"बुल्ले नूँ समझावन आँईयाँ -बुल्ले शाह": अवतरणों में अंतर
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|चित्र का नाम=बुल्ले शाह | |चित्र का नाम=बुल्ले शाह | ||
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|जन्म=1680 | |जन्म=1680 ई. | ||
|जन्म स्थान=गिलानियाँ उच्च, वर्तमान पाकिस्तान | |जन्म स्थान=गिलानियाँ उच्च, वर्तमान पाकिस्तान | ||
|मृत्यु=1758 | |मृत्यु=1758 ई. | ||
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|मुख्य रचनाएँ= बुल्ले नूँ समझावन आँईयाँ, अब हम गुम हुए, किते चोर बने किते काज़ी हो | |मुख्य रचनाएँ= बुल्ले नूँ समझावन आँईयाँ, अब हम गुम हुए, किते चोर बने किते काज़ी हो | ||
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'''हिन्दी अनुवाद | '''हिन्दी अनुवाद''' | ||
बुल्ले को समझाने बहनें और भाभियाँ आईं, (उन्होंने कहा) 'हमारा कहना मान बुल्ले, आराइनों का साथ छोड़ दे। नबी के परिवार और अली के वंशजों को क्यों कलंकित करता है?' | बुल्ले को समझाने बहनें और भाभियाँ आईं, (उन्होंने कहा) 'हमारा कहना मान बुल्ले, आराइनों का साथ छोड़ दे। नबी के परिवार और अली के वंशजों को क्यों कलंकित करता है?' | ||
बुल्ले ने जवाब दिया- जो मुझे सैय्यद बुलाएगा उसे दोज़ख़ ([[नरक]]) में सज़ा मिलेगी। जो मुझे आराइन कहेगा उसे बहिश्त (स्वर्ग) के सुहावने झूले मिलेंगे। आराइन और सैय्यद इधर-उधर पैदा होते रहते हैं, परमात्मा को ज़ात की परवाह नहीं। वह ख़ूबसूरतों को परे धकेलता है और बदसूरतों को गले लगता है। अगर तू बाग़-बहार ([[स्वर्ग]]) चाहता है, आराइनों का नौकर बन जा। बुल्ले की ज़ात क्या पूछता है? भगवान की बनाई दुनिया के लिए शुक्र मना' | बुल्ले ने जवाब दिया- जो मुझे सैय्यद बुलाएगा उसे दोज़ख़ ([[नरक]]) में सज़ा मिलेगी। जो मुझे आराइन कहेगा उसे बहिश्त (स्वर्ग) के सुहावने झूले मिलेंगे। आराइन और सैय्यद इधर-उधर पैदा होते रहते हैं, परमात्मा को ज़ात की परवाह नहीं। वह ख़ूबसूरतों को परे धकेलता है और बदसूरतों को गले लगता है। अगर तू बाग़-बहार ([[स्वर्ग]]) चाहता है, आराइनों का नौकर बन जा। बुल्ले की ज़ात क्या पूछता है? भगवान की बनाई दुनिया के लिए शुक्र मना' | ||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
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==संबंधित लेख== | |||
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12:41, 18 फ़रवरी 2017 के समय का अवतरण
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बुल्ले नूँ समझावन आँईयाँ भैनाँ ते भरजाईयाँ |
हिन्दी अनुवाद
बुल्ले को समझाने बहनें और भाभियाँ आईं, (उन्होंने कहा) 'हमारा कहना मान बुल्ले, आराइनों का साथ छोड़ दे। नबी के परिवार और अली के वंशजों को क्यों कलंकित करता है?'
बुल्ले ने जवाब दिया- जो मुझे सैय्यद बुलाएगा उसे दोज़ख़ (नरक) में सज़ा मिलेगी। जो मुझे आराइन कहेगा उसे बहिश्त (स्वर्ग) के सुहावने झूले मिलेंगे। आराइन और सैय्यद इधर-उधर पैदा होते रहते हैं, परमात्मा को ज़ात की परवाह नहीं। वह ख़ूबसूरतों को परे धकेलता है और बदसूरतों को गले लगता है। अगर तू बाग़-बहार (स्वर्ग) चाहता है, आराइनों का नौकर बन जा। बुल्ले की ज़ात क्या पूछता है? भगवान की बनाई दुनिया के लिए शुक्र मना'
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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