"शाम्भरायणी व्रत": अवतरणों में अंतर

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*कार्तिक में आरम्भ, [[नैवेद्य]], प्रथम चार मासों के लिए [[खिचड़ी]] (कृशर), [[फाल्गुन]] से आगे के मासों में संयाव तथा [[आषाढ़]] से आगे के चार मासों में पायस करना चाहिए।
*कार्तिक में आरम्भ, [[नैवेद्य]], प्रथम चार मासों के लिए [[खिचड़ी]] (कृशर), [[फाल्गुन]] से आगे के मासों में संयाव तथा [[आषाढ़]] से आगे के चार मासों में पायस करना चाहिए।
*ब्राह्मणों को नैवेद्य का ही भोज कराना चाहिए।
*ब्राह्मणों को नैवेद्य का ही भोज कराना चाहिए।
*[[ब्राह्मण]] नारी शांभरायणी (जिससे [[बृहस्पति ॠषि|बृहस्पति]] ने [[इन्द्र]] के पूर्व के विषय में पूछा था) की प्रतिमा का स्थापन करना चाहिए।
*[[ब्राह्मण]] नारी शांभरायणी (जिससे [[बृहस्पति ऋषि|बृहस्पति]] ने [[इन्द्र]] के पूर्व के विषय में पूछा था) की प्रतिमा का स्थापन करना चाहिए।
*[[कृष्ण]] ने इस श्रद्धेया नारी की गाथा सुनायी है।<ref> हेमाद्रि (व्रत खण्ड 2, 659-665, भविष्योत्तरपुराण से उद्धरण)</ref>
*[[कृष्ण]] ने इस श्रद्धेया नारी की गाथा सुनायी है।<ref> हेमाद्रि (व्रत खण्ड 2, 659-665, भविष्योत्तरपुराण से उद्धरण)</ref>
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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हेमाद्रि (व्रत खण्ड 2, 659-665, भविष्योत्तरपुराण से उद्धरण)

संबंधित लिंक

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