('*भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा ...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
छो (पुष्यद्वादशी का नाम बदलकर पुष्य द्वादशी कर दिया गया है) |
(कोई अंतर नहीं)
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10:06, 9 सितम्बर 2010 का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- जब पुष्य नक्षत्र द्वादशी को हो।
- चन्द्र एवं बृहस्पति का योग हो तथा सूर्य कुम्भ राशि में हो तो ब्रह्मा, हरि एवं शिव या केवल वासुदेव की ही पूजा करनी चाहिए [1]।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ राजमार्तण्ड (श्लोक 1375-1377)
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