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अस्वीकरण और अंगीकरण दोनों की क्षमता अपने प्राणों में जगानी होती है।'<ref>सुनीता, पृ. 237</ref>
अस्वीकरण और अंगीकरण दोनों की क्षमता अपने प्राणों में जगानी होती है।'<ref>सुनीता, पृ. 237, जैनेन्द्र कुमार</ref>


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06:53, 20 जनवरी 2020 के समय का अवतरण

अंगीकरण - संज्ञा पुल्लिंग विशेषण स्त्रीलिंग (संस्कृत अङ्गीकरण)[1]

'अंगीकार’

उदाहरण

अस्वीकरण और अंगीकरण दोनों की क्षमता अपने प्राणों में जगानी होती है।'[2]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिंदी शब्दसागर, प्रथम भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 09 |
  2. सुनीता, पृ. 237, जैनेन्द्र कुमार

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