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*[[कृष्ण|भगवान श्रीकृष्ण]] की स्तुति लगभग सारे भारत में किसी न किसी रूप में की जाती है। | *[[कृष्ण|भगवान श्रीकृष्ण]] की स्तुति लगभग सारे भारत में किसी न किसी रूप में की जाती है। | ||
14:11, 30 जून 2017 के समय का अवतरण
ऋतधामा हिन्दू मान्यताओं और पौराणिक महाकाव्य महाभारत के उल्लेखानुसार भगवान श्रीकृष्ण के कई नामों में से एक है।
- प्राणियों के सार का नाम है 'धाम' और ऋत का अर्थ है 'सत्य', ऐसा विद्वानों ने विचार किया है। इसीलिये ब्राह्मणों ने तत्काल मेरा नाम ‘ऋतधामा’ रख दिया था।[1]
- कृष्ण हिन्दू धर्म में विष्णु के अवतार माने जाते हैं।
- श्रीकृष्ण साधारण व्यक्ति न होकर युग पुरुष थे। उनके व्यक्तित्व में भारत को एक प्रतिभा सम्पन्न राजनीतिवेत्ता ही नही, एक महान् कर्मयोगी और दार्शनिक प्राप्त हुआ, जिसका 'गीता' ज्ञान समस्त मानव-जाति एवं सभी देश-काल के लिए पथ-प्रदर्शक है।
- भगवान श्रीकृष्ण की स्तुति लगभग सारे भारत में किसी न किसी रूप में की जाती है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस. पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 26 |
- ↑ महाभारत शान्ति पर्व अध्याय 342 श्लोक 62-76