"अल-इंशिराह": अवतरणों में अंतर
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'''अल-इंशिराह''' [[इस्लाम धर्म]] के पवित्र ग्रंथ [[क़ुरआन]] का 94वाँ [[सूरा]] (अध्याय) है जिसमें 8 [[आयत (क़ुरआन)|आयतें]] होती हैं।<br /> | '''अल-इंशिराह''' [[इस्लाम धर्म]] के पवित्र ग्रंथ [[क़ुरआन]] का 94वाँ [[सूरा]] (अध्याय) है जिसमें 8 [[आयत (क़ुरआन)|आयतें]] होती हैं।<br /> | ||
94:1- (ऐ रसूल) क्या हमने तुम्हारा सीना इल्म से कुशादा नहीं कर दिया ( | 94:1- (ऐ रसूल) क्या हमने तुम्हारा सीना इल्म से कुशादा नहीं कर दिया (ज़रूर किया)।<br /> | ||
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94:3- जिसने तुम्हारी कमर तोड़ रखी थी।<br /> | 94:3- जिसने तुम्हारी कमर तोड़ रखी थी।<br /> |
10:50, 2 जनवरी 2018 के समय का अवतरण
अल-इंशिराह इस्लाम धर्म के पवित्र ग्रंथ क़ुरआन का 94वाँ सूरा (अध्याय) है जिसमें 8 आयतें होती हैं।
94:1- (ऐ रसूल) क्या हमने तुम्हारा सीना इल्म से कुशादा नहीं कर दिया (ज़रूर किया)।
94:2- और तुम पर से वह बोझ उतार दिया।
94:3- जिसने तुम्हारी कमर तोड़ रखी थी।
94:4- और तुम्हारा ज़िक्र भी बुलन्द कर दिया।
94:5- तो (हाँ) पस बेशक दुशवारी के साथ ही आसानी है।
94:6- यक़ीनन दुश्वारी के साथ आसानी है।
94:7- तो जब तुम फारिग़ हो जाओ तो मुक़र्रर कर दो।
94:8- और फिर अपने परवरदिगार की तरफ रग़बत करो।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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