"इन्द्र पूर्णमासी": अवतरणों में अंतर

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*यह व्रत [[भाद्रपद]] की [[पूर्णिमा]] पर उपवास करके आरम्भ करना चाहिए।
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*इस व्रत में तीस गृहस्थों का उनकी पत्नियों के साथ आभूषणों के सहित सम्मान करना चाहिए।  
*इस व्रत में तीस गृहस्थों का उनकी पत्नियों के साथ आभूषणों के सहित सम्मान करना चाहिए।  
*इसके करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। <ref>गदाधरपद्धति (176), हेमाद्रि व्रतखण्ड (2, 196)।</ref>
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05:42, 11 सितम्बर 2010 का अवतरण

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • यह व्रत भाद्रपद की पूर्णिमा पर उपवास करके आरम्भ करना चाहिए।
  • इस व्रत में तीस गृहस्थों का उनकी पत्नियों के साथ आभूषणों के सहित सम्मान करना चाहिए।
  • इसके करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. गदाधरपद्धति (176), हेमाद्रि व्रतखण्ड (2, 196)।

संबंधित लिंक

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