"अमावास्या": अवतरणों में अंतर
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*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है। | *[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है। | ||
*अमावस्या [[पंचांग]] के अनुसार [[माह]] की ३०वीं तिथि है। | |||
*अमावस्या [[कृष्ण पक्ष]] की अंतिम तिथि है। | |||
*इस दिन [[चंद्रदेव|चंद्रमा]] [[आकाश]] में दिखाई नहीं देता। | |||
*इस दिन का भारतीय जनजीवन में अत्यधिक महत्व हैं। | |||
*हर माह की अमावस्या को कोई न कोई पर्व अवश्य मनाया जाता हैं। | |||
*वर्षक्रियाकौमुदी (9-10) में [[महाभारत]] एवं [[पुराण|पुराणों]] से उद्धरण हैं<ref>हेमाद्रि (काल पर चतुर्वर्ग-चिन्तामणि, पृ0 311-315; 643-44), कालविवेक (343-44), तिथितत्व (163), गोभिल-गृह्य (1|5|5) का भाष्य, पुरुषार्थ-चिन्तामणि (314-345) </ref>। | *वर्षक्रियाकौमुदी (9-10) में [[महाभारत]] एवं [[पुराण|पुराणों]] से उद्धरण हैं<ref>हेमाद्रि (काल पर चतुर्वर्ग-चिन्तामणि, पृ0 311-315; 643-44), कालविवेक (343-44), तिथितत्व (163), गोभिल-गृह्य (1|5|5) का भाष्य, पुरुषार्थ-चिन्तामणि (314-345) </ref>। | ||
*[[सोमवार]], [[मंगलवार]] या [[बृहस्पतिवार]] के दिन तथा [[अनुराधा]], [[विशाखा]] एवं [[स्वाति नक्षत्र|स्वाति नक्षत्रों]] में पड़ने वाली अमावास्या विशेष रूप से पवित्र मानी जाती है। <ref>हेमाद्रि व्रतखण्ड (2, 246-257), माधवकृत कालनिर्णय (309) एवं व्रतार्क (334-356)</ref> | *[[सोमवार]], [[मंगलवार]] या [[बृहस्पतिवार]] के दिन तथा [[अनुराधा]], [[विशाखा]] एवं [[स्वाति नक्षत्र|स्वाति नक्षत्रों]] में पड़ने वाली अमावास्या विशेष रूप से पवित्र मानी जाती है। <ref>हेमाद्रि व्रतखण्ड (2, 246-257), माधवकृत कालनिर्णय (309) एवं व्रतार्क (334-356)</ref> |
09:35, 7 सितम्बर 2010 का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- अमावस्या पंचांग के अनुसार माह की ३०वीं तिथि है।
- अमावस्या कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि है।
- इस दिन चंद्रमा आकाश में दिखाई नहीं देता।
- इस दिन का भारतीय जनजीवन में अत्यधिक महत्व हैं।
- हर माह की अमावस्या को कोई न कोई पर्व अवश्य मनाया जाता हैं।
- वर्षक्रियाकौमुदी (9-10) में महाभारत एवं पुराणों से उद्धरण हैं[1]।
- सोमवार, मंगलवार या बृहस्पतिवार के दिन तथा अनुराधा, विशाखा एवं स्वाति नक्षत्रों में पड़ने वाली अमावास्या विशेष रूप से पवित्र मानी जाती है। [2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
अन्य संबंधित लिंक
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