"वैदेही वनवास चतुर्थ सर्ग": अवतरणों में अंतर
कात्या सिंह (वार्ता | योगदान) ('{| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |चित्र=Ayodhya-Singh-Upad...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replacement - " दुख " to " दु:ख ") |
||
पंक्ति 191: | पंक्ति 191: | ||
अपने हित साधन की ललकों में पड़े। | अपने हित साधन की ललकों में पड़े। | ||
अहित लोक लालों के लोगों ने किए॥ | अहित लोक लालों के लोगों ने किए॥ | ||
प्राणिमात्र के | प्राणिमात्र के दु:ख को भव-परिताप को। | ||
तृण गिनता है मानव निज सुख के लिए॥34॥ | तृण गिनता है मानव निज सुख के लिए॥34॥ | ||
14:10, 2 जून 2017 का अवतरण
| ||||||||||||||||||||||||
अवधपुरी के निकट मनोरम-भूमि में। |
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख