"यह कदम्ब का पेड़-2 -सुभद्रा कुमारी चौहान": अवतरणों में अंतर
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तुम आंचल फैलाकर अम्मां, वहीं पेड़ के नीचे | तुम आंचल फैलाकर अम्मां, वहीं पेड़ के नीचे | ||
ईश्वर से विनती करतीं, बैठी | ईश्वर से विनती करतीं, बैठी आँखें मीचे | ||
तुम्हें ध्यान में लगी देख मैं, धीरे धीरे आता | तुम्हें ध्यान में लगी देख मैं, धीरे धीरे आता | ||
और तुम्हारे आंचल के नीचे छिप जाता | और तुम्हारे आंचल के नीचे छिप जाता |
05:12, 4 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण
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यह कदंब का पेड़ अगर माँ होता जमना तीरे |