"हेलिओडोरस स्तम्भ": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
No edit summary
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
[[चित्र:Heliodorus-Pillar-Vidisha.jpg|thumb|220px|हेलिओडोरस स्तम्भ, [[विदिशा]]]]
{{सूचना बक्सा पर्यटन
|चित्र=Heliodorus-Pillar-Vidisha.jpg
|चित्र का नाम=हेलिओडोरस स्तम्भ
|विवरण=हेलिओडोरस स्तम्भ को लोक भाषा में "खाम बाबा" के रूप में जाना जाता है।
|राज्य= मध्य प्रदेश
|केन्द्र शासित प्रदेश=
|ज़िला= विदिशा
|निर्माता=[[हेलिओडोरस]]
|स्वामित्व=
|प्रबंधक=
|निर्माण काल=
|स्थापना=
|भौगोलिक स्थिति=
|मार्ग स्थिति=
|मौसम=
|तापमान=
|प्रसिद्धि=
|कब जाएँ=
|कैसे पहुँचें=
|हवाई अड्डा=
|रेलवे स्टेशन=
|बस अड्डा=
|यातायात=
|क्या देखें=
|कहाँ ठहरें=
|क्या खायें=
|क्या ख़रीदें=
|एस.टी.डी. कोड=
|ए.टी.एम=
|सावधानी=
|मानचित्र लिंक=[https://www.google.co.in/maps/place/Heliodorus+Pillar/@23.5494882,77.7979003,17z/data=!3m1!4b1!4m5!3m4!1s0x397c0430e080be9d:0x2ea887f11cce220d!8m2!3d23.5494882!4d77.800089?dcr=0 गूगल मानचित्र]
|संबंधित लेख= [[मालवा]], [[बेसनगर]], [[विदिशा]], [[ब्राह्मी लिपि]],  [[अभिलेख]], [[हेलिओडोरस]], [[वैदिक धर्म]]  
|शीर्षक 1=
|पाठ 1=
|शीर्षक 2=
|पाठ 2=
|अन्य जानकारी=[[हेलिओडोरस]] ने भक्तिभाव से भगवान [[विष्णु]] के एक मंदिर का निर्माण करवाया तथा उसके सामने 'गरुड़ ध्वज' नामक स्तम्भ बनवाया।
|बाहरी कड़ियाँ=
|अद्यतन=06:16, 9 सितम्बर 2017 (IST)
}}
'''हेलिओडोरस स्तम्भ''' पूर्वी [[मालवा]] के [[बेसनगर]] (वर्तमान [[विदिशा]]) में स्थित है। इसे लोक भाषा में "खाम बाबा" के रूप में जाना जाता है। एक ही पत्थर को काटकर बनाया गया यह स्तम्भ ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। स्तम्भ पर [[पाली भाषा]] में [[ब्राह्मी लिपि]] का प्रयोग करते हुए एक [[अभिलेख]] मिलता है। यह अभिलेख स्तम्भ इतिहास के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी देता है। इसे 'गरुड़ ध्वज' या 'गरुड़ स्तम्भ' भी कहा जाता है।
'''हेलिओडोरस स्तम्भ''' पूर्वी [[मालवा]] के [[बेसनगर]] (वर्तमान [[विदिशा]]) में स्थित है। इसे लोक भाषा में "खाम बाबा" के रूप में जाना जाता है। एक ही पत्थर को काटकर बनाया गया यह स्तम्भ ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। स्तम्भ पर [[पाली भाषा]] में [[ब्राह्मी लिपि]] का प्रयोग करते हुए एक [[अभिलेख]] मिलता है। यह अभिलेख स्तम्भ इतिहास के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी देता है। इसे 'गरुड़ ध्वज' या 'गरुड़ स्तम्भ' भी कहा जाता है।
==अभिलेख==
==अभिलेख==

12:47, 9 सितम्बर 2017 का अवतरण

हेलिओडोरस स्तम्भ
हेलिओडोरस स्तम्भ
हेलिओडोरस स्तम्भ
विवरण हेलिओडोरस स्तम्भ को लोक भाषा में "खाम बाबा" के रूप में जाना जाता है।
राज्य मध्य प्रदेश
ज़िला विदिशा
निर्माता हेलिओडोरस
गूगल मानचित्र
संबंधित लेख मालवा, बेसनगर, विदिशा, ब्राह्मी लिपि, अभिलेख, हेलिओडोरस, वैदिक धर्म


अन्य जानकारी हेलिओडोरस ने भक्तिभाव से भगवान विष्णु के एक मंदिर का निर्माण करवाया तथा उसके सामने 'गरुड़ ध्वज' नामक स्तम्भ बनवाया।
अद्यतन‎ 06:16, 9 सितम्बर 2017 (IST)

हेलिओडोरस स्तम्भ पूर्वी मालवा के बेसनगर (वर्तमान विदिशा) में स्थित है। इसे लोक भाषा में "खाम बाबा" के रूप में जाना जाता है। एक ही पत्थर को काटकर बनाया गया यह स्तम्भ ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। स्तम्भ पर पाली भाषा में ब्राह्मी लिपि का प्रयोग करते हुए एक अभिलेख मिलता है। यह अभिलेख स्तम्भ इतिहास के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी देता है। इसे 'गरुड़ ध्वज' या 'गरुड़ स्तम्भ' भी कहा जाता है।

अभिलेख

नौवें शुंग शासक महाराज भागभद्र के दरबार में तक्षशिला के यवन राजा अंतलिखित की ओर से दूसरी सदी ई. पू. में हेलिओडोरस नाम का एक राजदूत नियुक्त हुआ। इस राजदूत ने वैदिक धर्म की व्यापकता से प्रभावित होकर 'भागवत धर्म' स्वीकार कर लिया था। उसी ने भक्तिभाव से भगवान विष्णु के एक मंदिर का निर्माण करवाया तथा उसके सामने 'गरुड़ ध्वज' नामक स्तम्भ बनवाया।[1] इस स्तम्भ से प्राप्त अभिलेख इस प्रकार है-

  1. देव देवस वासुदेवस गरुड़ध्वजे अयं
  2. कारिते इष्य हेलियो दरेण भाग
  3. वर्तन दियस पुत्रेण नखसिला केन
  4. योन दूतेन आगतेन महाराज स
  5. अंतलिकितस उपता सकारु रजो
  6. कासी पु (त्र) (भा) ग (भ) द्रस त्रातारस
  7. वसेन (चतु) दसेन राजेन वधमानस।

"! देवाधिदेव वासुदेव का यह गरुड़ध्वज (स्तम्भ) तक्षशिला निवासी दिय के पुत्र भागवत हेलिओवर ने बनवाया, जो महाराज अंतिलिकित के यवन राजदूत होकर विदिशा में काशी (माता) पुत्र (प्रजा) पालक भागभद्र के समीप उनके राज्यकाल के चौदहवें वर्ष में आये थे।"

मंदिर के प्रमाण

वर्तमान में इस स्तम्भ के पास निर्मित मंदिर अब नष्ट हो चुका है, लेकिन पुरातात्विक प्रमाण इस बात की पुष्टि करते हैं कि प्राचीन काल में यहाँ एक वृत्तायत मंदिर था, जिसकी नींव 22 सेंटीमीटर चौड़ी तथा 15 से 20 सेंटीमीटर गहरी मिली है। गर्भगृह का क्षेत्रफल 8.13 मीटर है। प्रदक्षिणापथ की चौड़ाई 2.5 मीटर है। इसकी बाहरी दीवार भी वृत्तायत है। पूर्व की ओर स्थित सभामंडप आयताकार है। यहीं से मंदिर का द्वार था। नींव में लकड़ी के खम्भे होने का प्रमाण भी मिला है। पुरातात्विक प्रमाण यह भी बताते हैं कि यहाँ पहले कुल 8 स्तम्भ थे, जिसमें पहले गरुड़, ताड़पत्र और मकर आदि के चिह्न बने हुए थे।[1]

इन स्तम्भों में सात स्तम्भ एक ही कतार में मंदिर के पूर्व भाग में उत्तर-दक्षिण की तरफ़ लगे हुए थे, जो अब नष्ट हो चुके हैं। आठवाँ स्तम्भ ही "हेलिओडोरस स्तम्भ" के रूप में जाना जाता है। यहाँ पहले के मंदिर के भग्नावशेष पर ही दूसरी सदी ई. पू. में नया मंदिर बनाया गया था। यह मंदिर लगभग पहली शताब्दी ईसा पूर्व में बाढ़ में बह गया। इस स्थान पर बना वासुदेव का मंदिर संसार का प्राचीनतम मंदिर माना जाता है। बेसनगर के पूर्व में ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी के स्तूप भी मिले हैं। विद्धान इन बचे हुए स्तूपों को साँची के भी पूर्व का मानते हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 हेलिओडोरस स्तम्भ (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 28 जनवरी, 2013।

संबंधित लेख