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*चार [[जल]] पूर्ण घटों को चार [[समुद्र|समुद्रों]] के रूप में [[हरि]] के चार रूप, यथा–[[ | *चार [[जल]] पूर्ण घटों को चार [[समुद्र|समुद्रों]] के रूप में [[हरि]] के चार रूप, यथा–[[वसुदेव]], [[संकर्षण]] आदि को पूजना चाहिए। | ||
*इन मासों के सभी दिनों में किसी नदी में स्नान करना चाहिए। | *इन मासों के सभी दिनों में किसी नदी में स्नान करना चाहिए। | ||
*सागरव्रत प्रतिदिन [[होम]] कराना चाहिए। | *सागरव्रत प्रतिदिन [[होम]] कराना चाहिए। |
12:57, 12 सितम्बर 2010 का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- सागरव्रत चतुमूर्तिव्रत है।
- सागरव्रत मासव्रत है।
- सागरव्रत श्रावण से चार मासों तक किया जाता है।
- चार जल पूर्ण घटों को चार समुद्रों के रूप में हरि के चार रूप, यथा–वसुदेव, संकर्षण आदि को पूजना चाहिए।
- इन मासों के सभी दिनों में किसी नदी में स्नान करना चाहिए।
- सागरव्रत प्रतिदिन होम कराना चाहिए।
- कार्तिक के अन्तिम दिन में ब्राह्मणों को सम्मान एवं तिल के तेल का दान करना चाहिए।
- ऐसी मान्यता है कि सागरव्रत से स्वर्ग प्राप्ति होती है।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हेमाद्रि (व्रत खण्ड 2, 829, विष्णुधर्मोत्तरपुराण 3|145|1-6 से उद्धरण)
सम्बंधित लिंक
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