"बंजर अश्रुबिन्दु -एक अवस्था -वंदना गुप्ता": अवतरणों में अंतर
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जैसे समा जाना चाहती हो आज ही | जैसे समा जाना चाहती हो आज ही | ||
मोहन की मोहिनी मोहन मे | मोहन की मोहिनी मोहन मे | ||
उफ़ ! ये नारी | उफ़ ! ये नारी हृदय कितना व्याकुल था | ||
जो एक अंदेसा मन मे उपजा था | जो एक अंदेसा मन मे उपजा था | ||
उसी मे चिन्तातुर था | उसी मे चिन्तातुर था |
09:54, 24 फ़रवरी 2017 के समय का अवतरण
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सुनो कान्हा |
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