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        जो सफलता का मंच है वह बीसवीं सीढ़ी चढ़ कर मिलेगा और इस मंच पर हम उन्नीस सीढ़ी चढ़ने के बाद भी नहीं पहुँच सकते क्योंकि बीसवीं तो ज़रूरी ही है। अब एक बात यह भी होती है कि उन्नीसवीं सीढ़ी से नीचे देखते हैं तो लगता है कि हमने कितनी सारी सीढ़ियाँ चढ़ ली हैं और न जाने कितनी और भी चढ़नी पड़ेंगी। इसलिए हताश हो जाना स्वाभाविक ही होता है। जबकि हम मात्र एक सीढ़ी नीचे ही होते हैं। ये आख़िरी सीढ़ी कोई भी कभी भी हो सकती है क्योंकि सफलता कभी आती हुई नहीं दिखती सिर्फ़ जाती हुई दिखती है। [[सफलता का शॉर्ट-कट -आदित्य चौधरी|...पूरा पढ़ें]]
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| [[शहीद मुकुल द्विवेदी के नाम पत्र -आदित्य चौधरी|शहीद मुकुल द्विवेदी के नाम पत्र]]
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* [http://adityachaudhary.com अधिक जानकारी के लिए देखें- adityachaudhary.com]
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<h4>एक पर्यटन स्थल</h4>
<h4>एक पर्यटन स्थल</h4>
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12:28, 22 फ़रवरी 2018 का अवतरण

आज का दिन - 20 नवम्बर 2024 (भारतीय समयानुसार)


भारतकोश हलचल

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जन्म
हरे कृष्ण मेहताब (21 नवम्बर) यदुनाथ सिंह (21 नवम्बर) उज्ज्वला मजूमदार (21 नवम्बर) केसरी सिंह बारहट (21 नवम्बर) आनंदीबेन पटेल (21 नवम्बर) लोकनाथ मिश्रा (21 नवम्बर) नरेशचंद्र सिंह (21 नवम्बर) नवीन मलिक (21 नवम्बर) मिलखा सिंह (20 नवम्बर) बबीता फोगाट (20 नवम्बर) टीपू सुल्तान (20 नवम्बर) अहमद नदीम क़ासमी (20 नवम्बर)
मृत्यु
चंद्रशेखर वेंकट रामन (21 नवम्बर) क्रांतिकारी सत्येंद्रनाथ बोस (21 नवम्बर) गुरमीत बावा (21 नवम्बर) अविनाशलिंगम चेट्टियार (21 नवम्बर) कल्याण मल लोढ़ा (21 नवम्बर) श्याम बहादुर वर्मा (20 नवम्बर) प्रियरंजन दासमुंशी (20 नवम्बर) फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ (20 नवम्बर) निर्मला ठाकुर (20 नवम्बर) एम. एन. कौल (20 नवम्बर)


भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी

सफलता का शॉर्ट-कट

        जो सफलता का मंच है वह बीसवीं सीढ़ी चढ़ कर मिलेगा और इस मंच पर हम उन्नीस सीढ़ी चढ़ने के बाद भी नहीं पहुँच सकते क्योंकि बीसवीं तो ज़रूरी ही है। अब एक बात यह भी होती है कि उन्नीसवीं सीढ़ी से नीचे देखते हैं तो लगता है कि हमने कितनी सारी सीढ़ियाँ चढ़ ली हैं और न जाने कितनी और भी चढ़नी पड़ेंगी। इसलिए हताश हो जाना स्वाभाविक ही होता है। जबकि हम मात्र एक सीढ़ी नीचे ही होते हैं। ये आख़िरी सीढ़ी कोई भी कभी भी हो सकती है क्योंकि सफलता कभी आती हुई नहीं दिखती सिर्फ़ जाती हुई दिखती है। ...पूरा पढ़ें

पिछले सभी लेख शहीद मुकुल द्विवेदी के नाम पत्र शर्मदार की मौत

एक पर्यटन स्थल

बंगारम द्वीप समूह
बंगारम द्वीप समूह

        लक्षद्वीप भारत के दक्षिण-पश्चिम में हिंद महासागर में स्थित एक भारतीय द्वीप-समूह है। सभी केन्द्रशासित प्रदेशों में लक्षद्वीप सबसे छोटा है। यह भारत की मुख्यभूमि से लगभग 400 किमी दूर पश्चिम दिशा में अरब सागर में अवस्थित है। लक्षद्वीप द्वीप-समूह में कुल 36 द्वीप है परन्तु केवल 7 द्वीपों पर ही जनजीवन है। देशी पयर्टकों को 6 द्वीपों पर जाने की अनुमति है जबकि विदेशी पयर्टकों को केवल 2 द्वीपों (अगाती व बंगाराम) पर जाने की अनुमति है। मुख्य भूमि से दूर इनका प्राकृतिक सौंदर्य, प्रदूषणमुक्त वातावरण, चारों ओर समुद्र और इसकी पारदर्शी सतह पर्यटकों को सम्मोहित कर लेती है। समुद्री जल में तैरती मछलियाँ इन द्वीपों की सुंदरता को और बढ़ा देती हैं। ये द्वीप प्रकृति की एक अद्भुत देन है। यह आश्चर्य की बात है कि यहाँ की धरती का निर्माण मूँगों द्वारा किया गया। उन्होंने ही मानव के रहन-सहन के उपयुक्त बनाया। यह द्वीप पर्यटकों का स्वर्ग है। यहाँ का नैसर्गिक वातावरण देश-विदेश के सैलानियों को बरबस ही अपनी ओर खींच लेता है। ... और पढ़ें

पिछले पर्यटन स्थल चंडीगढ़ लाल क़िला