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*यज्ञ करने का पुण्य प्राप्त होता है।<ref>हेमाद्रि (व्रत खण्ड 2, 155, विष्णुधर्मोत्तरपुराण से उद्धरण)</ref>
*यज्ञ करने का पुण्य प्राप्त होता है।<ref>हेमाद्रि (व्रत खण्ड 2, 155, विष्णुधर्मोत्तरपुराण से उद्धरण)</ref>
*[[मार्गशीर्ष]] की [[एकादशी]] पर उपवास रखा जाता है।
*[[मार्गशीर्ष]] की [[एकादशी]] पर उपवास रखा जाता है।
*सर्वकामव्रत में [[चन्द्र देव|चन्द्र]] तथा [[मंगल देव|मंगल]], [[सूर्य देव|सूर्य]], निर्ऋति<ref>(मृत्यु एवं विपत्ति की देवी)</ref>, [[वरुण देवता|वरुण]], [[अग्नि देव|अग्नि]], [[रुद्र]], [[मृत्यु]], [[दुर्गा]] आदि 11 देवी-देवताओं की पूजा की जाती है।
*सर्वकामव्रत में [[चंद्र देवता|चन्द्र]] तथा [[मंगल देवता|मंगल]], [[सूर्य देव|सूर्य]], निर्ऋति<ref>(मृत्यु एवं विपत्ति की देवी)</ref>, [[वरुण देवता|वरुण]], [[अग्निदेव|अग्नि]], [[रुद्र]], [[मृत्यु]], [[दुर्गा]] आदि 11 देवी-देवताओं की पूजा की जाती है।
*सर्वकामव्रत एक वर्ष तक किया जाता है।
*सर्वकामव्रत एक वर्ष तक किया जाता है।
*अन्त में एक [[गोदान]] किया जाता है।
*अन्त में एक [[गोदान]] किया जाता है।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हेमाद्रि (व्रत खण्ड 2, 155, विष्णुधर्मोत्तरपुराण से उद्धरण)
  2. (मृत्यु एवं विपत्ति की देवी)
  3. हेमाद्रि (व्रत खण्ड 1, 1151, विष्णुधर्मोत्तरपुराण से उद्धरण)

संबंधित लिंक

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