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गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) ('{{फ़ॅसबुक पहेली}} {| class="bharattable-green" width="100%" |- | चित्र:Paheli-logo.png|right|120px...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
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||[[चित्र:Tea-Worker.jpg|right|100px|border|चाय के बाग़ान में काम करते कुछ लोग]]'गुवाहाटी' [[असम]] का महत्त्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र तथा [[बंदरगाह]] है। 'पूर्वोत्तर का प्रवेश द्वार' कहा जाने वाला [[गुवाहाटी]] आसपास के क्षेत्र की व्यवसायिक गतिविधियों का केन्द्र है। इसे '''विश्व का सबसे बड़ा चाय का बाज़ार''' माना जाता है। यहाँ एक तेलशोधन संयंत्र और सरकारी कृषि क्षेत्र है तथा उद्योगों में [[चाय]] तथा [[कृषि]] उत्पादों का प्रसंस्करण, अनाज पिसाई तथा साबुन बनाना है। यहाँ कई स्थानीय मेले तथा उत्सव मनाए जाते हैं। सर्दियों में 'असम चाय उत्सव' मनाया जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गुवाहाटी]], [[चाय]] | ||[[चित्र:Tea-Worker.jpg|right|100px|border|चाय के बाग़ान में काम करते कुछ लोग]]'गुवाहाटी' [[असम]] का महत्त्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र तथा [[बंदरगाह]] है। 'पूर्वोत्तर का प्रवेश द्वार' कहा जाने वाला [[गुवाहाटी]] आसपास के क्षेत्र की व्यवसायिक गतिविधियों का केन्द्र है। इसे '''विश्व का सबसे बड़ा चाय का बाज़ार''' माना जाता है। यहाँ एक तेलशोधन संयंत्र और सरकारी कृषि क्षेत्र है तथा उद्योगों में [[चाय]] तथा [[कृषि]] उत्पादों का प्रसंस्करण, अनाज पिसाई तथा साबुन बनाना है। यहाँ कई स्थानीय मेले तथा उत्सव मनाए जाते हैं। सर्दियों में 'असम चाय उत्सव' मनाया जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गुवाहाटी]], [[चाय]] | ||
{'रामतनु पाण्डेय' किस व्यक्ति का मूल नाम था? | |||
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-[[स्वामी हरिदास]] | |||
-[[बीरबल]] | |||
+[[तानसेन]] | |||
-[[सनातन गोस्वामी]] | |||
||[[चित्र:Akbar-Tansen-Haridas.jpg|right|100px|border|स्वामी हरिदास, अकबर तथा तानसेन]]'तानसेन' की गणना [[भारत]] के महान् गायकों, मुग़ल संगीत के संगीतकारों एवं बेहतरीन संगीतज्ञों में की जाती है। [[तानसेन]] का नाम [[अकबर]] के प्रमुख संगीतज्ञों की सूची में सर्वोपरि है। वह दरबारी कलाकारों के मुखिया और [[अकबर के नवरत्न|बादशाह अकबर के नवरत्नों]] में से एक थे। तानसेन का मूल नाम क्या था, यह निश्चय पूर्वक कहना कठिन है, किंवदंतियों के अनुसार उनका नाम '''तन्ना, त्रिलोचन, तनसुख, अथवा रामतनु''' बतालाया जाता है। तानसेन उनका नाम नहीं, उनकी उपाधि थी, जो उनको [[बांधवगढ़]] के राजा रामचंद्र से प्राप्त हुई थी। यह उपाधि इतनी प्रसिद्ध हुई कि उसने रामतनु के मूल नाम को ही लुप्त कर दिया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[तानसेन]] | |||
{"जैसे छोटा-सा तिनका हवा का रुख़ बताता है, वैसे ही मामूली घटनाएँ मनुष्य के [[हृदय]] की वृत्ति को बताती हैं।" यह कथन किसका है? | {"जैसे छोटा-सा तिनका हवा का रुख़ बताता है, वैसे ही मामूली घटनाएँ मनुष्य के [[हृदय]] की वृत्ति को बताती हैं।" यह कथन किसका है? |
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