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*[[भारतीय पुरातत्त्व विभाग|पुरातत्त्व विभाग]] ने सतमहला क्षेत्र को संरक्षित घोषित तो कर दिया है, लेकिन इसके संरक्षण की दिशा में क्या किया गया है, यह दिखाई नहीं देता। | *[[भारतीय पुरातत्त्व विभाग|पुरातत्त्व विभाग]] ने सतमहला क्षेत्र को संरक्षित घोषित तो कर दिया है, लेकिन इसके संरक्षण की दिशा में क्या किया गया है, यह दिखाई नहीं देता। | ||
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10:45, 2 जनवरी 2018 के समय का अवतरण
सतमहला छत्तीसगढ़ राज्य में एक ऐतिहासिक स्थान है। यह अम्बिकापुर के दक्षिण में लखनपुर से लगभग दस कि.मी. की दूरी पर कलचा ग्राम में स्थित है।
- छत्तीसगढ़ के इस ऐतिहासिक स्थान पर सात जगह भग्नावशेष हैं।
- स्थानीय मान्यताओं के अनुसार यहाँ पर प्राचीन काल में सात विशाल शिव मंदिर थे, जबकि जनजातियों के अनुसार इस स्थान पर प्राचीन काल में किसी राजा का 'सप्त प्रांगण महल' था।
- यहाँ कई दर्शनीय स्थल हैं, जिनमें 'शिव मंदिर', 'षटभुजाकार कुंआ' और 'सूर्य प्रतिमा' प्रमुख हैं।
- सतमहला में जगह-जगह पुरातात्त्विक महत्त्व की चींजे बिखरी हुई हैं, जिनके रखरखाव की दिशा में शासन प्रशासन द्वारा कोई पहल नहीं की गई है, जिस कारण ऐतिहासिक महत्व की इन धरोहरों के नष्ट होने व चोरी चले जानें की आशंका बनी हुई है।
- पुरातत्त्व विभाग ने सतमहला क्षेत्र को संरक्षित घोषित तो कर दिया है, लेकिन इसके संरक्षण की दिशा में क्या किया गया है, यह दिखाई नहीं देता।
- सूरजपुर से 30 कि.मी. दूर 'देवगढ़' व 'कलचा' में प्राचीन महल व मंदिर के अवशेष बिखरे हुए हैं, जिनके रखरखाव की ज़रूरत है। सतमहला में जहां सात महल के अवशेष हैं तो वहीं एक ही स्थान पर 10 तालाब भी हैं, जो तत्कालीन समय में जल के संरक्षण की दिशा में चिंता को इंगित करता है।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ असुरक्षित है सतमहला की धरोहर (हिन्दी) देशबन्धु। अभिगमन तिथि: 12 दिसम्बर, 2014।