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वह विद्या, जिसमें [[अंक|अंकों]] को अक्षरों के स्थान पर रखते हैं और उनके समूह से उसी प्रकार अभिप्राय निकालते हैं जैसे [[शब्द (व्याकरण)|शब्दों]] और [[वाक्य|वाक्यों]] से। इसमें इकतीस अक्षर लेकर उनकी संख्या नियत कर दी गई है। जैसे 1 से 'प' अक्षर समझते हैं।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिंदी शब्दसागर, प्रथम भाग |लेखक= श्यामसुंदरदास बी. ए.|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=नागरी मुद्रण, वाराणसी |संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=02 |url=|ISBN=}}</ref>
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09:57, 1 जनवरी 2020 के समय का अवतरण

अंकपलई - संज्ञा स्त्रीलिंग (संस्कृत अङ्कपल्ल्व)

वह विद्या, जिसमें अंकों को अक्षरों के स्थान पर रखते हैं और उनके समूह से उसी प्रकार अभिप्राय निकालते हैं जैसे शब्दों और वाक्यों से। इसमें इकतीस अक्षर लेकर उनकी संख्या नियत कर दी गई है। जैसे 1 से 'प' अक्षर समझते हैं।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिंदी शब्दसागर, प्रथम भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 02 |

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