"धू धू कर जल रही है चिता मेरी -वंदना गुप्ता": अवतरणों में अंतर
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वो भूल जाता है | वो भूल जाता है | ||
और प्रेम की आंच पर ही | और प्रेम की आंच पर ही | ||
ख़ाली देग सा धधकता है | |||
नहीं जान पायी आज तक | नहीं जान पायी आज तक | ||
क्यूंकि | क्यूंकि |
11:17, 5 जुलाई 2017 का अवतरण
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प्रेम |
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