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1. शरीर के लक्षणों और रेखाओं को देखकर जीवन की घटनाओं को बताने की विद्या। शरीर की रेखाओं से मनुष्य के शुभ अशुभ फल कहने की कला। सामुद्रिक विद्या।<br /> | 1. [[मानव शरीर|शरीर]] के लक्षणों और रेखाओं को देखकर जीवन की घटनाओं को बताने की विद्या। शरीर की रेखाओं से मनुष्य के शुभ अशुभ फल कहने की कला। सामुद्रिक विद्या।<br /> | ||
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अंगविद्या - संज्ञा स्त्रीलिंग (संस्कृत अङ्गविद्या)[1]
1. शरीर के लक्षणों और रेखाओं को देखकर जीवन की घटनाओं को बताने की विद्या। शरीर की रेखाओं से मनुष्य के शुभ अशुभ फल कहने की कला। सामुद्रिक विद्या।
2. छह वेदांग।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिंदी शब्दसागर, प्रथम भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 07 |