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'''देव दीपावली''' [[दिवाली]] के 15 दिन बाद मनाई जाती है। माना जाता है कि इस दिन [[देवता]] धरती पर आकर पवित्र [[गंगा नदी]] के किनारे दीप जलाते हैं। इस दिन [[शिव]] और [[विष्णु]] की पूजा की जाती है| कार्तिक मास के [[शुक्ल पक्ष]] की [[पूर्णिमा]] [[तिथि]] को देव दीपावली का त्योहार (Dev Deepawali Festival) मनाया जाता है। पुराणों के अनुसार इसी दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नाम के राक्षस का वध किया था। इसी कारण से इसे 'त्रिपुरी पूर्णिमा' के नाम से भी जाना जाता है। इस बात की खुशी को दर्शाने के लिए देव दीपावली के दिन सभी देवता धरती पर आकर गंगा किनारे दीप प्रज्वलित करते हैं और इसी कारण से हर साल देव दीपावली का त्योहार मनाया जाता है।
'''देव दीपावली''' [[दिवाली]] के 15 दिन बाद मनाई जाती है। माना जाता है कि इस दिन [[देवता]] धरती पर आकर पवित्र [[गंगा नदी]] के किनारे दीप जलाते हैं। इस दिन [[शिव]] और [[विष्णु]] की पूजा की जाती है| कार्तिक मास के [[शुक्ल पक्ष]] की [[पूर्णिमा]] [[तिथि]] को देव दीपावली का त्योहार (Dev Deepawali Festival) मनाया जाता है। पुराणों के अनुसार इसी दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नाम के राक्षस का वध किया था। इसी कारण से इसे 'त्रिपुरी पूर्णिमा' के नाम से भी जाना जाता है। इस बात की खुशी को दर्शाने के लिए देव दीपावली के दिन सभी देवता धरती पर आकर गंगा किनारे दीप प्रज्वलित करते हैं और इसी कारण से हर साल देव दीपावली का त्योहार मनाया जाता है।
==तिथि==
==तिथि==
[[कार्तिक पूर्णिमा]] वर्ष [[2020]] में [[30 नवंबर]] को मनाई जाएगी। कार्तिक मास का समापन पूर्णिमा के साथ ही हो जाएगा। कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन ही देवताओं की दीपावली होती है। [[देवोत्थान एकादशी]] के दिन देवता चार महीने सोने के बाद उठते हैं और उनके उठने की खुशी में ही कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दीपावली मनाई जाती है, लेकिन 2020 में पूर्णिमा का प्रारंभ 29 नवंबर से ही हो रहा है, इसलिए देव दिपावली इस बार 29 नंवबर को ही मनाई जाएगी, जबकि दान-पुण्य और पूजा आदि पूर्णिमा का [[30 नंवबर]] को होगा। कार्तिक पूर्णिमा को 'त्रिपुरी पूर्णिमा' या 'त्रिपुरारी पूर्णिमा' के नाम से भी जाना जाता है।<ref>{{cite web |url=https://www.timesnowhindi.com/spirituality/vrat-festivals/article/dev-diwali-2020-kartik-purnima-2020-dates-tithi/320797 |title=इस बार Kartik Purnima से पहले मनाई जाएगी देवी द‍िवाली|accessmonthday=09 नवंबर|accessyear=2020 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=timesnowhindi.com |language=हिंदी}}</ref>
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====कार्तिक पूर्णिमा तिथि====
====कार्तिक पूर्णिमा तिथि====
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - 29 नवम्बर, 2020 दोपहर 12 बजकर 47 मिनट से प्रारंभ होकर अगले दिन 30 नंवबर को दोपहर 2 बजकर 59 मिनट तक रहेगी। क्योंकि 30 की रात में पूर्णिमा नहीं होगी, इसलिए देव दीपावली 29 को होगी और पूर्णिमा रात से शुरू हो रही है तो पूर्णिमा की पूजा 30 नंवबर को होगी। कार्तिक पूर्णिमा का उत्सव प्रबोधिनी एकादशी से शुरू होता है।
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - 29 नवम्बर, 2020 दोपहर 12 बजकर 47 मिनट से प्रारंभ होकर अगले दिन 30 नंवबर को दोपहर 2 बजकर 59 मिनट तक रहेगी। क्योंकि 30 की रात में पूर्णिमा नहीं होगी, इसलिए देव दीपावली 29 को होगी और पूर्णिमा रात से शुरू हो रही है तो पूर्णिमा की पूजा 30 नंवबर को होगी। कार्तिक पूर्णिमा का उत्सव प्रबोधिनी एकादशी से शुरू होता है।
==महत्व==
==महत्व==
कार्तिक पूर्णिमा के दिन व्रत करने और दान-पुण्य करने का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत-पूजन और दान करने से पापों की मुक्ति होती है और घर में सुख शांति-शांति और समृद्धि आती है। कार्तिक पूर्णिमा धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि कार्तिक पूर्णिमा का व्रत और पूजन करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। धार्मिक आयोजन और आध्यात्मिक तपस्या करने के लिए कार्तिक पूर्णिमा को सबसे पवित्र दिन माना गया है। माना जाता है कि कार्तिक मे पूरे मास [[गंगा स्नान]] और दान आदि करने से 100 [[अश्वमेघ यज्ञ]] के समान पुण्य प्राप्त होता है।  
कार्तिक पूर्णिमा के दिन व्रत करने और दान-पुण्य करने का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत-पूजन और दान करने से पापों की मुक्ति होती है और घर में सुख शांति-शांति और समृद्धि आती है। कार्तिक पूर्णिमा धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि कार्तिक पूर्णिमा का व्रत और पूजन करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। धार्मिक आयोजन और आध्यात्मिक तपस्या करने के लिए कार्तिक पूर्णिमा को सबसे पवित्र दिन माना गया है। माना जाता है कि कार्तिक मे पूरे मास गंगा स्नान और दान आदि करने से 100 [[अश्वमेघ यज्ञ]] के समान पुण्य प्राप्त होता है।  
==व्रत पूजा विधान==
==देव दीपावली पूजा विधि==
[[कार्तिक पूर्णिमा]] के दिन गंगा नदी या स्नान के पानी में [[गंगाजल]] मिश्रित कर लेना चाहिए। स्नान के बाद भगवान विष्णु की पूजा करें और उन्हें धूप-दीप नैवेद्य और पुष्प अर्पित करें और सत्यनारायण कथा का पाठ कराना चाहिए और [[एकादशी]] के दिन [[तुलसी विवाह|तुलसी और शालिग्राम जी]] के [[विवाह]] का उत्सव भी कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।  
#देव दीपावली के दिन साधक को गंगा स्नान अवश्य करना चाहिए और स्नान के बाद साफ वस्त्र धारण करने चाहिए।
*इस दिन भगवान शिव और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। लेकिन इनकी पूजा से पहले भगवान गणेश की विधिवत पूजा अवश्य करें।
*भगवान शिव को इस दिन पूजा में [[पुष्प]], [[घी]], नैवेद्य, [[बेलपत्र]] अर्पित करें और भगवान विष्णु को पूजा में पीले फूल, नैवेद्य, पीले वस्त्र, पीली मिठाई अर्पित करें।
*इसके बाद भगवान शिव और भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करें और देव दीपावली की [[कथा]] सुनें।
*कथा सुनने के बाद भगवान गणेश, भगवान शिव और भगवान विष्णु की [[धूप]] व [[दीपक]] से आरती उतारें।
*अंत में शिव और विष्णु को मिठाई का भोग लगाएं और शाम के समय गंगा घाट पर दीपक जलाएं। यदि आप ऐसा नहीं कर सकते तो अपने घर के मुख्य द्वार पर तो दीपक अवश्य जलाएं।<ref>{{cite web |url=https://www.haribhoomi.com/astrology-and-spirituality/dev-deepawali-2020-date-dev-deepawali-date-and-time-importance-puja-vidhi-and-story-hisd-347351 |title=देव दीपावली|accessmonthday=09 नवंबर|accessyear=2020 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=timesnowhindi.com |language=हिंदी}}</ref>
==कथा==
पौराणिक कथा के अनुसार त्रिपुर नामक राक्षस ने एक एक लाख वर्ष तक तीर्थराज [[प्रयाग]] में कठोर तप किया था। उसकी तपस्या से तीनों लोक हिलने लगे थे। त्रिपुर की तपस्या देखकर सभी देवता गण भयभीत हो गए और उन्होंने त्रिपुर की तपस्या भंग करने का निश्चय किया। इसके लिए उन्होंने अप्सराओं को त्रिपुर के पास उसकी तपस्या भंग करने के लिए भेजा लेकिन वह अप्सराएं त्रिपुर की तपस्या भंग नही कर सकी। अंत में [[ब्रह्मा]] को त्रिपुर की तपस्या के आगे विवश होकर उसे वर देने के लिए आना ही पड़ा।
 
ब्रह्मा ने त्रिपुर के पास आकर उसे वर मांगने के लिए कहा। त्रिपुर ने ब्रह्मा जी किसी मनुष्य या [[देवता]] के हाथों न मारे जाने का वरदान मांगा। इसके बाद त्रिपुर ने स्वर्गलोक पर आक्रमण कर दिया। सभी देवताओं ने एक योजना बनाकर त्रिपुर को [[शिव]] के साथ युद्ध करने में व्यस्त कर दिया। जिसके बाद भगवान शिव और त्रिपुर के बीच में भयंकर युद्ध हुआ। भगवान शिव ने ब्रह्मा और [[विष्णु]] की सहायता प्राप्त करके त्रिपुर का अंत कर दिया। इसी कारण से देवता अपनी खुशी को जाहिर करने के लिए दीपावली का त्योहार मनाते हैं, जिसे देव दीपावली के नाम से जाना जाता है।


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09:35, 9 नवम्बर 2020 का अवतरण

देव दीपावली दिवाली के 15 दिन बाद मनाई जाती है। माना जाता है कि इस दिन देवता धरती पर आकर पवित्र गंगा नदी के किनारे दीप जलाते हैं। इस दिन शिव और विष्णु की पूजा की जाती है| कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को देव दीपावली का त्योहार (Dev Deepawali Festival) मनाया जाता है। पुराणों के अनुसार इसी दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नाम के राक्षस का वध किया था। इसी कारण से इसे 'त्रिपुरी पूर्णिमा' के नाम से भी जाना जाता है। इस बात की खुशी को दर्शाने के लिए देव दीपावली के दिन सभी देवता धरती पर आकर गंगा किनारे दीप प्रज्वलित करते हैं और इसी कारण से हर साल देव दीपावली का त्योहार मनाया जाता है।

तिथि

कार्तिक पूर्णिमा वर्ष 2020 में 30 नवंबर को मनाई जाएगी। कार्तिक मास का समापन पूर्णिमा के साथ ही हो जाएगा। कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन ही देवताओं की दीपावली होती है। देवोत्थान एकादशी के दिन देवता चार महीने सोने के बाद उठते हैं और उनके उठने की खुशी में ही कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दीपावली मनाई जाती है, लेकिन 2020 में पूर्णिमा का प्रारंभ 29 नवंबर से ही हो रहा है, इसलिए देव दिपावली इस बार 29 नंवबर को ही मनाई जाएगी, जबकि दान-पुण्य और पूजा आदि पूर्णिमा का 30 नवंबर को होगा। कार्तिक पूर्णिमा को 'त्रिपुरी पूर्णिमा' या 'त्रिपुरारी पूर्णिमा' के नाम से भी जाना जाता है।[1]

कार्तिक पूर्णिमा तिथि

पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - 29 नवम्बर, 2020 दोपहर 12 बजकर 47 मिनट से प्रारंभ होकर अगले दिन 30 नंवबर को दोपहर 2 बजकर 59 मिनट तक रहेगी। क्योंकि 30 की रात में पूर्णिमा नहीं होगी, इसलिए देव दीपावली 29 को होगी और पूर्णिमा रात से शुरू हो रही है तो पूर्णिमा की पूजा 30 नंवबर को होगी। कार्तिक पूर्णिमा का उत्सव प्रबोधिनी एकादशी से शुरू होता है।

महत्व

कार्तिक पूर्णिमा के दिन व्रत करने और दान-पुण्य करने का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत-पूजन और दान करने से पापों की मुक्ति होती है और घर में सुख शांति-शांति और समृद्धि आती है। कार्तिक पूर्णिमा धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि कार्तिक पूर्णिमा का व्रत और पूजन करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। धार्मिक आयोजन और आध्यात्मिक तपस्या करने के लिए कार्तिक पूर्णिमा को सबसे पवित्र दिन माना गया है। माना जाता है कि कार्तिक मे पूरे मास गंगा स्नान और दान आदि करने से 100 अश्वमेघ यज्ञ के समान पुण्य प्राप्त होता है।

देव दीपावली पूजा विधि

  1. देव दीपावली के दिन साधक को गंगा स्नान अवश्य करना चाहिए और स्नान के बाद साफ वस्त्र धारण करने चाहिए।
  • इस दिन भगवान शिव और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। लेकिन इनकी पूजा से पहले भगवान गणेश की विधिवत पूजा अवश्य करें।
  • भगवान शिव को इस दिन पूजा में पुष्प, घी, नैवेद्य, बेलपत्र अर्पित करें और भगवान विष्णु को पूजा में पीले फूल, नैवेद्य, पीले वस्त्र, पीली मिठाई अर्पित करें।
  • इसके बाद भगवान शिव और भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करें और देव दीपावली की कथा सुनें।
  • कथा सुनने के बाद भगवान गणेश, भगवान शिव और भगवान विष्णु की धूपदीपक से आरती उतारें।
  • अंत में शिव और विष्णु को मिठाई का भोग लगाएं और शाम के समय गंगा घाट पर दीपक जलाएं। यदि आप ऐसा नहीं कर सकते तो अपने घर के मुख्य द्वार पर तो दीपक अवश्य जलाएं।[2]

कथा

पौराणिक कथा के अनुसार त्रिपुर नामक राक्षस ने एक एक लाख वर्ष तक तीर्थराज प्रयाग में कठोर तप किया था। उसकी तपस्या से तीनों लोक हिलने लगे थे। त्रिपुर की तपस्या देखकर सभी देवता गण भयभीत हो गए और उन्होंने त्रिपुर की तपस्या भंग करने का निश्चय किया। इसके लिए उन्होंने अप्सराओं को त्रिपुर के पास उसकी तपस्या भंग करने के लिए भेजा लेकिन वह अप्सराएं त्रिपुर की तपस्या भंग नही कर सकी। अंत में ब्रह्मा को त्रिपुर की तपस्या के आगे विवश होकर उसे वर देने के लिए आना ही पड़ा।

ब्रह्मा ने त्रिपुर के पास आकर उसे वर मांगने के लिए कहा। त्रिपुर ने ब्रह्मा जी किसी मनुष्य या देवता के हाथों न मारे जाने का वरदान मांगा। इसके बाद त्रिपुर ने स्वर्गलोक पर आक्रमण कर दिया। सभी देवताओं ने एक योजना बनाकर त्रिपुर को शिव के साथ युद्ध करने में व्यस्त कर दिया। जिसके बाद भगवान शिव और त्रिपुर के बीच में भयंकर युद्ध हुआ। भगवान शिव ने ब्रह्मा और विष्णु की सहायता प्राप्त करके त्रिपुर का अंत कर दिया। इसी कारण से देवता अपनी खुशी को जाहिर करने के लिए दीपावली का त्योहार मनाते हैं, जिसे देव दीपावली के नाम से जाना जाता है।


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टीका-टिप्पणी और संदर्भ

  1. इस बार Kartik Purnima से पहले मनाई जाएगी देवी द‍िवाली (हिंदी) timesnowhindi.com। अभिगमन तिथि: 09 नवंबर, 2020।
  2. देव दीपावली (हिंदी) timesnowhindi.com। अभिगमन तिथि: 09 नवंबर, 2020।

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