"श्रीवर्धन": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
(''''श्रीवर्धन''' पूना, महाराष्ट्र का ऐतिहासिक स्थान।...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replacement - "पश्चात " to "पश्चात् ") |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
'''श्रीवर्धन''' [[पूना]], [[महाराष्ट्र]] का ऐतिहासिक स्थान। यह महाराष्ट्र के नायक [[बालाजी विश्वनाथ]] के सुपुत्र [[बाजीराव प्रथम]] (दूसरे [[पेशवा]]) का जन्म स्थान था। | '''श्रीवर्धन''' [[पूना]], [[महाराष्ट्र]] का ऐतिहासिक स्थान। यह महाराष्ट्र के नायक [[बालाजी विश्वनाथ]] के सुपुत्र [[बाजीराव प्रथम]] (दूसरे [[पेशवा]]) का जन्म स्थान था। | ||
*बाजीराव प्रथम का, जिसने महाराष्ट्र की शक्ति की दुंदुभि सारे [[भारत]] में बजाई, जन्म 1699 ई. में हुआ था। [[पिता]] की मृत्यु के 15 दिन | *बाजीराव प्रथम का, जिसने महाराष्ट्र की शक्ति की दुंदुभि सारे [[भारत]] में बजाई, जन्म 1699 ई. में हुआ था। [[पिता]] की मृत्यु के 15 दिन पश्चात् ही इन्हें पेशवा की गद्दी पर [[साहू]] ने आसीन कर दिया था। इन्होंने [[हिन्दू]] जाति के संगठन को सुदृढ़ बनाने का बहुत प्रयास किया। इनके समय में [[महाराष्ट्र]] राज्यसत्ता की धाक उत्तरी हिन्दुस्तान में भी छाई हुई थी। यहां तक कि [[दिल्ली]] का [[मुग़ल]] बादशाह भी इनका वशवर्ती बन गया था।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=923|url=}}</ref> | ||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} |
07:34, 7 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण
श्रीवर्धन पूना, महाराष्ट्र का ऐतिहासिक स्थान। यह महाराष्ट्र के नायक बालाजी विश्वनाथ के सुपुत्र बाजीराव प्रथम (दूसरे पेशवा) का जन्म स्थान था।
- बाजीराव प्रथम का, जिसने महाराष्ट्र की शक्ति की दुंदुभि सारे भारत में बजाई, जन्म 1699 ई. में हुआ था। पिता की मृत्यु के 15 दिन पश्चात् ही इन्हें पेशवा की गद्दी पर साहू ने आसीन कर दिया था। इन्होंने हिन्दू जाति के संगठन को सुदृढ़ बनाने का बहुत प्रयास किया। इनके समय में महाराष्ट्र राज्यसत्ता की धाक उत्तरी हिन्दुस्तान में भी छाई हुई थी। यहां तक कि दिल्ली का मुग़ल बादशाह भी इनका वशवर्ती बन गया था।[1]
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 923 |