|
|
पंक्ति 8: |
पंक्ति 8: |
| | | | | |
| <quiz display=simple> | | <quiz display=simple> |
| {किस [[वाद्य यंत्र]] वादक को [[पद्मश्री]] से लेकर [[भारत रत्न]] तक के सभी राष्ट्रीय सम्मानों से अलंकृत किया जा चुका है?
| |
| |type="()"}
| |
| -[[पंडित रविशंकर]]
| |
| +[[बिस्मिल्ला ख़ाँ]]
| |
| -शिवकुमार शर्मा
| |
| -[[हरिप्रसाद चौरसिया]]
| |
| ||[[चित्र:Ustad-Bismillah-khan.jpg|बिस्मिल्ला ख़ाँ|100px|right]][[बिस्मिल्ला ख़ाँ]] को एक [[शहनाई वादक]] के रूप में ख्याति प्राप्त है। [[1969]] ई. में 'एशियाई संगीत सम्मेलन' के 'रोस्टम पुरस्कार' तथा अन्य पुरस्कारों से सम्मानित बिस्मिल्ला खाँ ने [[शहनाई]] को [[भारत]] के बाहर एक पहचान प्रदान की है। उन्हें [[1956]] में [[संगीत नाटक अकादमी]], [[1961]] में [[पद्मश्री]], [[1968]] में [[पद्म भूषण]] तथा [[1980]] में [[पद्म विभूषण]] से सम्मानित किया गया। [[2001]] में उन्हें [[भारत रत्न]] तथा [[मध्य प्रदेश]] में उन्हें सरकार द्वारा 'तानसेन पुरस्कार' से भी सम्मानित किया गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बिस्मिल्ला ख़ाँ]]
| |
|
| |
| {[[मुग़ल]] शैली के विश्वप्रसिद्ध चित्र '[[बैलगाड़ी]]' का चित्रण किसने किया है?
| |
| |type="()"}
| |
| -[[दसवंत]]
| |
| -[[मनोहर]]
| |
| -मंसूर
| |
| +अबुल हसन
| |
|
| |
| {जाति प्रथा एवं छुआछूत को समाप्त करने के उद्देश्य से 'लंगर' परम्परा की नींव किसने डाली?
| |
| |type="()"}
| |
| -[[गुरु नानक देव]]
| |
| -[[गुरु अंगद]]
| |
| +[[गुरु अमरदास]]
| |
| -[[गुरु रामदास]]
| |
| ||[[चित्र:Guru-Amar-Das.jpg|right|120px|गुरु अमरदास]]गुरु अमरदास ने अपनी बातें सिर्फ़ उपदेशात्मक रुप में कही हों, ऐसा कदापि नहीं है, उन्होंने उन उपदेशों को अपने जीवन में अमल में लाकर स्वयं एक आदर्श बनकर सामाजिक सद्भाव की मिसाल क़ायम की। [[गुरु अमरदास]] ने छूत-अछूत जैसी बुराइयों को दूर करने के लिये 'लंगर परम्परा' चलाई, जहाँ कथित अछूत लोग, जिनके सामीप्य से लोग बचने की कोशिश करते थे, उन्हीं उच्च जाति वालों के साथ एक पंक्ति में बैठकर भोजन करते थे। गुरु अमरदास द्वारा शुरू की गई यह लंगर परम्परा आज भी क़ायम है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गुरु अमरदास]]
| |
|
| |
| {[[पुराण|पुराणों]] की कुल संख्या कितनी है?
| |
| |type="()"}
| |
| -12
| |
| -16
| |
| +18
| |
| -20
| |
|
| |
| {[[महर्षि गौतम]] का सम्बन्ध किस [[दर्शन]] से है?
| |
| |type="()"}
| |
| -[[सांख्य दर्शन]] से
| |
| -योग दर्शन से
| |
| +[[न्याय दर्शन]] से
| |
| -[[वैशेषिक दर्शन]] से
| |
| ||'न्याय दर्शन' के कर्ता [[महर्षि गौतम]] परम तपस्वी एवं संयमी थे। '[[न्यायसूत्र]]' के रचयिता का गोत्र नाम 'गौतम' और व्यक्तिगत नाम 'अक्षपाद' है। 'न्यायसूत्र' पाँच अध्यायों में विभक्त है, जिनमें प्रमाणादि षोडश पदार्थों के उद्देश्य, लक्षण तथा परीक्षण किये गये हैं। [[वात्स्यायन]] ने न्यायसूत्रों पर विस्तृत भाष्य लिखा है। इस भाष्य का रचनाकाल विक्रम पूर्व प्रथम शतक माना जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[न्याय दर्शन]]
| |
|
| |
| {'[[छाऊ नृत्य]]' किस राज्य का प्रसिद्ध [[लोक नृत्य]] है? | | {'[[छाऊ नृत्य]]' किस राज्य का प्रसिद्ध [[लोक नृत्य]] है? |
| |type="()"} | | |type="()"} |