ग्रामीण विज्ञान निकेतन' की स्थापना की। इस संस्था के माध्यम से उन्होंने गाँव में बचत गुट स्थापित करना प्रारंभ किया।
महिला बचत गुटों की स्थापना
नीलिमा मिश्रा ने महिला रोजगार उत्थान एवं स्वावलंबन को लेकर महिला बचत गुटों की स्थापना की। उन्होंने इन बचत गुटों के माध्यम से प्रमुख रूप से कढ़ाइदार रजाइयों का निर्माण प्रारंभ कराया। उन्होंने महिला स्वयं रोजगार में बचत गुटों के माध्यम से गरीबी रेखा के नीचे या जरूरतमंद, आर्थिक दरिद्रता में जी रही महिलाओं को विभिन्न कार्यो में लगाया। इन गुटों द्वारा स्वयं आमदनी के रूप में पैसा एकत्रित करते हुए एक करोड़ रुपए का निवेश किया गया है। इसके साथ ही घर पहुंच, भोजन, डिब्बा व्यवस्था, गृह उद्योगों को बढ़ावा, दुग्ध व्यवसाय, महिलाओं में सिलाई कढ़ाई कार्य, युवाओं को तकनीकी शिक्षा, कम्प्यूटर प्रशिक्षण आदि भी प्रारंभ किया गया। इसके अलावा उन्होंने शासकीय योजना, पानी रोको, पानी बचाओ के अंतर्गत गांव में अपने समूहों को प्रोत्साहित करते हुए नाला निर्माण, खेतों की मेड़ आदि निर्माण का कार्य कराया।
- किसान ऋण
उन्होंने किसानों को विभिन्न कार्यों के लिए ऋण उपलब्ध कराया और वर्मी कंपोस्ट, देशी खाद आदि के प्रयोग लिए जागरुक बनाया।
डेयरी स्थापना
दूध उत्पादन में किसानों के साथ होने वाली परेशानियों का अध्ययन नीलिमा मिश्रा ने किया और दूध उत्पादकों को न्याय दिलाने के लिए एक भव्य डेयरी स्थापना की संकल्पना की है। इसके लिए उनकी संस्था ने बहादरपुर गांव के छह जरूरतमंद किसानों को दो-दो भैंसे ख़रीदने के लिए ऋण उपलब्ध कराया है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख